जब मच्छर काटता है

 जब मच्छर काटता है तो...???

आदमी मर भी सकता है...!!!

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जी हाँ मेरे भाईयों।

यह सच्चाई है,हकीकत है,वास्तव है।

जब मच्छर काटता है तो डेंग्यू, मलेरिया हो सकता है।

और परीणाम ?

आदमी मर भी सकता है।

इसिलिए सुरक्षा कवच ही इतना शक्तिशाली बनाईये की,

कितने भी मच्छर हमला करें 

कुछ बिगाड ना सके।

अखंड सावधानता,सतर्कता,कुशल रणनीती ही उपयोगी बन सकती है।


अब महत्वपूर्ण प्रश्न।

कौनसे मच्छर ???

समाज में फैले हुए समाजविघातक शक्तिवाले दुष्ट, क्रूर,घातक,हिंसक,शातीर महाभयानक दिमागवाले इंन्सानरूपी भयंकर मच्छर।

समझ गये ?

समझे कुछ ।

इसिलिए केवल और केवल जीतना ही है तो निती ही इतनी तगडी और शक्तिशाली बनाईये की केवल और केवल जीत ही सके।

भगवान श्रीकृष्ण, राजे शिवाजी, आचार्य चाणक्य, राजे विक्रमादित्य जैसी जीत की तगडी निती।

और...???

प्रारब्ध गती द्वारा जीत में आनेवाली अनेक बाधाओं को हटाकर कठोर तपस्या द्वारा संपूर्ण ईश्वरी सहायता होगी...

तो...???

जीत पक्की होगी।

सहमत ?



तो चलो कंधे से कंधा मिलाकर एकसाथ आगे बढते है।और ईश्वरी संपूर्ण सहायता द्वारा

" अखंड हिंदुराष्ट्र "

के अनेक सालों के संकल्पीत ईश्वरी कार्यों को गती देते है।


नामुमकीन लग रहा है ?

जब ईश्वर की इच्छा होती है और इसके भी आगे जब ईश्वर की सहायता भी होती है...

तो...???

नामुमकीन भी मुमकीन में बदल जाता है।


मेरे मतों से,विचारों से जो सहमत नही है,हल्के में ले रहे है..

तो कृपया यह लेख पढकर उसको छोड दिजिए।

और अगर सहमत हो तो मुझसे संपर्क किजिए।

आपके तन - मन - धन की तथा समर्पित भाव की सख्त जरूरत है।


जिसको यह दियास्वप्न,हँसी मजाक लगता है,कृपया वह मुझसे दूर हो जाईये।


लगता है अनेक मान्यवर,महात्माएं, मोदीजी, अमीत शाहजी,योगीजी और अनेक पुण्यात्माएं मुझे उनकी आत्मा की आवाज सुनकर मेरे वैश्विक कार्यों में जरूर सहायता करेंगे।


कार्य सफल बनाना तो ईश्वर का काम है।

उसे संकल्पित करके आगे बढाना और उसके लिए राजा विक्रमादित्य जैसा आत्यंतिक प्रयास करना हमारे हाथ में है।


जो साथ देना चाहते है वह प्रत्यक्ष संपर्क कीजिए।

कम से कम आत्मा की आवाज सुनकर संकल्प तो किजिए।

अथवा हँसी मजाक भी किजिए।चलेगा।


मगर कम से कम हाहाकार मचाने वाली,उपद्रवी राक्षसी शक्तियों का साथ तो मत दिजिए भाईयों।

हमें सहयोग नही करेंगे तो भी चलेगा।

मगर आसुरीक संपत्ति को बढावा देनेवाले एक भी कार्य में हिस्सा मत लिजिए।

आपका अज्ञान अगर आसुरीक शक्तियों को बढावा देता है तो...

आप भी अजानतेपण से पाप के हकदार बन सकते है।


इसीलिए भाईयों,

बडे सोचसमझकर जीवन का रास्ता तय किजिए।और एक एक पल,एक एक कदम ईश्वरी सिध्दांतों की जीत के लिए आगे बढाते रहिए।


तो...?

मैं आपको वचन देता हुं की संपूर्ण पृथ्वी पर ईश्वरी राज्य की हमारी संकल्पना पूरी होगी।और उन्मादी, हाहाकारी राक्षसी शक्तियों का नाश होगा।


आत्मा की पूकार सुनकर देंगे साथ ?


साथी हाथ बढाना साथी रे।

साँप,बिच्छू भी जहरीले होकर ईश्वरी कानून से ही चलते है।

बाघ सिंह भी हिंस्र, हिंसक होकर ईश्वरी कानून के सिध्दांतों पर चलते है।

पेट भरने पर फिर वह आत्माएं हिंसा करते है ?

