संपूर्ण लेखांक भाग २५
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रामजी और कृष्ण परमात्मा।खुद ईश्वर।विष्णु अवतार।फिर भी अनेक कठोर अग्नीपरीक्षा तथा सत्वपरीक्षांएं देनी पडी।अनेक संकटों से सतत जुंझना पडा।भयंकर कठोर संघर्षमय जीवन।फिर भी "यशस्वी",जीवन।अनेक प्रकार की उंचाईयां संघर्ष से ही प्राप्त की।
तो हम कौन?मतलब हमें भी,"यशस्वी",होने के लिए कितना संघर्ष करना पडेगा?
मगर मित्रों हम हारेंगे नही।हम सभी अपने मकसद में जीतकर ही रहेंगे।तो???
चलो सभी एक साथ उद्दीष्ट पुर्ती के लिए हिम्मत से-धैर्य से-थंडे दिमाग से-संयमपूर्वक ,"मंजील",की ओर बढे।और यशस्वीता खिंचकर लायें।तैय्यार हो जावो।
मैं भी आजतक सद्गुरु की अनंत कृपा से जीत गया हुं।कैसे?
नशीब-प्रारब्ध-कर्म के विरुद्ध भयंकर घनघोर युध्द।मैदान में अकेला।कठोर ईश्वरीपरीक्षाएं,अग्नीपरीक्षाएं
मैं भी पिछे नही हटा।लडता रहा।सत्य के लिए।सत्य की जीत के लिए।सिध्दांतो के लिए।दस दिशाओं पर अकेला ही हिम्मत से लडता रहा।भयंकर यातनादायक अथक-सतत-चौबिसो घंटों का नरकतुल्य जीवन और संघर्ष था।आप सभी विश्वास भी नही करेंगे इतना अती भयंकर क्लेशदायक जीवन।
साक्ष?निराकार ब्रम्ह।
फिर भी मैं आज जीत गया।नशीब पर,नीयती पर,कर्मगतीपर,प्रारब्ध पर जीत हासिल की।
क्यों ?क्योंकी,दिनरात-सतत-जनमजनम से,हरपल,हरक्षण मेरे सद्गुरु जो मेरे पिछे,"सत्य",की जीत के लिए जो खडे है।
मुझे हमेशा कहते है,"अगर जीतेगा तो पृथ्वी पर राज्य करेगा।और अगर मरेगा तो भी...सिधा स्वर्ग को जायेगा।तो...संघर्ष कर।"
धन्य है मेरे सद्गुरु।धन्य है मेरे सद्गुरु चरण।धन्य है मेरे सद्गुरु का महीमा।
हरी ओम।
-- विनोदकुमार।
[23/01 2:29 pm] Papa: *।। ओम ह्रीं श्रीं ठं ठं ठं
नमो भगवते
मम सर्व कार्याणी साधय
साधय,मां रक्ष रक्ष शिघ्र मां धनीनं कुरु कुरु हुं फट् श्रीयं देही प्रज्ञां देही ममापत्तीं निवारय स्वाहा ।।
*चंदन चावल बेल की पतीया शिवजी का ध्यान धरो रे,हे प्रभो मेरा काम करो रे।
*ओम जं जेटेश्वराय नम:
*कैलासराणा शिवचंद्रमौळी,फणींद्र माथा मुकुटी झळाळी कारुण्यसिंधो भवदु:खहारी तुजविण शंभो मज कोण तारी।
*ओम नम:शिवाय।
*ओम कालभैरवाय नम:।
*बम भोले।हर हर महादेव।
*ओम हं हनुमते नम:।
*ओम ह्रो ज्युं स:ओम भुर्रभु:स्वाहा ओम त्र्यंबक यजामहे सुगंधीं
पुष्टीवर्धनम् उर्वारुक्मीव बंधनात् मृत्योमुक्षीय मामृतात।
ओम स:ज्युं ह्रौं ओम।
-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:29 pm] Papa: भाईयों, सावधान हो जाईये।हमारे धर्म को मिटाने की जी जान से कोशिश की जा रही है।
धर्म मिटेगा तो अध्यात्म मिटेगा। अध्यात्म मिटेगा तो मंदीर नष्ट होंगे मंदीर नष्ट होंगे तो संस्कृती समाप्त होगी।
जैसे......
पाकीस्तान, बांगला और भी अनेक देश.....।
जागो.....।
[23/01 2:29 pm] Papa: आप खुद बनें सम्पादक
ग्रामीण क्षेत्र में अनेक ऐसे पत्रकार हैं, जो प्रतिभावान होने के बावजूद एक सही मंच नहीं मिलने के अभाव में अपनी प्रतिभा के अनुरूप ख्याति नहीं प्राप्त कर पाते। अपने क्षेत्र की समस्याओं को हल करवाने का उनका जज्बा होता है, लेकिन वे इस बारे कुछ नहीं कर पाते। वहीं अनेक दशकों से पत्रकारिता में जुटे हुए हैं और अब एक सम्मानजनक पद चाहते हैं।
इस तरह के सभी पत्रकार बंधुओं के लिए 'सोशल मीडियाÓ नामक संस्था ने पत्रकारों के लिए एक सर्वोत्तम योजना लाँच की है। इस योजना के तहत उसकी खुद की वेबसाइट, जिसको वे अपने स्मार्टफोन पर अपडेट कर सकेंगे। उनका खुद का एप होगा, जिसका देश-विदेश में वे कहीं भी अपना एप गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से डाउनलोड करवा सकेंगे। अगर जीएसटी नंबर हुआ तो उनको उनकी वेबसाइट पर विभिन्न कंपनियों के विज्ञापन भी मिल सकते हैं, जिससे वे घर बैठे कमाई कर सकते हैं।
अपनी वेबसाइट-अपना एप बनवाने वालों को समाचार अपडेट करने के लिए दो दिन का प्रशिक्षण सेमीनार भी आयोजित किया जायेगा, इस शिविर में उनको कम्प्यूटर, वेबसाइट, एप की पूरी जानकारी दी जायेगी। वे इस वेबसाइट पर समाचार-फोटो-वीडियो भी अपलोड कर सकेंगे। सरकार ने अखबार के पेपर पर 20 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया है। इससे हर आदमी को अपना अखबार प्रकाशित कर पाना आसान नहीं होता। वे अपनी वेबसाइट के जरिये जीरो खर्चे पर अपनी खबर अपडेट कर सकेंगे। वहीं जो प्रदेश-देश और जिले की प्रमुख खबरों को अपनी वेबसाइट के लिए चाहेंगे, उनको वह सुविधा भी उपलब्ध करवा दी जायेंगी। अगर कोई भी पत्रकार टाइपिंग नहीं करना चाहता, वह अपने क्षेत्र की न्यूज और खबर प्रकाशित करवाना चाहता है तो उनके लिए यह भी सुविधा उपलब्ध होगी। समस्याएं हैं अनेक, समाधान है एक।
सम्पर्क करें : 97825-93973
[23/01 2:29 pm] Papa: Dear sir,
I.G.M.S.V.F.
I chandrashekhar phulshankar declare that I am resident of Jogapur ,post Jamalpur,dist.Jonpur.
At 18-01-17 I have send receipt no.01325898 of Future Gen insurance solution.The sum of this receipt should be given to Kedarnath Gupta,son of Shivprasad Gupta.I am not related to this receipt.
Thank you
Yours faithfully ,
Chandrashekhar.
[23/01 2:29 pm] Papa: विकास पागल कैसे होगा भई?????
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क्या विकास पागल हो सकता है?आखिर ये विकास है कौन?कोई व्यक्ती का नाम है क्या?
नही नही भाई।यह विकास नाम का कोई व्यक्ती वगैरह नही है।मोदीजी के नाम से डरनेवाले अब पागल हो चुके है।
दिनरात उन्हे अब मोदी मोदी ही दिख रहे है।उनका विकास देखकर येभौंचक्का गए है।और इनकी हालात पागल कुत्ते जैसी हो गई है।
सो इनको अब मोदीजी का विकास भी पागल दिख रहा है।वास्तव में आजादी के बाद इन्होने इतनी भयंकर पाप की माया कमाई की पुछो मत।मोदीजी अब यह सारी माया और इनके सारे मायावी खेल धिरे धिरे बाहर निकाल रहे है।इसिलीए अब इनको मोदीजी का विकास भी पागल लग रहा है।
बेचारे!!!!!!!!!
बौखला गए है!!!!!!
इसिलिए विकास पागल नही हुवा है।पागल तो लुटारु हो गए है।मोदी नाम से भी अब ये डर रहे है।
सो इन्हे विकास भी पागल नजर आ रहा है।
पागल बेचारे!!!!!!!
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:29 pm] Papa: मुर्तीपुजा क्यों जरुरी?
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एक ग्रुपपर मुर्तीपुजा के बारें मे एक सदस्य बोल रहा था।कह रहा था,मुर्तीपुजा ढोंग है,पाखंड है,अंधश्रद्धा है।
मुर्तीपुजा ढोंग,पाखंड, अंधश्रद्धा नही है।यह एक उच्च कोटी की श्रध्दा ही है।जैसे की मेरे सामने मुर्ती के रुप में साक्षात प्रभु परमात्मा ही बैठे है।और मैं उनकी सेवा कर रहा हुं।
इससे उच्च कोटी की आत्मशांती मिलती है।
और कर्ममार्ग के यह उच्चतम साधन है।
कर्म मार्ग के आगे भक्तीमार्ग जागृत होता है।मतलब प्रभु के प्रती भक्ती,प्रेम।
धिरे धिरे इसी माध्यम द्वारा ज्ञान मार्ग की जागृती होती है।मतलब सही और सच्चा आध्यात्मीक तथा आत्मज्ञान प्राप्ती में दिनबदिन प्रगती होती रहती है।
और आखिर में समाधी अवस्था यानी आज्ञाचक्र जागृती होती है।मतलब राजयोग जागृती।"सो अहम्।सो अहम्।"
मतलब मुर्तीपुजा से शुरू होनेवाला सफर ईश्वरस्वरुप बनने में मदद करता है।तो यह अंधश्रध्दा कैसे होगी?
मुर्तीपुजा में कक्षा एक में प्रवेश होता है।और पोष्ट ग्रेज्युएशन पुर्ण कराता है।मतलब सामान्य व्यक्ती भी इसी माध्यम द्वारा नर का नारायण होता है,तो यह अंधश्रद्धा कैसे होगी?
अज्ञानी तो वह है जो अभ्यास किए बगैर ही मुर्तीपुजा के बारे में गलत धारणा रखता है।
जब सामान्य व्यक्ती को असामान्य बनाने की क्षमता अगर मुर्तीपुजा में है तो मुर्तीपुजा गलत कैसे होगी?
क्या लाखों करोडों भक्तीभाव से मुर्तीपुजा करनेवाले मुर्ख हो सकते है? क्या हमारे पुर्वजों नें हमें गलत ज्ञान दिया???
बिल्कुल नही।मुर्तीपुजा का विरोध करनेवाले ही गलतविचार धारा के,अज्ञानी तथा अहंकारी हो सकते है।अथवा श्रध्दालु समाज को धिरे धिरे बहकाकर गलत रास्ते पर ले जाना ही उनका उद्दीष्ट हो सकता है।श्रध्दालु समाज को श्रध्दा से हटाकर धिरे धिरे अधर्म को बढाने की और अधर्म की ओर खिंचने की यह ऐक गहरी साजीश भी हो सकती है।अतएव सावधान।
मुर्तीपुजा करते करते जब सो अहम् जागृती हो जाती और वह व्यक्ती ईश्वरस्वरुप बन जाती है,तो उस महात्मा को बाहरी उपचारों की जरूरत ही नही होती।जैसे माला पहनना, गंध लगाना,विशिष्ट पोशाक परीधान करना।या नाम की भी कोई विशिष्ट उपाधी लगाने की भी जरूरत नही रहती।
वह पावन आत्मा तो ईश्वरी शक्ती से संपुर्ण एकरुप होही जाता है।और...।
उसके जीवन का एक ही महत्वपूर्ण मकसद होता है की,अनेक मार्गों से अनेक प्रकारों से भगवान की धरती को और ही सुंदर तथा पवित्र बनाना।
फिर चाहे वह व्यक्ती सूटबूट में ईश्वरी कार्यपुर्ती हेतु अमेरिका अंग्लैड में घुमे,या फिर भगवे कपडे पहनकर ईश्वरी कार्य बढाने के लिए भारतभ्रमण करें।या रामदास स्वामी जैसा केवल एक ही लंगोटी लगाकर घुमें।या फिर शेगांव के महान संत श्री गजानन महाराज की तरह संपुर्ण विवस्त्र होकर आजीवन ईश्वरी कार्य करता रहे।
उसे दो वक्त की रोटी भी मिले या ना मिले।उसको इसकी भी चिंता नही होती है।नाम,मान-सन्मान, धन-वैभव सभी से मुक्त होकर अपमान को भी प्रभु का प्रसाद समझकर ऐसे पवित्र आत्मे विचरण करते रहते है।बस्स...वह पुण्यात्मा तो ईश्वरी कार्य करते अपने ही मस्ती में तथा समाधी अवस्था में अष्टोप्रहर घुमता रहता है।
तो कभी एकांत में ही रहकर केवल ईश्वरी साधना ही करता रहता है।
ऐसा सामर्थ्य, शक्ती तथा कमाल मुर्तीपुजा में है।तो दोस्तों यह ढोंग कैसे हो सकता है।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:29 pm] Papa: सोनिया गांधी का भाषण 'समझने' के लिये आपके पास इन शब्दों की सूची होना अति आवश्यक है :
चातिसघर > छत्तीसगढ़
नर-मादा > नर्मदा
गर्भ > गर्व
तेल लगाना > तेलंगाना
मैला..वो > महिलाओं
सीको > सिक्खो
मादध्य प्रदिश| > मध्यप्रदेश
सिरप > सिर्फ
भून अत्या > भ्रूण हत्या
बजे से > वजह से
पराज > फर्ज
किलाप > खिलाफ
गिलोत > गहलोत
नेता गन > नेता गण
कुशी > खुशी
मशुर > मशहूर
पाबावी > प्रभावी
हमें गर्भ है > हमें गर्व है
और अंतिम है : मेरे पेटी का बटन मेरा है।
("मेरे पति का वतन मेरा है।")
लोकहित में जारी। 😋😛😀
बहुत कम लोग जानते है ....
