मोदिजी के शत्रू

 *प्रधानमंत्री मोदिजी और* *मोदिविरोधी हिंदू !!*

✍️ २४९३


 *विनोदकुमार महाजन*

( *प्रखर राष्ट्रप्रेमी पत्रकार )*


***********************


 *साथीयों ,* 

आज का लेख का विषय प्रखर राष्ट्रप्रेम पर आधारित है !


संपूर्ण देश में और संपूर्ण विश्व में , मोदिजी जैसे महानायक और विश्वपुरूष पर प्रेम करनेवालों पर आधारित!

 *और...?* 

विनावजह नफरत फैलाने वालों के लिए भी !


संपूर्ण देश में और विश्व में भी मोदिप्रेमियों की संख्या करोडों में है ! इसी लिए मोदिजी की लोकप्रियता बहुत ही उंचाईयों तक पहुंच गई है !

अनेक हिंदू मोदिजी के कार्यों से आनंदित है ! और मोदिजी के शब्दों के लिए मरमिटने वालों हिंदुओं की संख्या भी अनगिनत है !


मगर आज के इस विशेष लेख में देखते है की , मोदिजी जैसे ईश्वर तूल्य महानायक से कुछ हिंदुही नफरत क्यों करते है ?

 *मोदिभक्तों को अंधभक्त भी क्यों* *कहते है ?* 


ईश्वर ने सृष्टि की रचना जब की तब सुर और असुर दोनों विरूद्ध शक्तियां भी निर्माण की !

और युगों युगों से लेकर , युगों युगों तक चलनेवाला दोनों शक्तियों का यह संघर्ष अविरत चलता आय है ! और चलता भी रहेगा !


इसीलिए राम के शत्रू भी हमारे अपने ही थे !

परमात्मा श्रीकृष्ण के शत्रू भी हमारे अपने ही थे !

राजा शिवछत्रपती जैसे महानायक के शत्रू भी हमारे अपने ही थे !

और मोदिजी के भी शत्रू हमारे अपने ही है !


बाहरी शत्रुओं से लडना आसान होता है ! मगर जब हमारे अपने ही शत्रू हो तो उनके साथ लडने में बडी दिक्कत होती है !

और हमारी अंदरूनी शक्ती भी स्वकीयों से लडने के लिए कमजोर तो ही जाती है ! 


 *अपनों से ही लडें तो कैसे लडें ?* 


मगर सिध्दांतों की लडाई जब हमारे अपनों से होती है तब आत्मक्लेश तो होते ही है ! और मजबुरन उनके साथ भी सिध्दांतों की जीत के लिए की लडाई लडनी ही पडती है !


 *भगवतगीता भी यही कहती है !* 


स्वकीयों से लडने के लिए अर्जुन जब हतबल था , तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे गीता सुनाई थी !


 *मतलब साफ है....?* 

हम हमारे अपनों का अखंड कल्याण तो चाहते है , मगर...

हमारे अपने ही हमारी आत्मीय शुध्दता और दिव्यप्रेम समझने के बजाए , हमें ही मारने मिटाने की कोशिश करते है , लगातार हमें ही उध्दस्त करने का दिनरात प्रयास करते है , चारों ओर से हमें मुसिबतों में फँसाने की रणनीती बनाते है , हमारे बदनामीयों का चारो तरफ से आग के जैसा प्रयास करते है...

 *तब...* ?

मजबुरन हमें भी हमारे ही हितशत्रुओं का मजबुरन विरोध तो करना ही पडता है !

और इसी प्रकार से साम दाम दंड भेद की लडाई धिरे धिरे उग्र स्वरूप धारण करने लगती है !

 *और...?* 

उसी समय महाभारत आरंभ हो जाता है !


अब मोदिजी की मन:स्थिती को समझने का प्रयास करते है !

जब मोदिजी हमारे अपने ही हिंदू साथीयों के अखंड कल्याण के लिए , संस्कृती को बचाने के लिए ,दिनरात अथक प्रयास करते है...

 *और...?* 

दुर्देव से हमारे हिंदू ही मोदिजी का उग्र विरोध करते है...

