अरे देवा

 जीवन!!!!!

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आज मनुष्य जीवन बहुत ही संघर्ष मय हो चुका है।कुछ पाने के लिए, जीवन में अनेक उंचाईयों तक पहुंचने के लिए, संघर्ष तो करना ही पडता है।

मगर सभी को एक संघर्ष हरदिन, नितदिन तो करना ही पडता है।

पेट के लिए संघर्ष।जीवन जीने के लिए संघर्ष।पैसा कमाने के लिए, घर खरीदने के लिए आज हर एक को भयंकर संघर्ष करना पड रहा है।

भाईयों, सचमुच में यह पेट ही नही होता तो क्या इतना संघर्ष करना पडता?

भगवान भी कमाल का है।एक पेट क्या इंन्सानों को दिया, सजीवों को दिया और उसमें ही सभी को अटकाया।

मनुष्य छोडकर तो बाकी जीव सचमुच में सुखी ही है।

कैसे?

देखो,ना उन्हे पैसा कमाना पडता है।ना घर बांधना पडता है।ना सोना चांदी।ना गाडी माडी।ना मान ना अपमान।

ना उन्हें बिडी लगती है,ना सिगारेट, ना दारू,मटका, जुगाड़, ना मावा गुटखा।ना तमाकू ना चरस गांजा।

भगवान ने जैसा दिया वैसा मस्त,आनंद से,मस्ती से जीना।जमीन पर ही सोना।

फिर भी भुके पेट के लिए उन्हे भी संघर्ष तो करना ही पडता है।

और इंन्सान?

मान-अपमान, लोभ-मोह,स्वार्थ-माया, मेरा-तेरा,मद-अहंकार।न जाने कितने प्रलोभन।

और बदले कि आग!!!

हुश्य.....!!!!!!

इज्जत,मान,सन्मान, धन,वैभव,ऐशोआराम कमाना।

और मेरा तेरा करते करते एक दिन सबकुछ यही पर छोड देना।

दोस्तों, चौ-यांशी लक्ष योनियों में सिर्फ इंन्सान ही भगवान ने नही पैदा किया होता तो कितना मजा आता ना?

कल्पना किजिए ऐसी।क्या होगा?

संपूर्ण पृथ्वी पर शांत,आनंदी,मस्त कलंदर जीवन पशुपक्षियों का।

इसीलिए भगवान भी कमाल का है।सब मोह माया बाजार और अद्भुत खेल उसका।सभी अद्भुत रचना उसकी।

कौन,कहाँ,किस योनी में जन्म लेने वाला है।किसकी उमर कितनी है।किसका मृत्यु और जन्म कहाँपर है इसका अद्भुत हिसाब किताब।

कैसा सुपर काँप्युटर भगवान ने बनाया होगा ना, सृष्टी का संतुलन और हिसाब किताब रखने के लिए?

और फिर भी अहंकारी इंन्सान कहता है...कहाँ है भगवान???

अज्ञान और क्या?और अहंकार भी।कभी कभी उन्मत्तता, पाप का उन्माद और पाप का आतंक।आतंक और हाहा:कार।और आक्रमण।पशुपक्षियों सहित सभी का जीना भी मुश्किल करना।

तोबा तोबा... हाय राम......।

हे भगवान, अब तुही सद्बुध्दि दे और बचा ऐसे उन्मादीयों को।

हरी ओम।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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