की सोनिया गाँधी को हिंदी सिखाने वाला कोई और नहीं ...
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वो बांगर सीमेंट वाला अंग्रेज़ बुड्ढा है
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शाश्टा नाई साबसे आच्चा 😜😝
(सस्ता नहीं है सबसे अच्छा)
[23/01 2:29 pm] Papa: ग्रुप एडमिन को खबरदार होना होगा।
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व्हाटस्अप के नित्यदिन अनेक व्हाटस्अप ग्रुप बनते है।सदस्य बढाने के लिए अनेक ग्रुपपर लिंक भेजी जाती है।इसी समय में ग्रुपपर अनेक झुटे लोग भी लिंकद्वारा आ सकते है।इसिलीए ग्रुप एडमिन को खबरदार रहने की जरूरत है।क्योंकी ग्रुपपर अनेक असामाजिक तत्व भी घुस जाते है।पुणे में ऐसे ही एक ग्रुपपर एक आतंकवादी पकडा गया है।
कौन पुरुष है कौन स्र्ती है कुछ समझ में नही आ सकता।आतंकवादी तो हिंदु नाम भी धारण कर सकते है।
अभी मैंने देखा है की अनेक हिंदुत्वावादी ग्रुपपर कुछ गलत पोष्टस् आते है कोई हिंदुत्व की खिल्ली उडाता है,तो कोई मोदीजी पर भयंकर टिका टिप्पणी करता है।समाज में संभ्रम तथा अशांती फैलाना भी इनका मकसद हो सकता है।या कोई मोबाईल नंबर द्वारा डाटा भी हैक कर सकता है।
इसिलिए ग्रुप एडमिन से मैं अनुरोध करता हुं की,एक तो ग्रुपपर परीचीत को ही एड करें।अथवा कोई सदस्य अगर गलत पोष्ट करता है तो उसे तुरंत ग्रुप से हटा दें।इसिलिए सभी के पोष्ट पर नजर रखना भी जरुरी है।मैंने अनेक ऐसे गलत पोष्ट अनेक ग्रुप एडमिन को बता दिए है।
और एक बात..हिंदुस्थान का कंट्री कोड +91 है।
मगर अनेक बार ग्रुपपर+92(जो की पाकीस्तान का कंट्रीकोड है),+97,+96,+94,+15 इस प्रकार के परदेशी कोड के भी व्यक्ती ग्रुपपर जुड जाते है।
देशविघातक शक्तिंयाँ अनेक प्रकार से कार्यरत हो रही है।इसलिए सभी ग्रुप एडमिन को मैं नम्र निवेदन करता हुं की कृपया ग्रुप के बारे में अधिक जागरूक रहे।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:29 pm] Papa: मेरे हिंदु भाईयों।
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मेरे प्यारे सभी हिंदु भाईयों, अगर हमें सचमुच में हिंदुओं को न्याय दिलाना है और हम बहुसंख्यकों को हिंदुस्थान को हिंदुराष्ट्र जल्दी बनाना है तो सभी हिंदु जात-मत-पथ-पंथ भुलकर एक हो जावो।और राष्ट्रद्रोहीयों का जमकर विरोध करो,और बहिष्कार भी करो।
बस हमें इसके लिए बहुत ही छोटी छोटी बाते नित्यदिन करनी है।
अगर हमारा कोई दुकान है,ओफिस है,सलुन है,टपरी है,या और भी कोई नया व्यावसाय है तो हमें सिर्फ एक बात करनी है।
नित्यदिन माथेपर तिलक लगाना है।इससे ईश्वरी कृपा भी होगी ।और धर्मजागृती भी होगी।
दुसरी बात हमारा जहाँ व्यावसाय होता है वहाँ केवल एक भगवा ध्वज हमें लगाना है।और दुकान के बाहर,"जय श्रीराम,"का बडा फलक लगाना है।
और अंदर श्रीराम की सुंदर ,अच्छी तस्बीर लगानी है।
जहाँ हमें तिलक,भगवाँ ध्वज,जय श्रीराम अक्षर का मंत्र और रामजी की तस्बीर दिखेगी वही दुकान पर हमें हमारी नित्यदिन की वस्तुएं खरीदनी है।
जहाँ उपरी चार चिन्ह नही दिखाई देंगे वहाँ हमें बिल्कुल भी जाना नही है।
देशद्रोहीयों के खिलाफ यह शांती से क्रांती का बहुत ही शक्तीशाली हथियार है।
गलत न्युज देनेवाले चैनल और अखबारों को भी हमें ठीक इसी तरह से बहिष्कृत करना है।
इससे होगा यह की सभी हिंदु समाज जातीयवाद भुलकर भगवे के निचे एक हो जायेगा।सभी की एक वज्रमुठ होगी।आध्यात्मीक शक्ती भी बढेगी।
और राष्ट्रद्रोही गद्दारों का धंदा भी बंद हो जायेगा।फिर तो ये सभी धिरे धिरे ठिकाने पर आ जायेंगे।
वंदे मातरम् और जय श्रीराम का नारा लगाने का विरोध करनेवाले भी ठिकाने पर आ जायेंगे।
हम जो उन्हे पैसा देते है वही बंद होगा तो इनका ड्रामा खतम हो जायेगा।
और एक बात...हम जो बहुसंख्यंक शासन को कर देते है,वही पैसा सभी को समान तरीके से वितरित किया जाय,इसके लिए हम सरकार को भी बाध्य करेंगे।हमारे ही पैसों से हम अब हमारा योग्य विकास करेंगे।मतलब समझ गए ना?
हमारा पैसा..केवल हमारा विकास।
इसी तरह से देश में जबरदस्त तरीके से क्रांती होगी।और देश का खाकर देशविरोधी नारे लगाने वालों के भी होष ठिकाने पर आ जायेंगे।
है ना जबरदस्त माध्यम दोस्तों?किसीको भलाबुरा भी नही कहना,ना कोई लडाई झगडा करना।
केवल आर्थीक नाकाबंदी।आर्थीक बहिष्कार।
फिर देखो कमाल।ना रहेगा बास,ना बजेगी बांसुरी।नाही लगेंगे देशविरोधी नारे।
तो शुरु करो आज से और अभी से यह निशस्त्र मुहीम।
(1)माथे पे तिलक।
(2)भगवा ध्वज
(2)जय श्रीराम का नारा
और.......
(4)श्रीराम की सुंदर तस्बीर।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:29 pm] Papa: पाप का कलंक धो डालेंगे।🕉🚩✅
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हमारे दिव्य भव्य संस्कृती पर परकीय आक्रमणकारीयों ने अनेक सालों से अन्याय अत्याचार किए और हमारी संस्कृती-धर्म को तहस नहस करने की कोशीश की।
फिर भी खुद भगवान ने बनाया आदर्श कानुन को और सत्य को कौन मिटाएगा?
फिर भी.....
मुगल,अंग्रेज जैसे परकीय आक्रमणकारीयों ने यहाँ आकर संस्कृती तबाह करने की जो कोशीश की,उसमें हमारे अनेक मंदीर तोड दिये गए।हमारा इतीहास बदलने की कोशीश की।अनेक गाँवों के,गली के,शहरों के नाम तक बदल दिये।
झुटा इतीहास घुसा दिया।
उन्होंने संस्कृती नामशेष करने का बिडा जो उठाया था,उससे अनेक अन्याय अत्याचार किए।अनेक हत्याएँ की।हमारे अनेक प्रदेशों पर अत्याचार से,निघृण से,पाप से अवैध कब्जा कर लिया।हमारे ही अनेक लोगों का परीवर्तीत किया गया।
और....
जैसे की इस पवित्र देवी देवताओं की,ऋषीमुनीयों की,साधुसंतों की,महात्माओं की,महापुरुषों की भूमि को "पाप का कलंक",सा लग गया है।
अब हमें यह सब बदलना है।बदलना ही होगा।और हम सभी एक होकर यह भयंकर पाप का कलंक ,अती ठंडे दिमाग से धो डालेंगे धो ही डालेंगे।
काम आसान नहीं है।मगर....अगर....
ईश्वरीइच्छा प्रबल हो तो....मुश्कील भी नही है।इसके लिए अब हम सभी को तैयार भी रहना है।और कार्यरत भी होना है।
इस ईश्वरी कार्य के लिए हमें संपुर्ण विश्व में मौजूद जितने भी राष्ट्र है और जो सच्चाई और अच्छाई के,सत्य के-इंन्सानीयत के रास्ते से चलने की कोशीश कर रहे है,उन सभी राष्ट्रप्रमुखों को मिलकर एक जबरदस्त शक्तीशाली, तगड़ी निती बनानी है।जो निती केवल कामयाबी ही दे सकें।
इसके लिए ईश्वरीयोजना और रचना भी शायद स्वर्ग से ही तय की गई होगी।
ईश्वरी योजना कुछ भी हो,हमें तो हमारी दिव्य मंजील की ओर बढना भी है और कामयाब भी होना है।
क्योंकी....अब हमें पाप का कलंक धो डालना ही है।और हम सभी मिलकर कार्य सफलता करके ही रहेंगे।
समय की यही माँग है।और समयचक्र भी उसी दिशा में जा रहा है।
हरी ओम।🕉🚩✅
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:32 pm] Papa: बौखला गए है।
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भाईयों, जब से मोदीजी आये है और उन्होंने जिस प्रकार से कार्य करना आरंभ किया है,सचमुच में सभी देशद्रोही शक्तीयाँ बौखला गई है।
अनेक प्रकार से ये शक्तीयाँ मोदीजी को बदनाम करने की जी तोड मेहनत कर रही है,कोशीशें कर रही है।
इनका उद्दैश्य केवल एक ही है,देश में अराजक फैलाना और मोदीजी को बदनाम करना।
और मोदीजी भी प्रचंड ईश्वरी कृपा की वजह से हर एक देशविघातक शक्तीयों को मुंहतोड जवाब देकर उनका मुंह बंद कर रहे है।अगर देशद्रोहीयों ने कोई चाल चली तो मोदीजी उनकी चाल गहराई से उनके ही गले में लटकाते है।इसिलीए ये ताकतें और भी परेशान हो रही है।और कुछ भी भला बुरा करने पर उतारू हो रही है।
आजतक हमारे दुर्भाग्य से इन शक्तीयों को देश में पोषक वातावरण था।जो अब समाप्त हो चुका है।इसिलीए ये ताकतें देश तोडने की अनेक साजीशे रच रही है।मगर जैसे जैसे हिंदु एक हो रहे है,और सभी धर्मीय भी विकास के वास्ते मोदीजी के पिछे जा रहे है,ये शक्तीयाँ और भी बेचैन और परेशान होती नजर आ रही है।
अब सामने उन्नीस का इलक्शन भी है।वह शक्तीयाँ इस बात से डर रही है की,अगर उन्नीस का इलक्शन मोदीजी जीतते है(और जीतने वाले भी है) तो इनका नामोनिशाण मिट जायेगा।इसिलीए ये और भी बेचैन है।
इनके सभी तरीके बंद हो रहे है,और मोदीजी की शक्ती बढ रही है वैसे ये नये तरीके ढुंड रहे है।
इन्होने अब एक नया तरीका ढुंडा है।जिसे वे हथीयार बनाकर मोदीजी की बढती शक्ती को शह देना चाहते है।
अब ये हिंदुओं को ही आपस में लडवाकर शक्तीविभाजन करना चाहते है।आपस में जातीपाती में लडवाना।
अब इन्होने एक नया तरीका ढुंड लिया है।माँ भगवती को भला-बुरा कहकर दंगा फसाद बढाना।
पापीयों निराकार रुप से माँ भगवती सब देख रही है।इतने निच स्तर तक जाकर ,जिस तरह से तुम माता को बदनाम करने का षड्यंत्र खेल रहे हो,वह षड्यंत्र तुम्हारे लिए ही एक दिन घातक होगा।जिस तरह की अभद्र और हीन सिमा आपने लांख ली है,और माताजी के बारे में जो बुरे अपशब्द कहे है,तुम्हारे पाप के घडे भरते ही तुम नेस्तनाबूत हो जायवोगे।जगदंबा का धधगता तेज तुम क्या जानो पापीयों?ईश्वरी शक्ती को चैलैंज मत करो।ईश्वरी शक्ती के तेज से ही तुम सभी पापी जलकर राख हो जाओगे।
दुख की बात ये है की,सत्ता और संपत्ती के लालची मेरे ही कुछ,चंद-जयचंद देशद्रोही शक्तीयों का साथ दे रहे है,वह भी ठीक नही हो रहा है।
सावधान हो जाओ पापीयों,हिंदु देवी देवताओं की बदनामी करना छोड दो।क्योंकी अब सत्य जाग चुका है।और संपुर्ण देश में ही नही,तो संपुर्ण विश्व में भी असत्य को सदा के लिए हराने के लिए,"सत्य",आगे बढ रहा है।असत्य का विनाश करने के लिए।
नवयुगनिर्माण के लिए।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:32 pm] Papa: *💡🇮🇳 देखो मोदी ने क्या किया !? 🇮🇳💡*
कल की ही ताजी यह लिंक देख लीजिए फिर बताइए क्यों हमें मोदी की परहेज हैं.... क्या हमको काम दिखता नहीं हैं.... इतने विरोध के बाद भी दृढ़ता से अथक कार्य कर रहे मोदी को आओ हम सब मिलकर support करें....