नही।

पिशाच भी मंत्र शक्तियों द्वारा वश में रह सकते है।

सभी चौ-याशी लक्ष योनी में अटके हुए जीव जंतु भी ईश्वरी कानून से ही चलते है।

उन सभी का आहार, निद्रा, भय,मैथून केवल ईश्वरी सिध्दांतों पर ही चलता है।

हर एक सजीव का जन्म मृत्यु भी ईश्वरी इच्छा के अनुसार ही होता है।

तो...?

हमें भी ईश्वरी सिध्दांतों का स्विकार करने में और आसुरीक सिध्दांतों का त्याग करने में भले क्या दिक्कत हो सकती है।

संपूर्ण विश्व में फैला हुवा मानवता वादी हर इंन्सान मेरे विचारों का गहरा अध्ययन भी करेगा और स्विकार भी करेगा।


आपको क्या लगता है ?

ईश्वरी कानून के आधार पर ही,इसी सिध्दांतों के आधार पर ही संपूर्ण विश्व के मानव समूह को चलना होगा।


बात में दम है ना ?

और यही ईश्वरी सिध्दांत सत्य सनातन धर्म सिखाता है।

चौबीसों घंटे,बारह महीने, अठारह काल तो सत्य सनातन सत्य का,ईश्वरी सिध्दांतों का और ईश्वरी कानून का स्विकार करता है और उच्च शिक्षा भी देता है।


यही एक आदर्श, उच्च,विकसित जीवन प्रणाली है।

और यही हिंदुत्व है,यही हिंदुत्व की शिक्षा है,यही हिंदुत्व की देन है,यही हिंदुत्व का आचरण है।

और युगों युगों से यही सत्य चलता भी आया है।

और विश्व के समस्त मानवसमुह के,मानवजाती के संपूर्ण कल्याण का एकमात्र मार्ग भी है।मानवता की संपूर्ण जीत भी है।

पशुपक्षियों सहित सभी प्राणीमात्रों का अखंड कल्याण भी है।


इसिलए तो हम अखंड हिंदुराष्ट्र के आग्रही है।अखंड ईश्वरी राज्य के आग्रही है।


इसीलिए तो हम

वसुधैव कुटुम्बकम पर अतूट विश्वास रखते है।


इसीलिए हम युगों युगों से है।

हमारा पथ...

चार दिन से नही चलता आया है।हमने इसमें हमारे विचार नही घुसेड दिये है।


सोचो,समझो,जानो।

मानवता का,संपूर्ण सजीवों के कल्याण का,जीव जंतुओं के रक्षण का,पेड जंगलों की रक्षा,संगोपन, संवर्धन द्वारा संपूर्ण सजीवों की रक्षा यह हमारा दाईत्व हमें कभी भी खाली नहीं जाने देना चाहिए।


इससे सभी प्रश्नों से छुटकारा भी मिलेगा।

ग्लोबल वार्मिंग, पाणी,हवा,जमीन प्रदुषण जैसी अनेक जटिल समस्याओं का निराकरण हमारे आदर्श सिध्दांतों में है।

और यही हमारे महान ऋषिमुनियों ने अनेक धार्मिक ग्रंथों में ससिध्दांत प्रमाणित भी किया है।


तो हम झूठे और गरत कैसे हो सकते है ?

इसीलिए सभी का आधार और सिध्दांत भी सत्य सनातन धर्म तथा हिंदुत्व ही है।

तो आवो मूल से जुडते है।

ईश्वरी सिध्दांतों से जुडते है।

ईश्वरी कानून से जुडते है।

कुदरत से जुडते है।

कुदरत के कानून से जुडते है।


और यही मात्र हमारे जीवन का उद्दीष्ट तथा अंतीम साध्य भी है।

जन्म मृत्यु तो ईश्वर के हाथ में है।मगर उसके बिच में का वर्तमान का फासला हमारे हाथ में है।

और इसी दरम्यान हम उचित निर्णय लेते है,नवनिर्माण का संकल्प करते है,उसीके अनुसार उचित आचरण भी करते है...


तो...

मरणोपरांत हम मोक्ष के भी अधिकारी बनते है।


आपको क्या लगता है ?


तो...?

चलो नये युग की ओर।

नये युग निर्माण की ओर।


मंजूर ???

सौ प्रतिशत ???


तो चलो आगे।


तबतक के लिए...

हरी ओम्

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आप सभी का,आप सभी के अंदर चौबीसों घंटे बसने वाला,


विनोदकुमार महाजन

( विश्वाचार्य )

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