 *तब...?* 

मोदिजी की आत्मा कितनी तडपती होगी ?

उनके अंतरात्मा में जरा परकाया प्रवेश करके तो देख लो...?


 *यही आवाज आयेगी...* 


अरे ,

जिनके अखंड कल्याण के लिए मैं अथक प्रयास कर रहा हूं , जिनकी भावी पिढीयां संपूर्ण सुरक्षित रहे , इसी लिए अनेक यशस्वी योजनाएं बना रहा हूं ,

दिनरात एक कर रहा हूं...?

 *वही मेरा विरोध कर रहे है ??* 


 *आश्चर्य है ना साथीयों ?* 


सचमुच में आश्चर्य ही है !!

अनेक सदियों की गुलामी की मानसिकता हटाने के लिए , मोदिजी प्रधानमंत्री के बजाए , प्रधानसेवक बनकर अथक प्रयास कर रहे है ! विश्व पटल पर सनातन धर्म की श्रेष्ठता बढा रहे है...

ऐसे समय में उनके पिछे सारी शक्ती खडी करने के बजाए ?

मोदिजी को ही समाप्त करने की रणनीती बना रहे है ?

 *हमारे ही हिंदू ?* 

बना रहे है तो ??


हे *भगवान...* 

ऐसे महापापीयों को तु भी कैसे बचायेगा ? और क्यों बचायेगा ?


जिन्हे आत्मकल्याण भी नहीं समझता है , ऐसे हमारे ही अपनों का अंतिम उत्तर भी क्या है ?

ऐसे मुर्ख हिंदुओं को कौन समझाएगा ?

उल्टा निजी स्वार्थ के लिए ,

सत्ता और संपत्ती के लिए ,

जब हमारे ही जयचंद हमपर , सत्य पर चौतरफा आक्रमण करते है...


 *और...?* 

सत्य को जमीन में गाडने के लिए , सत्य को ही नेस्तनाबूत करने के लिए , चौबिसों घंटे प्रयत्नशील रहते है...

हमें ही उल्टा " *व्हिलन "* 

 *खलनायक* 

साबीत करने की दिनरात कोशिश करते रहते है तो...?

आखिर ऐसी भयंकर समस्या का ,

बिमारी का और जालिम जहर का इलाज भी क्या है ??


ईश्वरी सिध्दांतों को समाप्त करने के लिए , आदर्श संस्कृती को नेस्तनाबूत करने के लिए ,

हमारे ही अपने जब विकृत संस्कृतियों का , राक्षसी सिध्दातों का , हैवानियत का , आसुरिक संपत्तीयों का , हाहाकारी और उन्मादी शक्तियों का , विकृत समाज और लोगों का साथ देते है...?

 *तब...?* 

ऐसे ही हमारे अपनों का जमकर विरोध तो करना ही चाहिए !

ऐसे विनाशकारी लोगों के विरुद्ध चौतरफा शक्तिसंपन्न बनकर *मोर्चा तो खोलना ही चाहिए !* 


 *क्योंकि जब...* 

हमारे अपने ही

हिंदू

 *संस्कृति भंजन वालों का* 

साथ देते है तो...? ऐसे लोगों का

शक्तिशाली संगठित शक्ति द्वारा जमकर विरोध तो करना ही चाहिए !


 *आखिर भगवान श्रीकृष्ण और* *भगवतगीता भी यही* *सिखाती है !* 


 *इसीलिए हे अर्जुन...* ( मोदिभक्तों )

मछली की केवल आँख देखकर ही बाण चलाना !


 *तभी सत्य जीतेगा !* 

 *और ईश्वरी सिध्दातों की रक्षा भी* *होगी !* 


 *नहीं तो...?* 

हमारे अपने ही हमें सदा के लिए जमीन में गाड देंगे !

सावधान !

 *त्रिवार सावधान !!* 


 *याद रखिए ,* 

मोदिजी की जीत....?

हमारी अपनी जीत है !!


प्रणाम !

हरी ओम् !!


 *मोदिराज जींदाबाद !* 

 *जय श्रीकृष्ण !!* 


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