पहले वीडियो👇👇🏻देखें
https://youtu.be/n7H_qs2B6Ps 👌
💡💡💡💡💡💡💡💡💡
*🇮🇳 बौखला गए है....।*
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भाईयों, जब से मोदीजी आये है और उन्होंने जिस प्रकार से कार्य करना आरंभ किया है,सचमुच में सभी देशद्रोही शक्तीयाँ बौखला गई है। अनेक प्रकार से ये शक्तीयाँ मोदीजी को बदनाम करने की जी तोड मेहनत कर रही है,कोशीशें कर रही है। इनका उद्दैश्य केवल एक ही है,देश में अराजक फैलाना और मोदीजी को बदनाम करना।
और मोदीजी भी प्रचंड ईश्वरी कृपा की वजह से हर एक देशविघातक शक्तीयों को मुंहतोड जवाब देकर उनका मुंह बंद कर रहे है।अगर देशद्रोहीयों ने कोई चाल चली तो मोदीजी उनकी चाल गहराई से उनके ही गले में लटकाते है।इसिलीए ये ताकतें और भी परेशान हो रही है।और कुछ भी भला बुरा करने पर उतारू हो रही है।
आजतक हमारे दुर्भाग्य से इन शक्तीयों को देश में पोषक वातावरण था।जो अब समाप्त हो चुका है।इसिलीए ये ताकतें देश तोडने की अनेक साजीशे रच रही है।मगर जैसे जैसे हिंदु एक हो रहे है,और सभी धर्मीय भी विकास के वास्ते मोदीजी के पिछे जा रहे है,ये शक्तीयाँ और भी बेचैन और परेशान होती नजर आ रही है।
अब सामने उन्नीस का इलक्शन भी है।वह शक्तीयाँ इस बात से डर रही है की,अगर उन्नीस का इलक्शन मोदीजी जीतते है(और जीतने वाले भी है) तो इनका नामोनिशाण मिट जायेगा।इसिलीए ये और भी बेचैन है।
इनके सभी तरीके बंद हो रहे है,और मोदीजी की शक्ती बढ रही है वैसे ये नये तरीके ढुंड रहे है।
इन्होने अब एक नया तरीका ढुंडा है।जिसे वे हथीयार बनाकर मोदीजी की बढती शक्ती को शह देना चाहते है।
अब ये हिंदुओं को ही आपस में लडवाकर शक्तीविभाजन करना चाहते है।आपस में जातीपाती में लडवाना। अब इन्होने एक नया तरीका ढुंड लिया है।माँ भगवती को भला-बुरा कहकर दंगा फसाद बढाना। पापीयों निराकार रुप से माँ भगवती सब देख रही है।इतने निच स्तर तक जाकर ,जिस तरह से तुम माता को बदनाम करने का षड्यंत्र खेल रहे हो,वह षड्यंत्र तुम्हारे लिए ही एक दिन घातक होगा। दुख की बात ये है की,सत्ता और संपत्ती के लालची मेरे ही कुछ,चंद-जयचंद देशद्रोही शक्तीयों का साथ दे रहे है,वह भी ठीक नही हो रहा है।
सावधान हो जाओ पापीयों,हिंदु देवी देवताओं की बदनामी करना छोड दो।क्योंकी अब सत्य जाग चुका है।और संपुर्ण देश में ही नही,तो संपुर्ण विश्व में भी असत्य को सदा के लिए हराने के लिए,"सत्य",आगे बढ रहा है।असत्य का विनाश करने के लिए।
नवयुगनिर्माण के लिए।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
*राम मंदिर केस कि सुनवाई में अकेले सुब्रमण्यम स्वामी जी के सामने विपक्ष के 51वकील ! वाह डर हो तो ऐसा हो..!!*
🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩
[23/01 2:32 pm] Papa: ऐ मेरे दोस्त।
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ऐ मेरे दोस्त सदा तू
खुश रहना।
चाहता हुं मैं तेरे जीवन में
खुशींयों का माहौल
बनाए रहना।
तु कभी भी ना हो उदास
ऐ मेरे दोस्त
जीवन में हो तेरे
आनंद ही आनंद और हो नितदिन उजाला
हरदिन तु मस्त रहना।
दुख की छाया भी
तुझपर कभी ना आयें
भगवान को मेरा नितदिन है यही कहना।
अगर गलतफहमीयों में
आकर भी मेरा दोस्त
मुझे छोड भी जाएं,
मुझसे नफरत भी करें
तो भी मेरे दोस्त तु
सदा खुश रहना।
बन गया मेरा दोस्त भी
अगर मेरा दुश्मन
तो भी मैं तेरे लिए
दोस्त जीवनभर के लिए
दुवां ही करूंगा।
ऐ मेरे दोस्त कभी
मत बनना उदास,हताश।
जीवन की कठीनाईंयाँ
तु हंसके पार करना।
ऐ मेरे दोस्त तु सदा
खुश और खुश ही रहना।
तु दोबारा मिले ना मिले
जीवन भर तुझे ढेर सारी खुशीयाँ ही मिले
यही है भगवान को
मेरा कहना।
ऐ मेरे दोस्त तु खुश ही
रहना।
दुख में तु कभी ना आंसु बहाना।
ऐ मेरे दोस्त।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:32 pm] Papa: धर्मग्लानी
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एक कंकर हाथ में लिया
और युंही फैंक दिया।
तब समझ में आया
ये मृगजल है या पाणी है
मृगजल से कुछ तरंगे
उठती नही और....
तरंगो से अंदाजा आया
की पाणी किस
तरह का है? दोस्तों....
कुछ फायदा नही...
ये तो ग्लानि है ग्लानि।
धर्मग्लानी है ये
मेरे प्यारे मित्रों......
कुछ फायदा नही...
ना व्हाटस्अप कुछ करेगा ना फेसबुक।
ना की,"कोई सुदर्शन।"
यहाँ तो हमारे ही कितेक मरे पडे है।
तो कोई भाईयों,
"दुर्योधन",से जा मिले है
और जो जींदा है वो
"मुसीबतों"को स्विकार कर ,"अकेले",ही चल रहे है।
ये तो सचमुच में मेरे प्यारे दोस्तों,"धर्मग्लानी",ही है...तो तुम अब .....
क्या करोगे?????
अब जरूरत है क्रांती की और महाक्रांति की।
अब जरूरत है,"विश्वक्रांती",की।
अब जरूरत है चैतन्य की और अमृत की..
जो मरे हुए है उन्हे
पुनर्जीवित करने के लिए
अमृत की...मगर..
अकेले लडेंगे तो?
कुछ फायदा नही।
अब मतभेद भुलकर
संगठीत होकर....
"सभी शक्तीयों को",
एक करके..
जरूरत आ पडी है
"पुनर्स्थापना",की।
पाणी की तरंगे तो
देखी मैने एक कंकर फैंककर.....
जो जींदा है उन्हे ही अब
मरेहुए को अमृतपान
करना ही होगा।
हरेक का चैतन्य जगाना
ही होगा.....
"जयचंदो",को भी समझाना होगा।
मस्ती में चूर है उनका
होश जगाना होगा।
"घर",छोडकर जानेवालों को प्यार से
वापस लाना होगा।
विश्व में संगठित अती
अत्यार करने वालों के
विरूध्द,"शक्तीमान",
संगठन द्वारा सभी
मानवता वादीयों को
अब एक करना ही होगा।
अब तो जरुरत है???
"महाक्रांति," की।
अब हमें होश में रहकर
"जल्लोष",के साथ
पुरी दुनीया को जगाना
होगा,दुनिया को अब
हमें हिलाना होगा।
और...हम सब...
एक होकर..वज्रमुठ बनाकर... संगठीत होकर...नामुमकीन को भी मुमकीन में बदल ही देंगे...मन है हमारे..
विश्वास.. पुरा विश्वास.
और इस नेक काम के लिए भगवान भी...
चौबिसो घंटे है हमारे साथ..तो.....?
डर किस बात की...?
चलते रहो..मंजील की
ओर..एक एक कदम
बढाते चलो।
आज से...अभी से..
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:32 pm] Papa: ।। विजयादशमी।।
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विश्व के कोने कोने में बसे हुए मेरे सभी हिंदु भाईयों को,हिंदुधर्म पर,संस्कृती सच्चा प्रेम
करनेवाले विश्व के सभी धर्मीय मानवतावादियों को आज की विजयादशमी की पावन तिथी की अनेक शुभकामनाएं।
भाईयों आज ही के दिन हम सभी पवित्र संकल्प करते है की,संपुर्ण विश्व पर सच्चाई का,मानवता का,इंन्सानीयत की पूजा करनेवालों का,ईश्वरीराज्य तथा रामराज्य आ जायें।जिसमें सभी जाती धर्म आपसी बैर भुलकर आपसे में सच्चा प्रेम करें।आपस में भेदभाव, बैर को खतम करें।सभी पशुपक्षीयों पर भी सच्चा प्रेम करें।हम सभी एक होकर ईश्वरी कानुन से चलें।
यही तो विश्वबंधुत्व है।यही तो आदर्श सिध्दांत है।जो भगवान राम ने आदर्श स्थापीत किए है,सभी विश्व उस आदर्शों का पालन करें।
सभी का उद्गम भी ऐसे ही महान संस्कृती से ही है।सभी का मूल एक ही है।सभी राम कृष्ण की ही संतानें है।तो????
सभी मिलकर एकसाथ चलो रामराज्य की ओर।
जय श्रीराम।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:32 pm] Papa: देश के मुस्लीम रोंहिग्या मुसलमानों के लिये आक्रमक हो रहे है।और..हमारे हिंदु रोहिंग्या के खिलाफ आक्रमक होने के बजाए मोदीजी के खिलाफ आक्रमक हो रहे है।🤔
सब कमाल ही कमाल है।ये भुल गए मुगल अंग्रेजों के अत्याचारों को?
एक सच्चै शेरदिल, राष्ट्रप्रेमी के खिलाफ मेरे ही लोग?
यार कुछ समझ में नही आता है।
V.K.M.
[23/01 2:32 pm] Papa: चलते चलते।
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मोदीजी के विरोध में
सब भेडीयें एक भी
हो जाएं या फिर
चाहे कोई कितनी भी
नौटंकी करने दो।
जनता सब असलियत
जानती है,पहचानती है
चाहे कोई कितनी भी
ड्रामेगिरी करों
उन्नीस को केवल और केवल मोदीजी को ही
जी हाँ,मोदीजी को ही
चुनने वाली है।
फिर क्या करेंगे सारे?
मस्तिष्क फोड देंगे
खुदका?
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:32 pm] Papa: अहिंसा।
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भाईयों, आप सभी को एक चुभता प्रश्न।क्या सचमुच में हमें आजादी"अहिंसा,"से ही मिली है?
आप सभी से मुझे योग्य,तर्कसंगत, न्यायोचित उत्तर चाहिए ही।आपकी आत्मा को पुछो,सही उत्तर मिलेगा।
मँनमार।अहिंसावादी बौध्द धर्म को माननेवाला छोटासा देश।रोहिंग्या जब भयंकर आक्रमक हुए तब बौध्दौ ने अहिंसा छोडकर,हिंसा का जवाब हिंसा से शुरू किया।
हमारे दस मारोगे तो तुम्हारे एक हजार मार दिये जायेंगे।
परीणाम?रोहंग्याईयों का अत्याचार खतम।
अब हमारे देश की स्थिती।क्या हम ऐसे मौके पर हाथ पर हाथ रखकर,मौन और शांत बैठे रहें?
या एक गाल पर मारा तो दुसराँ गाल भी आगे करेंगे?मतलब,क्या हमारे आतंकवादीयों से हो या दुसरे किसीसे, हमारे दस मारने के बाद क्या हम उन्हे हमारे और दस मारने को दें?
ऐसे तथ्यहीन अहिंसा वाद ने और झुटे धर्मनिरपेक्षता से हमारे समाज को केवल खोखला ही नही किया है तो, पौरूषहीन और नपुंसक भी बना दिया है।
क्रूरकर्मा दुर्योधन के सामने अगर भगवान श्रीकृष्ण युध्द और हिंसा की बजाय अगर अहिंसा का पाठ पढाता तो क्या होता?
और जब हमारे भगवान भी अहिंसा सिखाते सिखाते योग्य समय के लिए हिंसा भी सिखाते है,तो क्या हमारे भगवान भी गलत है?
और अगर हमने भगवान को भी गलत शाबीत किया तो हमारे जीवन में क्या अर्थ रहा?क्या भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवतगीता में गलत संदेश दिया था?नही।
तो फिर हमें ऐसी मुर्खता पुर्ण अहिंसा कोई सिखाएगा, और इससे समाज की देश की भयंकर बुरी स्थिती बनें,तो भी हम अधुरी और झुटी अहिंसा स्विकार करें?
जो अहिंसा हमारा अस्तित्व ही मिटाने पर तुली हो,उसका हम स्विकार करें?
एक बार नहीं सौ बार सोचो।
इसिलिए दोस्तों,अहिंसा कहने को ठीक है,मगर इससे सभी प्रश्न नही समाप्त होते नही है।
और....
ना ही हमें आजादी, बिना खड्ग बिना ढाल मिली है।अनेक लोगों ने आजादी के लिए अपना खून बहाया है।अब ये झुटी कहानियों को बंद भी कर दो।उन क्रांतीकारीयों का अपमान करना अब बंद भी करो।
मैं हिंसा का समर्थन वैयक्तीक तौर पर नही करता।मगर पापीओं को योग्य सजा दिलाने का और योग्य समय पर मृत्युदंड भी देने का अधिकार एक भगवान को, और दुसरा राजा को होता है।
तो राजा को मतलब सरकार को अपने अधिकारों का ,रोंहिग्या के खिलाफ कार्रवाही करने का पुरा हक है।देशहीत और समाजहित के लिए सरकार योग्य ही कर रही है।उस हक के आडे कोई भी मत आवो।सरकार को अपना काम करने दो।
रोंहिग्या के पक्ष में जनहित याचिका दायर करने का किसी को भी नैतिक अधिकार नही है।याचिका दायर करने वालेवालें देशहीत के लिए फिर से सोचे और याचिका वापिस लें।
नही तो तुम्हारी स्थिती,"ना घर का,ना घाट का,"रहेगी।
और समाज, जनता,नियती और खुद ईश्वर भी तुम्हे कभी भी माँफ भी नही करेगा।क्षमा कदापि नही करेगा।
देशहित के लिए जागो।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:32 pm] Papa: चलते चलते।
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शुक्राचार्य गुरु थे
मगर दैत्यों के।
ईश्वरपुत्रों और सत्यप्रेमीयों के खिलाप
अगर शुक्राचार्य दानवों
को संजीवनी देते तो मैं.
