स्वर्ग को वापस लौटने से पहले

 *स्वर्ग को वापस लौटने से* *पहले...* 

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स्वर्ग ही हमारा घर है।और यहाँ पृथ्वी पर ईश्वरी इच्छा से हम यहाँ की ड्यूटी पूरी करने के लिए ही आये है।

और हमारी ड्यूटी पूरी करके ही हमें हमारे घर को वापस लौटना है।


कोई मृत्यु के बाद मोक्षप्राप्ति करेगा,कोई फिरसे अधूरा ईश्वरी कार्य पूरा करने के लिए फिरसे पंचमहाभूतों का मनुष्य देह धारण करके पृथ्वी पर वापस लौट आयेगा।या फिर पापपुण्य के हिसाब के अनुसार चौ-याशी लक्ष योनियों मे घुमता रहेगा।

पिछला जनम किसीको याद भी नहीं रहेगा।


केवल महासिध्दयोगी अथवा देवीदेवताओं को ही पिछला अधूरा कार्य याद रहेगा।


मृत्यु तो हर एक की एक दिन होनी ही है।मृत्यु क्या है ?

देहत्यागने का अर्थ ही मृत्यु है।मगर आत्मा तो अमर है।

और हम सभी को मृत्यु पुर्व ईश्वरी कार्य पूरा करके ही स्वर्ग को वापिस लौटना है।


सत्य की जीत,सत्य सनातन की जीत,ईश्वरी सिध्दांतों की जीत यही हमारा दाईत्व है,जो हमें पूरा करना है।


अनेक पवित्र आत्माएं धर्म कार्य के लिए समय की जरूरत के अनुसार पृथ्वी पर दिव्य देह धारण करके आती है।और गुप्त रूप से सत्य की जीत के लिए, ईश्वरी सिध्दांतों का कार्य करती रहती है।और धर्म की जीत अथवा अधर्म का नाश करके धर्म की पुनर्स्थापना करके ही स्वर्ग को वापस लौट जाते है।


आज भी प्रभु की सुंदर,पावन,निर्मल धरती पर अधर्म का अंधियारा छा गया है।और इसीलिए ईश्वरी इच्छा से अनेक पवित्र ईश्वरी आत्माएं धरती पर अवतीर्ण हो गई है।और प्रभु का कार्य, धरती को स्वर्ग बनाने का कार्य निरंतर, नितदिन,प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कर रही है।

प्रत्यक्ष उनका आपस में संपर्क हो न हो,आत्मशक्ति से ऐसी आत्माएं निरंतर जुडी रहती है।और समय की जरूरत हो तो देहतत्व से एकजगह पर आकर कार्य निरंतर बढाती रहती है।


पशुपक्षीयों यह ज्ञान नहीं होता है।मगर इंन्सान ???

सत्य की खोज और सत्य की अंतीम जीत करने के लिए ही,मनुष्य प्राणीयों के देहतत्व का ईश्वरी प्रायोजन होता है।


इसीलिए मेरे प्यारे भाईयों, निंद से जागो,उठो और ईश्वर ने हमपर जो दाईत्व सौंपा है,जो जिम्मेदारी दी है,उसको पूरा करने के लिए ,धर्म कार्य के लिए,धर्म बचाने और बढाने के लिए खुद को संपूर्ण शक्ति से झोंक दो।


आज संपूर्ण पृथ्वी पर,भारत मातापर,धरतीमाता पर पाप का भयंकर कलंक छाया हुआ है।पाप से संपूर्ण पृथ्वी काँप रही है।


पशुपक्षीयों को ,गौमाताओं को अभय देने के बजाय ,उनका पालकत्व स्विकारने के बजाए,उनकी हत्याएं हो रही है।निष्पाप जीवों की हत्या से खून की नदियाँ बह रही है।गौमाताएं गौलोक से यहाँ आकर,यहाँ तडपातडपा कर मारी जा रही है। गौमाताएं गोपाल को,भगवान को पूकार रही है।


तो भी हम सोते रहेंगे ?

क्यों ?


हम सभी को आगे आकर यूग बदलना है।दुनिया बदलनी है।

और हमको इसी कार्य में यशस्वी होकर ही रहना है।


हमारा कार्य क्या है ?

पाप का कलंक मिटाना है।

कैसे।

रक्तपिपासु, आक्रमणकारियों को हराना है।उनके राक्षसी सिध्दांतों को समाप्त करना है।हाहाकार मचाने वाले हैवानियत भरे हैवानों को सबक सिखाना है।

देश को और संपूर्ण विश्व को निगलने का सपना देखने वाले असुरी सिध्दांतों को हटाना और हराना है।


जो मेरा है वह मेरा है...

और जो तेरा है वह भी मेरा ही है...

