नारसिंव्हा

 नारसिंव्हा अब जाग भी जा।

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हे विष्णु अवतारी तेजस्वी नारसिंव्हा, कहाँ है तेरा तेज?कहाँ है तेरी आग?कहाँ है तेरी ज्वाला?

धर्म संकट में है।अधर्म की आग चारो ओर से बढ रही है।इंन्सानियत खतरे में है।ईश्वरी कानून को पापीयों ने घेर दिया है।

हे नारसिंव्हा, पापी हिरण्यकश्यपु जैसे उन्मादी सैतान,हैवान हैवानियत बढा रहे है।

हे मेरे भगवन्, कहाँ है तेरा तेज?कहाँ है तेरी आग?

अब धर्म रक्षा के लिए, अधर्म के नाश के लिए, पापीयों के नाश के लिए संपूर्ण विश्व को तेरी जरूरत है।

हे ज्वाला नारसिंव्हा अब देर मत कर।फिरसे लौटकर आ जा।

पाप का कहर,पाप का आतंक, पाप का उन्माद बढ रहा है।

हे मेरे भगवान, अब तेरा ही सहारा।

अब तुही पापी उन्मादीयों का तुरंत और संपूर्ण नाश कर।नामोनिशान मिटा दे तु पाप का।

और अब तो तुझे आना ही पडेगा।वचन गीता वाला तुझे निभाना पडेगा।

हरी ओम।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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