शुक्राचार्य को क्यों मानूं????
हमारे देश आज भी
आधुनिक शुक्राचार्य
पूजे जाते है।
जिन्होने असुरों को बडा किया और सत्यप्रेमीयों को तथा ईश्वरपुत्रों के साथ भयंकर अत्याचार
किया।
मैं ऐसे शुक्राचार्यों को
क्यों मानूं?
जो मेरे संस्कृती को ही
तबाह करनेपर तुले है।
भविष्य में और एक
शुक्राचार्य आ रहे है
ईशपुत्रों सावधान।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:35 pm] Papa: मोदीजी।
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अपना खून पसीना एक करके,दिन रात एक करके,मोदीजी नवराष्ट्र निर्माण कर रहे है।मगर मोदीजी का यह वास्तव जिसे समझ में नही आता,और उनके कार्य के ही -कुछ लोग,विषेतह: मेरे हिंदु लोग,खिल्ली उडाते है,कुछ गलत बोलते-लिखते है,उनके बारें में तो सचमुच में मुझे भयंकर गुस्सा तो आता ही है।और बुरा भी लगता है।बहुत बुरा लगता है।
मोदीजी ने तीन साल में ही केवल देश इतने उंचाई पर पहुंचाया है की हर भारतीयों को गर्व होना चाहिए।विश्व पटल पर उन्होने हमारे राष्ट्र की जो शक्ती बढाई है,सचमुच में अचंबीत करने वाला कार्य किया है।
और हमारे ही कुछ मुर्ख लोग उनके बारें में गलत लिखते बोलते है।बिना विचार किये।
ऐसी मुर्खता की वजह से हमारे देश का धर्म का बहुत नुकसान हुवा है।
मगर इन्हे क्या?विरोधी मत बताना।और विरोधी बोलते रहना।व्यर्थ बकबक करना।
पुछते है,मोदीजी ने तीन साल में क्या किया?
अरे कुछ नही किया तो तुही तेरे अकल पर प्रधानमंत्री बनके दिखाना।और सभी प्रश्न तीन साल ही क्या,तीन महीने में ही छुडाके दिखा।रोकता कौन है?
सचमुच में भाईयों हमारे देश में सदीयों से जो सच्चे और अच्छे कार्य कर रहे है,उनकी किमत करनी तो छोडो,उन्हे बहुत पिडा एवं तकलिफें ही देनेवाले बहुत मिलते है।बहुत असुरी आनंद मिलता होगा ऐसे लोगों को।
अती विद्वान।।।।।
खुद कुछ नही करते,दुसरा कर रहा है उसे करने नही देते।उसकी ही टांग अडाते रहते है।और उपर से नशीब को कोसते रहते है।
अभी तो आँखे खोलो।जो सच्चा और अच्छा है,उसकी किमत करो।
मुर्खता से हमारा आजतक अती भयंकर नुकसान हुआ है।
ईश्वरी कृपा से समझो या फिर हमारे नशीब से समझो,हमें अनेक सालों बाद एक बहुत ही बेहतरीन, लाजवाब नेता मिला है।एक चमकता तारा।उस पवित्र आत्मा की शक्ती बढाओ।कम से कम उसकी शक्ती तो खच्ची मत करो।
आखरी एक सत्य बात,दिल की-आत्मा की,"चाहे कोई कितनी भी कोशीश करें उस ईश्वरी आत्मा को झुकाने की।वह आत्मा ना झुकेगा-ना गिरेगा।वह एक फौलाद है।उसे जो चाहिए वह करके ही दिखाएगा।और जो करना है करके ही रहेगा।देश बदलेगा।समाज बदलेगा।राष्ट्र को फिर से गौरवान्वीत करके ही रहेंगे।"
"ईश्वर का दूत।तुम क्या बिगाडोगे उसका?"
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:35 pm] Papa: *"वो"और*"हम"
गहराई से सोचो!!!!!
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*"वो"सौ प्रतीशत धर्म के प्रती जागरूक रहते है।
*"तुम"कितने प्रतीशत जागरुक रहते हो?पाँच प्रतीशत?जादा से जादा दस प्रतीशत?
*"वो"सौ प्रतीशत धर्म के प्रती मर मिटने को तैय्यार रहते है।
*"तुम"कितने प्रतीशत धर्म के लिए मर मिटने को तैय्यार रहते हो?
*"वो"अपने धर्म के प्रती कोई बुरा बोला तो तुरंत एक्शन लेते है।दंगा फसाद शुरू करते है।
*"तुम"कितने प्रतीशत धर्म के विरुद्ध बोलने पर तडपते हो।उलटा जो हमारे खिलाप बोलता है उसका ही साथ देते हो।हमारे ही देवतांओं की खिल्ली उडाते हो।हँसी मजाक उडाते हो।
"वो"सदैव एक होकर तुम्हे भगाने का सोचते है।
*"तुम"हमेशा भागते रहते हो।
*"उन्हे"कोई धर्म के प्रती जगाता है तो संपुर्ण शक्ती से तन-मन-धन से उसे देवदूत समझकर संपुर्ण शक्ती से उसके पिछे तुरंत खडे हो जाते है।सभी के सभी।
*"तुम्हे"कोई सत्यज्ञान देकर जगा रहा है,तो अपने ही कितने लोग उसके पिछे तुरंत खडे हो जाते है?कितने प्रतीशत उसके पिछे खडे रह जाते है?वह चिल्लाचिल्लाकर असलियत बता रहा है,तो कितने लोग उसका सुनते है?और हमारे ही कितने लोग उसकी हँसी मजाक उडाते है?उलटा "उनको"साथ देते है।
*"वो"कभी आपस में,जातीपाती में लडते नही।
*"तुम"आपस में और जाती पाती में लडलडकर ही मरते हो।
*"उनको"कार्य के लिए तुरंत यहां से भी और देश विदेश से भी भरमार पैसा आता है।
*"तुम्हे"कार्य के लिए विदेश से छोडो यहाँ सेभी पैसा तो मिलता ही नही।उलटा कभी गालीयाँ भी मिलती है-हमारे ही लोगों से।कभी कभार जेल में भी भेजते है-हमारे ही कुछ लोग।और सच्चा आदमी जेल जाने के बाद हमारे ही लोग"दिवालीयाँ"मनाते है।
तो???
*"वो"आगे आगे चल रहे है।
*"हम"पिछे पिछे हटते जा रहे है।
अब बोलो।
क्या यही वास्तव
है या मैं ही गलत लिख रहा हुं?
सोचो।।।
*"हमें"जगाने के लिए स्वर्ग से प्रत्यक्ष भगवान भी आयेगा ना,तो हम उसे भी भगाएंगे।
तो हम जीतेंगे कैसे?
एक बार नही,बार बार सोचो।
अच्छा लगा तो जागो।नही लगा तो छोड दो।
-----------------------------
-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:35 pm] Papa: अनीलजी,दो ग्रुप बनाने का मतलब है एक विश्व हिंदु धर्म की जीत।जीसमें अलग सदस्य है।और विश्व क्रांती हिंदु संगठन।जीसमें कुछ एक्टीव सदस्य अलग है।
अगर दोनों ग्रुप का मकसद एक ही है,मगर रास्ते भिन्न है।
आपको जो भी ग्रुप पसंद है,या दोनों पसंद है तो दोनों में रहीये।धिरे धिरे आपको ,"व्यूह-रचना"का और जीत का अंदाजा आ जायेगा।
और कोई संदेह है तो जरुर बताना।कोशीश करूंगा की आपको सही समाधान मिल सके।
हरी ओम।
🙏🕉
[23/01 2:35 pm] Papa: आदरणीय विनोद महाजन जी जब आपने एक ग्रुप बनाया है, तो मेरे ख्याल से पहले उसकी जो लिमिट है, वह 256 है, जब उसमे उतने लोग हो जाते, तब दूसरे ग्रुप को बनाना चाहिए, था, बाकी आप इसपस्टिकरण दे सकते है, की 2-2, ग्रुप बनाने की क्या आवश्यकता है, यह तो आप ही बता सकते है, हमने तो अपना विचार रखा है।
[23/01 2:35 pm] Papa: 🕉🚩धर्म 🚩 🕉
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जो सत्य है,जो चिरंतन है,जो निरंतर है,जो सनातन है,जो ईश्वर निर्मीत है और ईश्वरी सिध्दांतो पर,कुदरत के नियम अनुसार चलता है,वही धर्म है।
जो आत्मा का ज्ञान,परमात्मा का ज्ञान,ब्रम्हांड का ज्ञान ,चौ-याशी लक्ष योनीयों का ज्ञान देता है वही धर्म है।
जो सभी सजीवों में आत्मतत्व जाणता है,जो भूतदया सिखाता है,जो पशुपक्षीयों में भी भगवान देखता है,वही धर्म है।
इसिलिए हिंदुधर्म में गाय हमारी माता है,नाग हमारी देवता है।
सर्वव्यापक सही,सच
चा,अच्छा,तर्कसंगत ज्ञान जो सिखाता है वही असली धर्म है।
जो नर में नारायण और नारी में नारायणी देखता है वही असली धर्म है।
जो नर को नारायण और नारी की नारायणी बनाता है वही धर्म है।
जो जन्म मृत्यु की खोज करता है,जो पुनर्जन्म और पुर्वजन्म का सही संशोधन और विवेचन करता है वही सच्चा धर्म है।
जो भुमाता पर,ब्रम्हांड पर,ईश्वर पर,इंन्सानीयत पर,मानवता पर प्रेम करने को सिखाता है,वही सच्चा धर्म है।
जो हर सजीव में पंचमहाभूत और आत्मतत्व देखता है वही सच्चा धर्म है।जो पिंड और ब्रम्हांड में एकरुपता देखता है,समझता है,अनुभव करता है वही धर्म।
और.....
जो ईश्वरी सिध्दांतों के विपरीत चलता है,कुदरत का भी कानुन नही मानता है,हम करें सो कायदा समझता है,
वह धर्म कभी भी नही हो सकता।जो सदैव अन्याय अत्याचार ही सिखाता है,वह धर्म कभी नही हो सकता।जो स्र्तियों की पशुपक्षीयों की पुजा करना नही सिखाता बल्की उनपर ही अन्याय अत्याचार करना सिखात है ,वही धर्म नही हो सकता।
इतिहास में देखो,ऐसे अनेक मत-पथ-पंथ तैय्यार हुए,जिन्होने ईश्वर का अस्तीत्व नकारा और इंन्सानों का अस्तित्व स्विकारा वह कालचक्र में नामशेष हो गए।
और मविष्य में भी ऐसा ही होनेवाला है।
"अहंब्रम्हास्मी"बनकर ,समझकर अगर कोई ईश्वरी सिध्दांतो के विपरीत चलता है,कुदरत का कानुन भी तोड मरोड देता है,उसका अस्तित्व कुछ दिनों के लिये जरुर होता है।मगर खुद ईश्वर,खुद नियती,कुदरत ऐसे अयोग्य,अत्याचारी कानुन समाप्त कर ही देता है।और फिर से ईश्वरी कानुन की पुनर्स्थापना करता है।यह सब समय पर निर्भर रहता है।
और यदी सृष्टीचक्र, सजीव प्राणीमात्र किसीके आक्रमण द्वारा संकट में पड जाते है तब,नियती विविध माध्यमों द्वारा इसमें हस्तक्षेप करती है और फिर से सृष्टीचक्र ठीक किया जाता है।
जब सत्य और ईश्वर निर्मीत सत्य सनातन घोर संकटों के दौर से गुजर रहा होता है,तो ईश्वर और नियती समय समय पर इसमें हस्तक्षेप करके सबकुछ ठीक करती है।
अनेक महात्मे,सिध्दपुरुष, महापुरुष, अवतारी पुरूष,संत सज्जन ,ईश्वरी इच्छा से आते है और कभी गुप्त रुप से तो कभी प्रकट रुप में कार्य करते है।और ईश्वरी कानुन का स्थान अबाधित रखते है।
आद्य शंकराचार्य, अक्कलकोट स्वामी, संत ज्ञानेश्वर, नामदेव,एकनाथ, रामदास,शिवाजी, महाराणा जैसे अनेक पवित्र आत्मे ईश्वरी शक्ती से आकर कार्य करते है।
कभी अधर्म का विरोध करते है,तो कभी धर्मरक्षा के साथ धर्मवृध्दी भी करते है।
वर्तमान समय में क्या चल रहा है?जो अत्याचारी है , अमानवीय है वही थोडे दिनों में ईश्वरी इच्छा के अनुसार नामशेष होनेवाले है।और जो केवल ईश्वर निर्मित है,सत्य सनातन है,वही अनादी अनंत काल तक,जो अनादी अनंत काल से चलता आया है,वही केवल एकमात्र अनंत काल के लिए चिरंतन रहने वाला है।
तो दोस्तों,हम कौन है?हम सभी अनादी अनंत है।फिर भी,ईश्वरीइच्छेअनुसार,"पुनर्जी
तो चलो सभी मिलकर एकसाथ, उस सत्य की ओर।सत्य की जीत की ओर।यही अंतीम सत्य है।जो हमें स्विकारना है।और अमानवीय तत्वों की हार करनी है।संपुर्ण पृथ्वी पर।।।।।
आवो सब मिलकर इस अभियान का आरंभ करते है।साथ साथ।एकसाथ।
हरी ओम।
🕉🚩🕉🚩🕉🚩
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 2:35 pm] Papa: हिंदुओं सोते रहो।
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मोदीजी, दिनरात एक करके देश का सम्मान बढा रहे है।खुद की परवाह किए बगैर।
देश की आन-बान-शान वह पवित्र आत्मा देश विदेश में घुमघुमकर बढा रहे है।संस्कार-संस्कृती को देश के और विश्व के कोने कोने में फैला रहे है।
और हम बदनशीब ...
उनको ही कोस रहे है।कभी पेट्रोल के नाम,कभी बुलेट ट्रेन के नाम।तो कभी कोई और कारण।
सचमुच में हमें शरम आनी चाहिए।देश के लिये जिन्होने अपना घर द्वार सबकुछ छोड दिया...उन्हीको को भला बुरा कह रहे है,उन्ही को भलाबुरा कह रहे है???