यह जो लुटारू निती आगे आ रही है,उसको हराना है।


पाप का कलंक मिटाना है।

गौहत्यारों को सबक सिखाना है।

उनके लिए फाँसी हो...ऐसा कानून बनाना है।


हर गाँव, गली,शहरों के आक्रमणकारियों के नाम हटाकर हमारे महापुरुषों के नाम से हर शहर, गली, गाँव सजाना है।

देशविदेशों में सत्य सनातन का भगवा लहराना है।भगवान का प्रतीक भगवे की आन,बान,शान बढानी है।


हमारा भगवा ही भगवा न है।


स्वर्ग को,हमारे घर को वापिस लौटने से पहले हमें हमारे भारत माता और धरतीमाता को सुंदर बनाना है।हर एक इंन्सान को ईश्वरी सिध्दांतों से जोडना है।


उनकी सोहम् की श्वास को जगाना है।और सनातन को फिरसे जोडना है।गलतीयों का कारण सनातन का घर छोडऩे वालों को फिरसे घर में वापस बुलाना है।


सभी को मूल ईश्वरी सिध्दांतों को जोडकर सनातनी बनाना है।


हर गली, गाँव,शहरों में रामफेरी,प्रभातफेरी द्वारा जनमन को,जनजन को जगाना है।हर एक की चेतना जगानी है।हर एक का आत्मा जगाना है।

सत्य सनातन का महत्व बताना है।

आसुरी सिध्दांतों के खिलाफ हर एक का आत्मा हिलाहिलाकर जगाना है।


हर एक का आत्मतेज, आत्मगौरव,आत्मसंम्मान, ईश्वरी तेज जगाना है।


एक यशस्वी शक्तिशाली निती बनाकर उसे अमल में लाना है।


एक के सौ - सौ के लाखों - लाखों के करोड़ों की कडी जोडकर जनसंपर्क अभियान चलाना है।वैश्विक अभियान बढाना है।


वसुधैव कुटुम्बकम

का महत्व सारे विश्व को बताकर,

विश्व स्वधर्म सुर्ये पाहो

के लिए निरंतर प्रयास जारी रखना है।


चलो साथियों चलो।

यूग निर्माण के लिए आगे चलो।

नये यूग की ओर बढते चलो।


भगवत् गीता और भगवान श्रीकृष्ण की आदर्श निती का स्विकार करके,

कभी प्रेम की बांसुरी बजाने वाला तो कभी हाथ में सुदर्शन चक्र लेनेवाला भगवान श्रीकृष्ण का रास्ता अपनाकर,


हमें,हम सभी को,

ईश्वरी सिध्दांतों की जीत,

और हैवानियत की हार करनी ही है।


उठो तेजस्वी ईश्वर पुत्रों।

असुर मुक्त पृथ्वी बनाने के संकल्प को सिध्दीयों में बदलने के लिए,


हे संपूर्ण पृथ्वी वासी,ईश्वर प्रेमी,मनुष्य प्राणी,

निंद से जाग जा।


समय है तुम्हें पुकारता।

खुद ईश्वर भी है तुम्हें पुकारता।

गौमाताएं है तुम्हें पुकारती।

माँ भारती ,माँ धरती है तुम्हें पुकारती।

गंगामैया है तुम्हें पुकारती।


नवसृजन के लिए,खुद को तैयार कर प्राणी।

इसिमें ही तेरा कल्याण है।इसीमें ही मनुष्य देह का भी कल्याण है।


मैने तो आपके अंदर का दिपक जलाने की कोशिश की है।

अब शुरुआत आप सभी को करनी है।


मृत्यु के बाद स्वर्ग को जाने का रास्ता आसान बनाना है।


विज्ञान चाहे डेड बाँडी कहकर मर्यादाओं में देहतत्व को बाँधने का भले ही प्रयास करें।

आत्मतत्व से जूडकर, आध्यात्मिक प्रगती द्वारा, आत्मशक्ति द्वारा, मृत्यु के पश्चात का भी अदृष्य विश्व हमें देखना है।


और केवल और केवल,

सनातन धर्म ही ऐसे अनेक गूढ रहस्यों पर प्रकाश डालकर, हर एक प्राणी को,

ईश्वर को जोडने की,

क्षमता रखता है।


बाकी सब ???

एक भ्रम है।

मायाजाल है।


सनातन ही ईश्वर निर्मीत है।

मनुष्य निर्मित नही है।


और ईश्वर निर्मीत है,

वही अंतीम सत्य भी है।


बाकी सब ???

अब उत्तर आपको देना है।

और अंतरात्मा भी जगाना है।


जागो।


हरी ओम्   🕉🚩

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 *विनोदकुमार महाजन*

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