भुल गए हम परकीय आक्रमणकारीयों के अत्याचार?भुल गए हम वह भयंकर क्रौर्य?भुल गए हम हमारी संस्कृती पर आक्रमण करनेवालों को,हमारे मंदीरों को गिराने वालों को,भुल गए हम हमारे शिवाजी, संभाजी,महाराणा,पृथ्वीराज पर अती अत्याचार करने वालों को?भुल गए हम राजपुत औरतोँ ने अग्नीप्रवेश किया उसको।
सत्ता और संपत्ती के चंद लालच में हम सचमुच में इतना गिर सकते है?
एक तो भयंकर अत्याचार की आग लगी है देश में इन आक्रमणकारीयों द्वारा।और अनेक मेरे हिंदु भाई एक तो सो रहे है,या सत्य का विरोध कर रहे है।
देश एक भयंकर षड्यंत्र से गुजर रहा है।इसी कठीण समय में हमे हिंदुओं को सभी मतभेद-जातीभेद भुलकर,राष्ट्रनिर्माण के लिए एक होना ही चाहिए।और मोदीजी जैसे महात्मा के पिछे अपनी सारी शक्ती खडी करनी चाहिए।
मतभेद भुल जावो मेरे भाईयों।आपस में लडना छोड दो।संगठन शक्ती बढाओ।नवराष्ट्र एवं नवसमाज निर्मीती के लिये मोदीजी का साथ दिजीए भाईयों।नही तो सब अनर्थ हो जायेगा।इस देश का पाकीस्तान बनाने में देर नही लगेगी।पहले भी हम अनेक आघात झेल चुके है।देश में जगह जगह मिनी पाकिस्तान बन रहे है।खतरा तेजी से बढ रहा है।आक्रमणकारी अपनी सभी शक्ती कार्य में ला रही है।आमने सामने भी और गुप्त रूप से भी वह विनाशकारी शक्तीयाँ देश को,धर्म को,संस्कृती को बर्बाद करने के लिए बैठी है।
मोदीजी का विरोध करके हम दुर्भाग्य से ऐसे विनाशकारी शक्तीयों का ही साथ दे रहे है।
भाईयों सावधान।हाथ जोडकर सभी को नम्र निवेदन करता हुं की,कृपया मोदीजी का विनावजह विरोध करना छोडीये।और उनके पिछे संपुर्ण शक्ती से खडे होकर सत्य की,देश की,धर्म की,संस्कृती की शक्ती बढाओ।
जागो।सोचो।आँखे खोलो।समय बहुत कठीण है मेरे प्यारे भाईयों।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन,राष्ट्रीय प्रभारी,मिडिया शक्ती,मोदी वाहीनी।
[23/01 2:35 pm] Papa: *क्या आपने कभी इन पश्चिमी philosophers को पढ़ा है:*
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1. *लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910):*
"हिन्दू और हिन्दुत्व ही एक दिन दुनिया पर राज करेगी, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है"।
2. *हर्बर्ट वेल्स (1846 - 1946):*
" हिन्दुत्व का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा । तभी एक दिन पूरी दुनिया उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही दिलशाद होंगे और उसी दिन दुनिया आबाद होगी । सलाम हो उस दिन को "।
3. *अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955):*
"मैं समझता हूँ कि हिन्दूओ ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।
4. *हस्टन स्मिथ (1919):*
"जो विश्वास हम पर है और इस हम से बेहतर कुछ भी दुनिया में है तो वो हिन्दुत्व है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी"।
5. *माइकल नोस्टरैडैमस (1503 - 1566):*
" हिन्दुत्व ही यूरोप में शासक धर्म बन जाएगा बल्कि यूरोप का प्रसिद्ध शहर हिन्दू राजधानी बन जाएगा"।
6. *बर्टरेंड रसेल (1872 - 1970):*
"मैंने हिन्दुत्व को पढ़ा और जान लिया कि यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है । हिन्दुत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिन्दुत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे । एक दिन ऐसा आएगा कि हिन्दू ही दुनिया की वास्तविक उत्तेजना होगा "।
7. *गोस्टा लोबोन (1841 - 1931):*
" हिन्दू ही सुलह और सुधार की बात करता है । सुधार ही के विश्वास की सराहना में ईसाइयों को आमंत्रित करता हूँ"।
8. *बरनार्ड शा (1856 - 1950):*
"सारी दुनिया एक दिन हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेगी । अगर यह वास्तविक नाम स्वीकार नहीं भी कर सकी तो रूपक नाम से ही स्वीकार कर लेगी। पश्चिम एक दिन हिन्दुत्व स्वीकार कर लेगा और हिन्दू ही दुनिया में पढ़े लिखे लोगों का धर्म होगा "।
9. *जोहान गीथ (1749 - 1832):*
"हम सभी को अभी या बाद मे हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा । यही असली धर्म है ।मुझे कोई हिन्दू कहे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं यह सही बात को स्वीकार करता हूँ ।"
*Plz share to your contacts*
[23/01 8:14 pm] Papa: चलते चलते।
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हम लडते रहे आपस में
कभी जाती के नाम
कभी धन दौलत के नाम।
उन्होने भी क्या चाल चली?
कभी आर्थीक विषमता के नाम पर तो कभी जातीयवाद के नाम पर।
वो हमें लडाते रहे
और हम बिना सोचे लडते रहे।
हमे आपस में वो लडाते रहे वो खुद की शक्ती बढाते रहे।
आजादी के बाद तो
भयंकर हुवा।
हमारे वंदनीयों को
गुनहगार शाबीत करने का षड्यंत्र हुवा।
और देशद्रोहीयों को
प्यार संन्मान मिला।
आतंकवादी बन बैठे मेहमान और...
राष्ट्रप्रेमीयों को बनाया बदनाम।
अब तो जाग जावो।
सत्य की शक्ती बढाओ।
लडाई झगड़ा छोड दो।
क्यों की हम माँगनेवाले
या लेनेवाले नही तो
हम सदा दयालु,महान
देनेवाले और परोपकारी रहे है।
हमारी संस्कृति भी ऐसी ही शिक्षा देती है।
इसीलीए भारतीय संस्कृती विश्व में महान है।
हम सदीयों से महान थे
महान है और महान ही
रहेंगे।
धन से मन से विचारों से
और संस्कारों से भी।
वचन पुर्ती के लिए हमारे यहां हमारा भगवान राम भी राजऐश्वर्य छोडकर
बनवास चला जाता है।
इसीलिए आज भी हम
राम की पुजा करते है
तो दुष्ट रावण के
पुतले जलाते है।
इसीलिए हम खुद भुके रहकर दुसरों को
रोटी खिलाते है।
हमारी संस्कृती त्याग,तपस्या,बैराग्य की है।
मगर आज हमें क्या हो गया है?
हम आपस में ही लड लडकर मर रहे है।
और शत्रु को बडा कर रहे है।
असलियत जानो पहचानो।
खुद को पहचानो।
हम स्वार्थी नही परमार्थी है।हम सभी खुद राम कृष्ण के
परशुराम वामन के
सिध्दांतो पर चलने वालें है।
हम तपस्वी,त्यागी,संस्कारित है।
भाईयों भविष्य में हमें
और हमारी अगली पिढी को धन से,मन से
विचार और संस्कारों से
अमीर बनना और
बनाना है तो
मतभेद भुलकर एक होना ही चाहीए।
संस्कृती बचाव,देश बचाव और...
मानवता बचाव।
बोलो,मैं सच कहता हुं
या फिर झूट?सोचो
जागो।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:14 pm] Papa: विसोबा खेचर।
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विसोबा खेचर,
बहुत ही बडे संत एवं सिध्दयोगी थे।
महादेवजी की पिंडी पर शिवलिंग पर दोनो पैर रखकर बैठते थे।
और खुद महादेवजी सहित सभी स्वर्गीय देवता भी,
विसोबा खेचरजी से
प्रेम भी करते थे।
और.....
हमारे महान संत नामदेवजी महाराजजीके गुरु भी थे
जीन नामदेवजीने पंजाब में भी बहुत बडा ईश्वरी कार्य किया।
सब विचित्र लिला हैना दोस्तों महापुरुषों की।
और खुद सृष्टीरचीयेता
खुद ईश्वर की भी?
उसकी लिला वोही जाने
पहचाने।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:14 pm] Papa: फ्रेंडस्
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फेसबुक,व्हाटस्अप पर अपने अनेक दोस्त होते है।
कोई व्हीआयपी होते है,कोई सामान्य होते है।
कोई हमेशा बोलता(मतलब लिखता) रहता है,तो कोई मौन रहता है।तो कोई कभी कभार हजेरी लगाता है।कोई हमेशा बकबक करता रहता है।
अगर उन दोस्तों को हमने पर्सनल अकाउंट पर कुछ महत्वपुर्ण काम के लिए मेसैज दिया तो कोई तुरंत और हँसकर उत्तर देते है।कोई मेसैज पर मेसैज देने के बावजुद भी ,"हुप्प",मुंह बनाके रहते है।उन्हे कितने भी मेसैज दो,कुछ भी उत्तर नही देते है।अगर महत्वपुर्ण विषय हो तो उत्तर तो देना ही होगा ना?
कुछ व्यक्ती तो ऐसे होते है की,ग्रुपपर बडी बडी बाते करते है।और किसीने उनको अनेक मेसैज दिये तो भी ध्यान ही नही देते है।विषय अगर सिरीअस हो य
तब भी।
कम से कम नमस्कार लिखने बाद,चाहे कोई कितना भी बडा हो,उत्तर में नमस्कार या और कुछ लिखना ही होता है ना?
मगर...
आखिर इंन्सानियत का भी कोई नाता होता है।और हमारी संस्कृती तो दुश्मन को भी अगर वह शरण आया है तो,उसे भी बडा दिल दिखाने को कहती है।
हम तो सभी दोस्त।क्यों एक दुसरे के लिए हम थोडा दिल बडा करें?सही या गलत आप ही बताए।
जीवन भगवान ने दिया है।मस्त खुश होकर,सभी को आनंद,चेतन्य देकर जिओ।मुस्कुराते,हँसते दो दिन का जीवन का मेला हम सभी क्यों ना गुजारे? कल क्या होगा किसे पता।आज आपके हाथ समय है।
आनंद बढाते रहो।हँसी खुंशी बढाते रहो।प्यार बांटते चलो।
तुम्हारे केवल दो प्यार के शब्दों से किसिकी जींदगी संवर जाएं या उसे उच्च स्वर्गीय आनंद मिल जाए,तो इससे बडा आनंद हमारे जीवन में क्या हो सकता है।ईश्वर भी शायद ऐसे आनंद से आनंदीत होंगे।
प्यार बाँटते चलो।आनंद बाँटते चलो।खुशीयाँ बाँटते चलो।चैतन्य बाँटते चलो।
अगर ईश्वर को भी पाना हैतो,पहले उसे भी आनंदीत करना पडता है।हुप्प मुँह बनाकर उसके सामने जायेंगे तो प्रभु भी भाग जायेंगे।
मेरे कुछ दोस्त मुझे कहते है,तेरे जैसा लिखना हमें नही आता।
ठीक है,कम से कम कुछ इधर उधर के आनंदीत करने वाले मेसैज तो भेजते रहो।
न जाने कब इंन्सान के रुप में भी कोई भगवत् स्वरूप कोई पवित्र आत्मा हमारा मेसैज पढ रहा होगा।और आनंदीत होकर वह भी आपको सच्चा प्यार देगा।और ईश्वर के ह्रदय से उत्पन्न हुआ अमृत ही प्यार है।और सैतान के ह्रदय से उत्पन्न हुआ जहर नफरत है।
तो चलो हम सभी प्यार बाँटे,आनंद बाँटे,अमृत बाँटे।
इसे पैसा थोडा ही लगता है।
हरी ओम।🕉🙏💐
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:14 pm] Papa: "ओम श्रीं नम:",हे महालक्ष्मी माते,हाथ में हाथ देकर,विश्व कार्य के लिए घर रहने को आने का वचन भी देती हो।और तरसाती भी हो।
हे मेरी माँ,नवरात्रि के नववीं रात्री में तुने ही, विश्व कार्य के लिए जनम दिया है।अब तो रास्ता दिखा माँ।कृपा कर।बहुत तरस रहाँ हुं।
मेरे घर सदा रहने को आ मेरी माँ।
"ओम श्रीं नम:"
सर्व मंगल मांगल्यै,शिवे सर्वार्थ साधिके,शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
🙏🕉💐💐
-- विनोदकुमार...
[23/01 8:14 pm] Papa: आज नवरात्रि का नववाँ दिन।आज मेरा भी जनमदिन।माँ दुर्गा की कृपा से आज मेरा जनम हुआ।नवरंग तो नवदुर्गा ने दिये है।
मेरी माँ ने,"विश्व कार्य",के लिए मेरे हाथ में हाथ देकर मुझे घर रहने को आने का वचन भी दिया है।बहुत ही मंजुल स्वर में बोली थी मेरी कोल्हापुर की महालक्ष्मी माता मेरे साथ,"क्यो चिंता करता है?क्यों परेशान होता है?क्यों रोता है?मैं तो तेरे घर रहने को आई हुं।"
ऐसा वचन देकर,कहकर भी मुझे अनुभुती क्यों नही दे रही हो मेरी माता?
और कितना इंतजार करवावोगी?
"ओम श्रीं नम:",
"सर्वमंगल मांगल्यै, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।"
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:14 pm] Papa: आत्मशुध्दी।
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सामान्यतः लोग कपडे के पेहराव से आदमी की परीक्षा करते है।कोई गंदे कपडों में हो तो उसे भिकारी की नजर से देखते है।कुछ सुट बुटेड हो,या फिर सफारी में हो तो समाज का नजरीयाँ भी बदल जाता है।वास्तव में ऐसा नही है।
आत्मशुध्दी वाला इंन्सांन बाहरी रुप से नही परखा जाता।उसे परखने के लिए चैतन्य जागृती अथवा आत्मजागृति की जरूरत होती है।जिसकी आत्मजागृति हो गई वह व्यक्ती ईश्वरी शक्ती से एकरूप हो जाता है।मोह माया का बंधन भेदकर आगे निकल जाता है।
आत्मोध्दार द्वारा परमात्म प्राप्ती होकर भी ऐसे व्यक्ती समाजोध्दार,राष्ट्रोध्दार,विश्
समाज में ऐसे व्यक्ती खुद की,"आत्मस्वरुप",पहचान कभी भी नही होने देते।उन्हे पहचानने को "नजर",ही चाहिए।
आत्मोध्दार के बाद कोई मोहमाया का विश्व त्यागकर जंगल में या एकांत में समय बिताता रहता है।धर्म अधर्म भगवान पर छोडकर निश्चींत हो जाता है।तो कोई बढता पाप देखकर प्रभु की सहायता लेकर धर्मकार्य करता रहता है।तो कोई भगवान से ही कहता है की,अगर मेरी योग्यता होगी तो मेरे हाथों से कार्य पुरे होकर ही रहेंगे।तो कोई ऐसे बडे तपस्वी भी होते है की,भगवान द्वारा खुद उसको धर्म कार्य के लिए उद्युक्त किया जाता है।स्वयं भगवान अर्जुन की तरह उसके जीवनरथ का सारथ्य करता है।
और जब धर्म पर भयंकर संकट आता है तो भगवान खुद अवतार धारण करके अधर्म का नाश करके धर्म की पुनर्स्थापना करता है।
समय कैसा है इसपर भगवान निती तय करता है।और उस निती के अनुसार अपनी अनेक योजनाएं अनेक माध्यमों द्वारा आगे बढाता रहता है।
अब प्रचंड अधर्म की आग को शांत करने के लिए भगवान कौनसी रणनीति तय करेगा यह तो भगवान ही जाने।
दोस्तों आखरी एक बात।कभी भी किसी को भी उपरी दिखावे पर मत पहचानो।उसकी असलियत जानना है तो,"कठोर तपश्चर्या",की आँख होना जरुरी है।
कम से कम किसीके दिल को ढेंस पहुंचे ऐसा कोई काम कभी भी मत करना।
पशु पक्षीयों में भी जो भगवान देखता है,वह ईश्वरस्वरुप पवित्र आत्मा है।और...
जो हमेशा उसे काटकर खाने की मनिषा रखता है वह भयंकर पातकी हैवान होता है।
अब आगे की बात आपपर छोडता हुं।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:14 pm] Papa: (1)गुप्त तरीके से ,"अंडरग्राऊंड",कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओं की फौज बनानी है।जो केरल,कश्मीर, बंगाल में जाकर अत्याचारीयों का सभी प्रकार से विरोध कर सके।
(2)संपुर्ण देश में चिल्ला चिल्लाकर विरोधियों का भंडा फोड करने वाले और धर्म को बढाने वालें कार्यकर्ताओं की फौज
(3)देश में और विदेश में बिल्कुल,"कुल माईंडेड",कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओं की फौज
इस तरीके के नियोजन के लिये मुझे आपकी संपुर्ण सहायता चाहीए।
इसी विषय पर आपके साथ चर्चा करने के लिए मैं जल्दी ही हरीव्दार आवुंगा।
क्या उपरी कार्य के लिए मुझे आपका संपुर्ण समर्थन मिलेगा?
हरी ओम।
🙏
[23/01 8:14 pm] Papa: अब क्रांती की जरूरत है।!!!!!!
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मेरे हिंदु भाईयों, नमस्कार।अब एक नया विषय।"क्रांती।"
जी हाँ दोस्तो।हम हिंदु अनेक सालों से अती अत्याचार सहते आये है।हमारे अनेक मंदीरों पर आक्रमणकारीयों ने आक्रमण किये।हम थंडे दिमाग से सहते रहे। सबकुछ भगवान पर छोडकर हम शांत रहे।
मगर अब समय शांती से बैठने का नही है।हम सहिष्णु होने के नाते पिछे पिछे हटते गए।
इसीलीए हमने हमारे अनेक मुल्क गवांएं है।
और आज हमे हमारे अस्तीत्व की लडाई लडने का समय आ गया है।
हमारी संस्कृती, सभ्यता, संस्कार खतरे में आ रहे है।
अब हमें शात नही बैठना है।
कुछ दिन पहले मैंने लिखा था,"अब हमें अग्नीतत्व की सख्त जरूरत है"।"
आज हमें अपने अंदर का अग्नीतत्व प्रदीप्त करने की जरूरत है।और समाज को चेतना देने के लिए, अग्नीतत्व अर्थात यज्ञ की जरुरत है।इससे ईश्वरी शक्तीयाँ भी जागृत होंगी।और हमारे अंदर का चैतन्य मतलब अग्नीतत्व भी जागृत होगा।जिससे समाज जागृती को गती प्राप्त होगी।
विश्व के कोने कोने में हमें सत्य की जीत के लिए अब "यज्ञ"आरंभ करने है।
अब हमें क्रांती करनी है।"शांती से क्रांती।"
अर्थात अहिंसा के मार्ग से क्रांती।बिल्कुल थंडे दिमाग से।जोश से नही होश से।और हमें अब जितना भी है।
विश्व के कोने कोने में हमे अब सत्य की याने की हमारे संस्कृती की जीत करनी है।अब हम पिछे नही हटेंगे।शुध्द रणनीति द्वारा अब हम आगे आगे ही बढेंगे।
बिल्कुल थंडे दिमाग से।
आज भले ही हमारे ही कुछ लोग हमारे खिलाप हो,उनकी संख्या कौरवों जैसी अगर जादा भी हो,उन्हे उपर से कंस,रावण,जरासंध, हिरण्यकश्यपु भी मिल जाए।और फिर उन्हे सब अधर्मी,कुधर्मी,विधर्मी भी मिल जाएं, तो भी जीत हमारी ही हो ऐसी रणनीति अब हमें बनानी ही होगी।
हम सत्यवादी भलेही संख्या में कम हो,फिर भी जीत हमारी ही होगी।जरूरत है जितने के लिए, विशिष्ट रणनीति बनाने की।और "सत्य",की जीत के लिए अब भगवान को भी हमें साथ देनी ही होगी,जैसे पांडवों को कृष्ण ने दि थी।
हमारे ही कुछ गद्दार जयचंद,हमारे ही कुछ घरभेदी हमें परेशान कर सकते है।इसिलीए अब अंदर के और बाहर के,सभी को मात दी जाएं,और केवल हम ही जीत जाए,ऐसी शक्तीशाली रणनिती बनाने की जरूरत है।
और अगर ऐसा हुआ,तो मेरे भाईयों जीत हमारी पक्की है।
विवेकानंद जी कहते थे,"मुझे केवल सौ सच्चे इंन्सान दो,मैं दुनीया बदल दुंगा।"
सुभाषचंद्र बोस कहते थे,"तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हे आजादी दूंगा।"
दोस्तों मैं तुम सबको कहता हुं,"तुम सभी मुझे पवित्र ईश्वरी प्रेम दो,मैं दुनीया बदल दूंगा।"
"तुम मुझे कुछ ईमानदार, तन-मन-धन समर्पीत करने वाले सच्चे दिलवाले कार्यकर्ता दो।मैं विश्व पर '*ईश्वरी*'राज्य ला कर रखुंगा।"
और हम सब यही संकल्प पुरा करके ही रहेंगे।इसिलीए तो हम सभी आये है यारों।इसिलीए तो प्रभू परमात्मा ने हमें भेजा है दोस्तों।तो चिंता किस बात की?
सरकार अपनी जगह काम कर ही रही है।मगर अब हमें सरकार पर जादा निर्भर नही रहना है।अब हमारी रणनिती हमे ही बनानी है।हमारे हितों के लिए सरकार को भी योग्य निर्णय लेने के लिए समय समय पर,हम बाध्य करेंगे।
अब हमे ही जीत की सामर्थ्यशाली योजना बनानी है।
हो जाओ तैय्यार क्रांती के लिए,मेरे सभी प्यारे दोस्तों-हो जाओ तैय्यार।
वक्त कर रहा है हमारा इंतजार।
केवल जीत ही हमारे जीवन का मकसद है।और हम हमारा मकसद पुरा करके ही रहेंगे।
हम जितकर ही रहेंगे।
संगठन के लिए जिंदादिल संपर्क करें।रोनेवाले,भागनेवाले कृपया संपर्क ना करें।
जय हिंद।
वंदे मातरम्।
हरी ओम।
🕉🙏
-----------------------------
-- विनोदकुमार महाजन।
व्हाटस्अप नंबर + 91 9890349751
(हिंदुस्थान)
【सभी व्हाटस्अप ग्रुपवाले,फेसबुकवाले,मायमंदी
जिसे भी संगठन से जुडना है,व्हाटस्अप पर अपना पुरा परीचय दिजीए।】🕉💐
[23/01 8:14 pm] Papa: आज नवरात्रि का नववाँ दिन।नवदुर्गा की आज के दिन विशेष कृपा।
योगायोग से आज मेरा भी जनम दिन है।
नवदुर्गे,मेरी माँ,कृपा कर।"विश्व-विजेता।"हिंदु धर्म बनाने का,रास्ता दिखा।
सत्य सनातन की जीत करने के सभी रास्ते खोल दें।अब तो सत्वपरीक्षांएं बंद कर मेरी माँ।
मुझ पर प्रेम करनेवाले सभी दोस्तों को,आरोग्य-ऐश्वर्य-यश-किर्ती-दि
विश्व का कल्याण कर।सभी सजीओं की रक्षा कर।उन्मत्त पापीओं को कठोर दंडीत कर।
समस्त विश्व पर,"ईश्वरी राज्य"बनाने की सभी को प्रेरणा एवं शक्ती,सामर्थ्य दे।
।।ओम श्रीं नम:।।
।।ओम ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चै।।
।।सर्वमंगल मांगल्यै
शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यंबके गौरी
नारायणी नमोस्तुते।।
।।हरी:ओम।।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: चलते चलते।
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जो खुद को नही
पहचान सकते?
वो भगवान को क्या जाने दोस्तों?
जो खुद की आत्मा की
आवाज नही सुन सकते
वो दुसरों की आत्मा की आवाज कैसे सुन
सकते है?और...
दुखीयों को सहारा
कैसे दे सकते है?
जिसका आत्मा जाग गया वो..
प्रभु का हो गया।
और जो प्रभु का
हो गया वो सभी का
बन गया।
पशुओं का भी,पक्षीयों का भी।
अपनों का भी पराये का भी।
जिसकी आत्मा मर गई
वो तडपते पशुओं के
आत्मा की आवाज
क्या जाने,क्या पहचाने?
-----------------------------
-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: प्रेम और युद्ध में....
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प्रेम में और युध्द में सब क्षम्य होता है।और....
देखो,सोचो...
आज हिंदुधर्म बहुसंख्य हिंदु इस देश में होकर भी,बहुत ही मुश्कील दौर से गुजर रहा है।अस्तीत्व की लडाई या मानो युध्दजन्य स्थिती।
तो लडाई ,"शास्त्र"से नही,शस्त्र से लडी जाती है।
और आज अगर अस्तीत्व बनाये रखना है तो केवल एकमेव बुध्दी का ही शस्त्र हात में है।
समय जैसा है वैसा ही चलना होता है।और लोकतंत्र में युध्द शस्र्त के धातु से नही,बुध्दी के शस्त्र से साम-दाम-दंड-भेद निती से लडकर असत्य का विरोध और सत्य की जीत करनी होती है।
और इसमें गणतंत्र में सबसे शक्तीशाली हथीयार है लेखनी।और..लेख।और...
अगर लेख में "ऐसे शब्द" का इस्तेमाल किया इसके लिए अगर कोई "शास्र्त" ढुंढ रहा है तो वह केवल मुर्खों के लक्षण होंगे।
जीतना है तो समय के अनुसार बदलना होगा।
एक उदाहरण देता हुं।
अगर एक सन्यासी के बेटों को,बहिष्कृत करके उन्हे फिर से धर्म में वापीस लेने के लिए अगर,"शास्त्र"ढुंडना पडता है,और दुर्भाग्य से शास्त्र में कोई आधार नही मिलता है,तो क्या,"ज्ञानेश्वर"जैसे महान योगी और ईश्वर को क्या सदा के लिए,शास्र्त आधार नही है इसीलीए बहिश्कृत ही रखना चाहिए?
ऐसी निती की वजह से धर्म पर अनेक बार संकट पैदा हुए है।भगवान ने खुद शास्र्त पैदा किया है।मैं इसका विरोध नही करता।आत्मा से आदर करता हुं।फिर भी समय अनुसार,"रक्षा तथा अस्तीत्व"के लिए समय समय पर खुद को और निती को बदलना ही पडता है।
कुछ समय ऐसे होते है की,"तर्कसंगत"उत्तर और हल ढुंडना पडता है।
किसीका दिल दुखाना यह मेरा आज का उद्देश्य नही है मगर मेरे एक पिछले लेख के बारे में जीसप्रकार से किसीने मुझपर,"घिनौने"शब्द का
जानबुझकर इस्तेमाल किया है तो दुख तो होगा ही ना?
तो क्या ऐसे समय दुखी मन से स्वस्थ बैठना चाहिए या "सत्य की लडाई"छोड देनी चाहीए?हरगीज नही।
समरांगण में अगर कोई शास्त्र के आधार पर शस्र्त ढुंडकर युध्द करता है तो युध्द जीता नही जा सकता है।समय कौनसा है इसपर सभी निर्भर रहता है।
इसीलिए कहते है की,प्रेम में और युध्द में सब क्षम्य होता है।
रामायण या महाभारत में ,देव सेना या राक्षस सेना कितनी मरी या कौनसे शस्त्रों का और अस्त्रों का इस्तेमाल हुवा,और...कौन कितना चिल्लाया या किसने किसी को क्या गाली दी थी,यह महत्वपुर्ण नही है बल्की
युध्द कौन और कैसे जीता यही महत्वपुर्ण बात है।
"चैतन्य जगाने "के लिए
कुछ समय पर कुछ शब्दों का जानबुझकर,
इस्तेमाल करना कोई गैर नही है।
यह भी आज एक युद्ध ही चल रहा है।
समय से पुर्व जागेंगे और सजग होकर निती बनाकर चलेंगे तो ही जीत पक्की है।
मतभेद,आपसी झगडा,आपस में विनावजह बैर करेंगे तो?
कठीण समय से आज हम गुजर रहे है।
"विजय श्री"ऐसे नही मिलती।"खिंचकर"लानी पडती है।अज्ञान,मतभेद और आपसी झगडा तो नाश का लक्षण है।
विशिष्ट"रणनिती"बनाकर,कदम कदम पर सावधान होकर एकसाथ आगे चलेंगे तो जीत पक्की है।
नही तो.........?
आफगाणीस्तान, पाकिस्तान, बांग्ला?????और ....???
कश्मीर,केरल,बंगाल।
समय से पुर्व जागो।समय शास्र्त ढुंडने का नही है।नही तो???
"ढुंडते ही रह जाओगे।"
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: *||मोफत ५ दिवसीय निवासी प्रशिक्षण शिबिर||*
*पंचगव्य चिकित्सा आणि भारतीय देशी गोवंशावर आधारीत विषमुक्त शेती अर्थात कामधेनू कृषी तंत्र*
*गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार, नागपूर*
राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघाच्या प्रेरणेने सुरू झालेले गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपूर हे शासनमान्य आंतरराष्ट्रीय किर्तीचे भारतीय देशी गोवंशावर आधारीत संशोधन केंद्र आहे. या संस्थेला जागतिक किर्तीच्या अनेक आतंरराष्ट्रीय संशोधन केंद्रांनी मान्यता दिली आहे. आतापर्यंत या संस्थेला अमेरिका आणि चीनसह जागतिक ५ पेटंट प्राप्त झालेले आहेत. देशी गाईचे दूध हे मुख्य उत्पन्नाचे साधन नसून तिचे शेण, मूत्र, दही, तूप, ताक इ. पदार्थांपासून प्रचंड आर्थिक लाभ मिळतात हे त्यांनी आधुनिक विज्ञानाच्या सहाय्याने सिद्ध केलेले आहे. अनेक असाध्य व्याधींवर गोमूत्रापासून उपयुक्त औषधे तयार करतात. गाईचे शेण आणि गोमूत्र यांच्यापासून बनवलेल्या सेंद्रीय खताने शेतीचे उत्पन्न अनेक पटींनी वाढले असून रोगराईपासून आणि विषारी किटकनाशकांपासून संरक्षण झालेले आहे. पंचगव्य चिकित्सा आणि उपचारपद्धती आता वेगाने विकसित होत आहे.
गो- विज्ञान केंद्राने ५ दिवसीय मोफत निवासी अभ्यास शिबीरे आयोजित केली आहेत. त्यांच्या तारखा खालीलप्रमाणे –
१) शनिवार ९ सप्टेंबर ते बुधवार १३ सप्टेंबर २०१७
२) शुक्रवार २७ ऑक्टोंबर ते मंगळवार ३१ ऑक्टोंबर
३) शनिवार २५ नोव्हेंबर ते बुधवार २९ नोव्हेंबर
४) शनिवार १६ डिसेंबर ते बुधवार २० डिसेंबर २०१७
*ही शिबीरे पूर्णतः निशुल्क असून शिबीर स्थळी निवास आणि भोजनाची मोफत व्यवस्था आहे. १८ वर्षावरील कोणताही भारतीय नागरिक यामध्ये सहभागी होऊ शकतो.*
नागपूर पर्यंत जाण्यायेण्याचा खर्च आपल्याला करावा लागेल. नागपूरला जाण्यासाठी मोठ्या प्रमाणावर रेल्वे उपलब्ध आहेत.
शहरी, निमशहरी आणि ग्रामीण भागातील सर्वांचे स्वागत आहे. महिला भगिनी आणि बचतगटातील सदस्यांनादेखील यामध्ये सहभागी होता येईल. *बंधू आणि भगिनी यांची निवासाची स्वतंत्र व्यवस्था आहे.*
भारतीय देशी गोवंशावर ब्राझिल, अमेरिका, जर्मनी येथे मोठ्या प्रमाणावर संशोधन सुरु आहे. ‘ ब्राह्मण ’ नावाने ओळखल्या जाणाऱ्या जातीच्या ब्राझिल मधील एका गाईची बाजारातील किंमत रु. ३ कोटीपेक्षा जास्त आहे. प्रत्येक भारतीय नागरीकाने आता जागृत होऊन भारतीय देशी गाईंविषयी शास्त्रीय माहिती करुन घेतली पाहिजे.
हे शिबीर पूर्ण केल्यानंतर आपल्याला पंचगव्य चिकित्सेबद्दल, तसेच सेंद्रीय खते आणि शेतीच्या तंत्राबद्दल माहिती होईल. आपण सेंद्रीय खते बनवू शकाल. तसेच देशी गाईच्या शेणापासून विविध गोष्टी बनवू शकाल.
*सध्या अमेझॉनवर देशी गाईच्या शेण्या १५० रु. ला १२ शेण्यांचे पॅकेट याप्रमाणे विकल्या जातात.*
आपण कोणताही व्यवसाय, उद्योग, नोकरी, शेती करीत असाल तरीही या प्रशिक्षण शिबीरामध्ये सहभागी व्हावे.
विषेशत: तरूण तरूणींनी आणि महाविद्यालयिन विद्यार्थ्यांनी या शिबिरांमध्ये सहभागी व्हावे.
आपल्याला वैयक्तिक आयुष्यातही याचा नक्की फायदा होईल. मुख्य म्हणजे आपल्या आजारावर आपल्याला घरच्या घरी पंचगव्य चिकित्सा करता येईल. आपले मित्र, नातेवाईक, सहकारी सर्वांपर्यंत कृपया हा मेसेज शेअर करा ही विनंती.
अधिक माहितीसाठी संपर्क –
*गो- विज्ञान अनुसंधान केंद्र,*
कामधेनू भवन, पं. बच्छराज व्यास चौक, चितार ओळी, महाल, नागपूर ४४००३२
कार्यालय : (०७१२)२७७२२७३ / २७३४१८२
मोबाईल : ९४२२१०३४०५
श्री. सुनिल मानसिंहा – ९४२२१०१३२४
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[23/01 8:18 pm] Papa: हिंदुओं का विभाजन।
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प्यारे मित्रों,अगर हमें,"हिंदुधर्म"को अधिक शक्तीशाली बनाकर विश्व में पुनर्वैभव प्राप्त करना है तो,हिंदु धर्म का सही अध्ययन होना भी उतना ही जरुरी है।
मैं इसीलीए हिंदुओं को वर्गवारी में बाँटता हुं।
सबसे पहले
(1)जागृत हिंदु :-- इस प्रकार हिंदु अपने धर्म और संस्कृती के प्रती दिन रात जागरुक और चौकन्ये रहते है।अगर धर्म पर कोई संकट दिखता है तो,धर्मरक्षा के लिए जी-जान से प्रयत्नरत रहते है।और जरुरत हो तो धर्म के लिए अपनी जान भी देते है।
(2)अज्ञान हिंदु:- ऐसे हिंदु धर्म के प्रती हमेशा अज्ञान रहते है।दुसरा कोई कुछ कहे इसपर ही निर्भर रहकर धर्म के प्रती अपना मत बनाते है।और समय समय पर अपने मतों को दुसरे के बहकावे में आकर बदलते रहते है।इसीलिए बिना सोचे ही दुसरे धर्म में परीवर्तीत होते है।
(3)मुर्ख हिंदु:- केवल खाना पिना,मौज करना,ऐशों आराम करना,भले बुरे मार्गों से पैसा कमाना,धर्म के प्रती हमेशा उदास रहना,पाप पुण्य का डर भी नही रखना,अगली पिढी के लिए अरबों खर्बों की माया कमाना।
हो सके तो थोडा दान धर्म करना या समयानुसार कभी कभार पुजा विधी करना।
(4)दुष्ट हिंदु:- यह समाज धर्म के प्रती केवल उदासीन ही नही रहता बल्की निजी स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तैय्यार रहता है।सिध्दांतो की भी फिकर नही करता।पैसों और ऐशोआराम की जिंदगी के लिए खुद को लालच में आकर बेचता भी है।
यह विश्लेषण हो गया।
अगर सही और सभी यथोचीत मार्गों से सभी हिंदुओं को एक करके,उनकी शक्ती बढाके ,"शक्तीशाली हिंदु संगठन",बनाया जाए,
स्वार्थ,मोह,अहंकार,अज्ञान,ला
विश्व पटल पर हिंदु धर्म को शक्तीशाली बनाने में कोई भी नही रोक सकता।
जरुरत है सभी जागृत हिंदुओं को मतभेद भुलकर एक होने की।
हमारी शक्तीविभाजन के कारण हम सभी हमेशा पिछे पिछे हटते आ रहे है।इतीहास देखो।
अब हमे पिछे हटना नही चाहीए, बल्की एक सामर्थ्यशाली निती बनाकर ,"विश्व-विजेता,हिंदु धर्म।"बनाना चाहिए।
मेरे सभी जागृत हिंदु भाईयों क्या हम सभी यह कार्य हँसते हँसते पुरा करेंगे?
जो अपने धर्म और सत्य की रक्षा के लिए मर मिटने को भी तैय्यार रहता है,उसे मुश्कील क्या है भाईयों?
संपुर्ण विश्व में प्रेम बाँटकर,भाईचारा बढाकर हमारी मंझील हासील कर सकते है।
"हम"सभी जागृत भले ही संख्या में अगर कम भी हो,तो भी जागृत आत्मशक्ती द्वारा,"विश्व"हिलाने की भी क्षमता रखते है।
तो चलों संपुर्ण देश में और विश्व में हमारे शक्ती की ,हमारे जागृत चैतन्य की,"सामर्थ्यसंपन्न" लहर बनायें।
केवल और केवल कल्पना विलास में या कवि कल्पनाओं में ना रहकर "संकल्पित"होते है।और संकल्पपुर्ती के लिए,एक होकर जी-जान से कोशीश में रहते है।
अभी इसी वक्त आत्मा को पुकारों।अंदर से आवाज दो।
मैं मेरे"ईश्वरी कार्य में" यशस्वी बनकर ही रहुंगा।अगले जनम में नही,इसी जनम में मैं जीतकर ही रहुंगा।
दुनिया हिलाउंगा।धर्म की-सत्य की-सत्य सनातन की जीत करके ही रहुंगा।
संकल्प में बहुत ही शक्ती होती है मेरे सभी प्रिय दोस्तों।
अंदर आवाज देकर तो देखो।वही शक्ती तुम्हे प्रचंड शक्तीशाली बनाएगी।सभी ईश्वर पुत्रों को आव्हान और सभी को मनोगत समर्मीत।
चुकभुल माँफ।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: कमाल है।
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रामजी,खुद भगवान...
राजऐश्वर्य छोडकर
बनवास अपना लिया।
रावण वध के लिए
चौदा साल का
इंतजार किया।
बंदरों को लेकर
धर्मयुध्द किया।
और शरयु नदी में
अवतार कार्य
समाप्त किया।
कृष्ण परमात्मा ने
बंदीगृह में जनम लिया।
कंस को मारने के
बाद ही,माँ बाप
वसुदेव देवकी को
कारागृह से मुक्त किया।
और व्याध के बाण से अवतार कार्य
समाप्त किया।
परमात्मा श्री कृष्ण
साथ होकर भी
पांडवों ने बनवास और
अज्ञातवास का दुख
झेल लिया।
द्रोणाचार्य,कृपाचार्य
भिष्माचार्य महान
कृष्ण भक्त होकर भी
उन्होंने युध्द में दुर्योधन का साथ दिया।
भगवान ने भी मनुष्य योनी लेकर,सिध्दांतो
के लिए जीवन भर
संघर्ष और दुखों का सामना किया।
हे मेरे भगवान
अजब तेरी लिला,
अजब तेरा कार्य।
सब कमाल है
तेरी प्रभो।
कमाल ही कमाल।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: हम हिंदु है।
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हम हिंदु है
सभी पर सच्चा प्रेम
करने वाले
पशुपक्षीयों को भी
पुजनेवाले
आत्मा की भी
पुजा करनेवाले
हम हिंदु है।
न हम किसीके
प्रार्थना स्थलों पर
आक्रमण करते है।
ना किसी का धन-जायदाद कभी हम
लुटते है।
ना कभी नारीयों को
गुलाम बनाते है।
ना हम कभी आक्रमणकारी बनते है।
हम तो शांतीप्रीय है
हम सहिष्णु है
हम दिलवाले है।
सभी पर पवित्र प्रेम
करनेवाले है।
हमारी संस्कृती महान है
आक्रमण करनेवालों की कभी भी नही है।
इसीलीए नारीयों को हम देवी समझते है
तो नर को नारायण।
क्योंकी हम हिंदु है।
ये हिंदुस्थान भी
हमारा है
ईश्वरी गुणों का यहाँ
युगो युगों से
हर इंसान में खजाना है।
इसीलीए तो यारों
हम हिंदु है।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: हे मेरे कृष्णा।
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हे मेरे कृष्णा,बहुत ही
कठोर सत्वपरीक्षांएं ली
तुने मेरी मेरे बचपन से ही मगर.....
मेरे सद्गुरु मेरे पिछे
खडे है रे मेरे प्यारे कन्हैया दिनरात
मेरे पिछे,
तो तु क्या करेगा?
बहुत अग्नीपरीक्षांएं भी
ली रे तुने मेरी
मगर मुरलीवाले
मेरे सद्गुरु के सामने
तु क्या करता?
बहुत ही जहर के प्याले भी मिले मुझे
मेरे ही प्रारब्ध गती से।
मगर मेरे सद्गुरु ने
मेरे सभी प्रारब्ध भोग भी जला दिये।
जिसे संचीत कर्म
कहते है।
मेरे मोहन प्यारे मेरे
सद्गुरु जो दिन रात
खडे है मेरे पिछे
कभी साकार कभी निराकार।
तो तु क्या मेरी परीक्षांयें
लेगा?
इसीलीए मुझे तुझसे भी
जादा प्रिय
मेरे सद्गुरु है मेरे प्रभु।
और सद्गुरु महीमा
मैं नही बताता ये तो
तुने ही बताया हुआ
सत्य है।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: चलते चलते।
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ये दुनीयादारी है यारों
न तुम्हे जिने देगी
नही मरने देगी।
जब तुम घोर संकटों से
और मुसीबतों से
घिरे हो, शनी की
साडेसाती में हो
तब ये जालीम दुनीया
तुम्हे कच्चा चबाके खायेगी तब तुम जंगल में जाकर या एकांत में रहना,बिल्कुल अकेले ही..तब दुनीया तुम्हारा
कुछ भी नही बिगाडेगी।
जब तुम्हे भगवान समझकर कोई पूजा
कर रहा है तो बस
तुम मुसीबत में आनेवाले हो तब...
कुछ छोटी छोटी गालीयाँ देना फिर
तुम्हारे पास कोई न आयेगा।
जब दुनीया तुम्हे बहुत
तडपा रही है तब
बस एकांतवास का
सहारा लेना और
सद्गुरु ने दिया गुरुमंत्र
रटते रहना।और...
मतलबी दुनीया से दूर
रहना।
तभी तुम मतलबी दुनिया से कोसों दूर
और भगवान के पास
निरंतर रहोगे।
और जब भगवान के
ह्रदय में रहोगे तब तुम्हारा जनम धन्य होगा।
और.....
तभी तुम नर का नारायण बनोगे।
जब तुम्हारे पास
पैसा आता है तब
दुनीया तुम्हारी दिवानी
हो जाती है और...
सभी रिश्ते नाते
तुम्हारे बनते है।
जब तुम्हारा पैसा जाता है तब दुनीया तुम्हे
दिवाना समझती है।
रिश्ते नाते दूर
भाग जाते है।
दुनिया बडी जालीम है
यारों,बचके रहना।
यहाँ तो सब माया का
मेला और स्वार्थों का
बडा झमेला है।
इसिलीए संत लोग कहते है
जगत में कोई नही तेरा
रे मनुवा कोई नही
तेरा रे।
सब माया का खेला।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:18 pm] Papa: चलते चलते।
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कमाल है दोस्तों
जाती आरक्षण माँगनेवाले ही
जाती निर्मुलन का ढिंढोरा पिटते है।
क्या ऐसी ही
इस देश की विसंगत विचारधारा है?
सब कमाल है।
जातीवाद मिटाना है तो
जातीवादी आरक्षण भी
मिटना उतना ही
जरूरी है।
क्या मैं झूट बोल रहा हुं?
आप ही सोचकर बताओ।
जातीवादी आरक्षण हटाओ
जातीवाद मिटाओ।
देश बचाओ।
सभी जाती धर्मीयोंको
अमीर बनाओ।
धन से भी,मन से भी
और संस्कारों से भी।
यही असली मानवता है
यही सच्ची इंन्सानीयत है और....
यही कुदरत का और
भगवान का भी
कानुन है।
ईश्वरी कानुन का
अमल करो,
सभी देशवासींयों को
समान न्याय दिलाओ।
सभी मानवजाती को
समान न्याय दिलाओ।
आओ सब मिलकर
फिरसे भारत देश को सोने की चिडीयाँ वाला
देश बनाएँ।
जात पात का झगडा
भुलकर हम सभी
"अखंड हिंदुस्थान",
बनाएँ।
सभी तो हम है एक ही भगवान के
समान ईश्वरपुत्र।
बस..झगडा खतम।
आज से,अभी से।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:22 pm] Papa: चलते चलते।
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नोटबंदी के बाद
तीन तलाक।
आ गये है
अच्छे दिन खास।
अब हटावो धारा
तीनसौ सत्तर।
पाकिस्तान को भी
अब दे दो जैसे को
तैसा उत्तर।
अब दिखावो पापी
पाकी को और एक
झटका।
मिटा दो उसका
दुनीया से नक्शा।
मोदीजी ने भी
कमाल किया।
राष्ट्रद्रोहीयों का
काम तमाम किया।
राष्ट्रप्रेमीयों को
न्याय दिया।
वाह वाह मोदीजी
सचमुच में क्या
काम किया।
मोदीजी.......
आगे बढो
देश तुम्हारे साथ है।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:22 pm] Papa: 🚩।। भगवान।।🚩
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प्रेम,भाईचारा,इंन्सानियत,ईश्
संघर्ष अटल हो जाता है।
"कृष्ण शिष्टाई",के बाद भी दुर्योधन का अहंकार और पाप का उन्माद बढ गया वह पापी दुर्योधन परमात्मा को भी धमकियाँ देने लगा तब भगवान के,"सहिष्णु और अहिंसा",के सारे रास्ते बंद हो गए,और एकमात्र रास्ता बच गया,"" ।। धर्मयुध्द।।""
जि हाँ,धर्मयुध्द।
जब असुरीक वृत्तीयाँ सभी रास्ते बंद कर देती है,तब भगवान भी,मन में हँसता है ऐसे उन्मादी पापीयों पर।
आज फिर से??????
क्या हो रहा है पृथ्वी पर??????
पाप का आतंक???
और उत्तर????
आप ही बतायें।
अब आगे क्या होगा???
भगवान ही जाने।
जिसने ब्रम्हांड निर्माण किया।जिसने सजीव सृष्टी निर्माण की।जिसने चौ-यांशी लक्ष योनी निर्माण की।जिसने मनुष्य प्राणी निर्माण किया।
जिसने सुर-असुर वृत्ती निर्माण की।
सब माया का खेल निर्माण किया।वह परमात्मा तो हँसेगा ही ना?उसे ही चुनौती देने वालों को???
भगवान ने ही बनाया रावण,कँस,दुर्योधन,हिरण्यकश्यपु जैसे महाराक्षस जब भगवान को भी चुनौती देते है तो????
क्या होता है????
आगे भी क्या होगा???
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-- विनोदकुमार महाजन।
🚩🕉🕉🕉🚩
[23/01 8:22 pm] Papa: कुछ तो भी गडबड है।
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कमाल है🤔।
राम रहीम बाबा को बचाने लाखों की भीड।दंगा,फसाद।आग लगाना।
कुछ समझ में नही आ रहा है यार।कुछ भी समझ में नही आ रहा है।सचमुच में।
कुछ तो भी गडबड है।
मध्य प्रदेश में भा.ज,पा.सरकार।वहीं के सरकार को बदनाम करने के लिए किसान आंदोलन।
कभी पाटीदार आंदोलन।कभी जाट आंदोलन।
और अब हरीयाणा में भा.ज.पा.की ही सरकार।फिर लाखों की भीड,दंगा।आग ही आग।सरकार परेशान और सरकार को बदनाम करने की कोशीश(शायद ना-कामयाब कोशीश।)
मेरे समझ में ये नही आ रहा है की जहाँ पर भा.ज.पा. की सरकारें है,वहाँ पर ही ऐसा हो क्यों रहा है?
सोचने की बात है यार।
जरूर कुछ तो भी गडबड है।
शायद बदनाम करने की मुहीम चल रही है।खास योजना बद्ध रितीसे।इसके सिवाय ऐसा हो ही नही सकता।
हिंदुओं की शक्ती दिन ब दिन बढ रही है।
उन्नीस भी सामने है।जीतना भी "उन्हे",मुश्कील लग रहा होगा।सो....
कुछ भी हो सकता है।जी हाँ।ऐसा हुवा भी है इस देश में।इतीहास गवाँ है।
सजा हो गई सो..एक तो हिंदु आध्यात्मीक संत बदनाम।दुसरी रणनिती से हिंदु सरकार बदनाम।एक तीर..अनेक निशाने।
कमाल है यार......।
अगर संत सचमुच में दोषी है तो उसको कानुनन जरुर सजा होनी ही चाहिए।मगर ऐसा विचित्र और अजब गजब क्यों और कैसे हो रहा है?
कुछ तो भी गडबड है।
तो अब क्या करें?
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:22 pm] Papa: चलते चलते।
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दोस्तों के लिए हम
मर मिटते है उसे
धोका हम कभी भी
नही देते है।
जिसे हम अपना समझते है,जिसपर
जी-जान से प्रेम
करते है,अगर उसीने
हमें धोका भी दिया
तो हम उसके लिए भी
अपनी जान दे देते है।
क्योंकी उससे हम
सच्चा प्रेम करते है।
उसे हम अपना समझते है।
करोडों की संपत्ती हो
और वह नेकी की ना हो
तो भी हम उसे
हाथ भी नही लगाते है।
किसीकी सत्ता संपत्ती
हडपाने का हम कभी
विचार भी नही करते।
और कभी ऐसा सपना भी नही देखते है।
अगर मजबुर भी हुए
तो अकेले ही जंगल
चले जाते है और
मस्त होकर केवल प्रभु
से जीवनभर बाते
करते है।
भूक लगने पर घास खाकर हम गुजारा कभी
नही करते है क्योंकी हम शेर है।
शैतानों की गली में
घुसकर हम उसपर भी
विजय प्राप्त करते है।
क्यों की हम "हम",है।
सच्चे है-पर घमंडी नही
दरीया दिल वाले है
मगर कपटी,ढोंगी नही
संकटों से हम कभी
डरते नही।
जहर के अनेक अथांग
सागर को कभी हम
घबराते नही।
अपमान-अपयश पर
हम कभी रोते नही।
कठोर संकटों के
सिनेपर हमारा
"विजय का झंडा"
हम लहराते ही रहते है।
तो दोस्तों हम कौन है?
हम"ईश्वर-पुत्र"है।
हम तेजस्वी-ओजस्वी
धैर्यवान-वीरपुत्र है।
कभी भी नही हारनेवाले
हम "शक्तीमान"है।
हम सामर्थ्यसंपन्न है
हम ईश्वरी गुणसंपन्न है
मगर आखिर में यारों
हम है कौन???
हम हिंदु है,हम हिंदु है।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:22 pm] Papa: दुख की बात।
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बाबा राम रहीम सचमुच में ढोंगी था।उसे सजा मिल गई।अच्छा हुवा।
मगर अब देश में एक षड्यंत्र जानबुझकर खेला जा रहा है।हिंदु साधु संतों को बदनाम करने का।
ये जो हो रहा है,बहुत ही दुखपुर्ण बात है।बाबा राम रहीम के बारें में मैं सिर्फ इतना ही कहता हुं की,वो पापी था,उसे सजा मिल गई।
मगर एक असलीयत जरुर स्विकार करनी होगी की,हमारे ही कुछ हिंदु बांधव,जानबुझकर नेक और सच्चे साधु संतो को बदनाम कर रहे है।
हमारे धर्म को,संस्कृती को,देवी देवतांओं को,आदर्शों को,सिध्दांतो को,साधुसंतो को जब मेरे धर्म के ही कुछ लोग बदनाम करने का षड्यंत्र चलाते है तो ऐसे नीच-पापी-कमीनों को मैं कुछ नही बोल सकता,उनके खिलाफ कुछ नही लिख सकता।नियती तो उन्हे योग्य समय पर कठोर दंडीत जरुर करेगी।
सच्चाई और अच्छाई को बदनाम करना थोडी देर के लिए ठीक है।मगर जप ईश्वर का सही न्याय शुरु होता है तो ऐसे महापातकी को छुपने को बिल भी नही मिलता है।
भगवान के घर देर है,मगर अंधेर नही है।उसकी लाठी कि आवाज नही आती।
मगर वह शक्ती योग्य समय पर दुध का दुध और पाणी का पाणी करके ही रहती है।इसीलीए उसे,"ईश्वर",कहते है।
मैंने अभीतक अनेक व्हाटसग्रुप छोड दिये है।क्योंकी मेरे ही धर्म के कुछ नमकहरामी साले,मेरे आदर्श महापुरुषों की बदनामी कर रहे थे।
ग्रुप छोडते वक्त मैंने उन नमकहराम पापीओं को सख्त चेतावनी देकर ग्रुप छोडे है।
अतयव मैं सभी हिंदु धर्म प्रेमीयों को नम्र निवेदन करता हूं की,कृपया आप सभी भी,अगर ऐसी गंदी पोष्ट आई की जो हमारे सच्चे महापुरुषोँ को विनावजह बदनाम करने वालें हिजडों का सभी जमकर विरोध करें।और उन्हे ऐसा नही करने की सख्त चेतावनी दें।और बाद में ग्रुप छोडे।
हमें अब हमारा धर्म-संस्कार-संस्कृती केवल बचानी ही नही है तो बढानी भी है।और विश्व के कोने कोने में पहुंचानी भी है।
कुछ गलत लिखा है तो क्षमस्व।ब हुत ही कठोर एवं थोडे असभ्य शब्दों में लिखना पड रहा है।क्योंकी आखीर शैतानों को यही भाषा समझती है।प्रेम की भाषा उन्हे नही समझती।
हरी ओम।
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-- विनोदकुमार महाजन।
[23/01 8:22 pm] Papa: तडपता है दिल।
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तडपता है दिल
जब मेरे साधु संतो को
कोई बुरा कहे।
लगती आग अंदर
जब मेरे देवी देवतांओं को कोई गाली दे।
होता हुं बेचैंन जब
मेरे संस्कृती को
कोई बदनाम करें।
छुटते है कठोर शब्दों के
बाण मेरी लेखनी से
जब मेरे धर्म को
अगर कोई गाली दे।
करता हुं कोशीश
एक चिंटी जैसा छोटा
कार्य करने की।
किसीको बुरा लगे
या कोई गाली भी दे
तो भी फिकर नही है
मुझे बुरा कहने वालों की।
क्योंकी......
मेरे गुरु ने सिखाया है
मुझे,अगर गटर की
गंदगी साफ करनी है तो
गटर में ही हाथ
डालना पडता है।
फिर हाथ या बदन को
कितनी गंदगी लगी
और ये मेरी हालात
देखकर कितने लोग
मुझे भला बुरा कहें
इसकी मुझे परवाह नही
है।
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-- विनोदकुमार महाजन।
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