जागो मानवताप्रेमीयों !

 जहाँ जायेंगे, वहाँ गंदगी फैलायेंगे !

( लेखांक : - २१०९ )


विनोदकुमार महाजन

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साथीयों,

आज के लेख का विषय थोडा अलग है ! 

मेरे अनेक लेखों पर आप सदैव...जैसा प्रेम करते है - ठीक वैसे ही मेरा यह लेख भी आप सभी को पसंद आयेगा ऐसी आशा करता हुं !


" जहाँ जायेंगे, वहाँ गंदगी फैलायेंगे ! क्योंकि गंदगी फैलाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है ! और यह अधिकार हमसे कोई छीन नही नहीं सकता ! जो भी ऐसी कोशिश करेगा...उसे...??

समाप्त किया जायेगा ! क्योंकि दूसरों को समाप्त करना भी मेरा जन्मसिद्ध अधिकार ही है ! और इसमें कोई दखलअंदाजी नहीं कर सकता ! "


यही भयंकर सोच रखनेवालों से संपूर्ण विश्व परेशान है,हैरान है,बेचैन है,अस्वस्थ है !


इस भयंकर बिमारी का वैश्विक स्तर पर..." आखिर इलाज है या नही ? अगर है तो....कौनसा ?

राम का बाण..." रामबाण " इलाज लागू होगा ? "

इसपर ? संपूर्ण विश्व मानव को सोचना ही होगा !


अनेक जगहों पर " ऐसे भयानक लोग " या तो आक्रमणकारी बनकर जायेंगे, और चारों तरफ भयंकर आतंक फैलाकर,तबाही फैलाकर,इंन्सानीयत की,मानवता की हत्या करके...चारों तरफ खून की नदियाँ बहायेंगे !

चारों तरफ गंदगी,हड्डी - मांस की दूर्गंध...फैलाकर, गंदगी फैलाकर, सभी का...पशूपक्षियों का भी...जीना हराम कर देंगे !


चारों तरफ भयंकर अधर्म का अंधियारा फैलायेंगे !

जोर जोर से चिल्लाकर,सभी को ललकार को...सभी के जीवन में अंधेरा ही अंधेरा फैलायेंगे !

सभी का जीना हराम कर देंगे !

चाहे कोई सत्यवादी हो,मानवताप्रेमी हो,ईश्वरवादी हो,साधूसंत हो,महापुरुष... सत्पुरुष हो,मठ - मंदिर हो...किसी को भी नही छोडेंगे !


कभी..." शरणार्थी " बनकर आयेंगे,दया याचना करेंगे...

एक के दो,दो के चार..दस...पचास...हजार... हजारो... लाखों की...धीरेधीरे संख्या बढायेंगे...एक जबरदस्त " रणनीती " के साथ,सदैव होशीयार और सावधान रहकर,परिस्थितीयों का दिनरात अंदाजा लेते रहेंगे...और ???

एकदिन...???

आक्रमण...!

भयंकर, अतीभयंकर आक्रमण !

किसी को बचने का कोई रास्ता नहीं !

एक ही झटके में संपूर्ण तबाही...

और चारों तरफ आसुरी साम्राज्य !


यही है ना ?

यही हो रहा है ना ?

यही वास्तव है ना ?

सदियों से यही सूत्र चलता आया है ना ?


और " हम " ?

निद्रीस्त !

भयंकर निद्रीस्त !

दिनरात पैसा कमाने में...

और " अपनों " को ही

गालीयाँ देने में,

एकदूसरे का पाँव खिंचने में माहिर !


खिंचते रहो एक दूसरे का पैर !

गीराते रहो एक दूसरे को !

और इसमें भी मस्त आसुरिक आनंद लेते रहिए !


धन्य हो,धन्य हो !!!


दो बकरे कसाई के दरवाजे पर बंधे हुए रहते है !

कब कोई काट लेगा पता नही !

फिर भी दोनों बकरे मदमस्त !

आपसी टक्कर और बैरभाव में मस्त !

देखा है ना यह दृष्य ?

भयंकर दृष्य ?


यही हमारी स्थिति है !

" कश्मीर कांड " होने के बाद भी हमारी आँखें खुली नहीं !

जो भी जगाने की,आँखें खोलने की कोशिश करेगा...

" वही नालायक ! "

विनाशकाले.....???


आपस में लडते रहो !

बँटते रहो !

कटते रहो !

कसाई के दरवाजे के दोनों बकरे की तरह !


समझ गये कुछ साथीयों ?

यह कोई, " फिल्म की स्टोरी "

नही है...बल्की सदीयों से चलती आई एक रणनीती है..।वास्तव है...और इसका इलाज, काट अभीतक कोई मिला नही है !


अनेक देश,अनेक संस्कृतीयाँ पूरी की पूरी बरबाद की गई ऐसे विचार धारा ने !


कौनसी विचार धारा ?

आप ही सोचो,और बताओ !


सभी के सभी निद्रीस्त !

गहरी नींद !

विनाशकारी नींद !


ऐसी विचारधारा से अगर बचना है तो...

वायुगती से संगठीत होना पडेगा... और कर्तव्य कठोर भी...होना पडेगा...!

जी हाँ !

तभी सत्य बचेगा !

तभी सत्यवादी बचेंगे !

तभी मानवता बचेगी !

तभी ईश्वरी सिध्दांत भी बचेंगे !


अन्यथा...???

सबकुछ जमीन में...

गाड दिया जायेगा !

दफनाया जायेगा !

चाहे मठ हो या मंदिर हो !

चाहे आदर्श सिध्दांतों वाले राम का...

राममंदिर भी क्यों न हो ! ?

अथवा महादेव का भी मंदिर हो !

सब समाप्त !

सब धाराशायी !


इतिहास साक्ष है इतिहास साथीयों !


एक जबरदस्त शक्तिशाली वैश्विक रणनीती और उस रणनीती के अनुसार... कर्तव्य तत्परता और प्रत्यक्ष कठोर कृती और ठोस कदम ही...

केवल और केवल बचा सकते है ,ऐसे भयावह परिस्थितियों से !


मेरे प्यारे दोस्तों,

मैंने जो उपर लिखा है...यह मेरा कहना वास्तव में सत्य ही है ! आज धरती पर ऐसे भी महाभयंकर, महाराक्षस आज भी मौजूद हैं, जो उपर जैसा भयंकर आचरण कर सकते है !


ईश्वरी सिद्धांतों के खिलाफ चलकर, हाहाकार फैलाना,दूसरों का जीना ही हराम कर देना,दूसरों के सिध्दांतों पर,आदर्शों पर,संस्कृति पर हमले कर देना, दूसरों की संस्कृति बरबाद कर देना,तबाह कर देना,आक्रमण करना, अतिक्रमण करना, हिंसा करना, खून की नदियां बहा देना,चारों तरफ अशांति फैलाना,दूसरों की संस्कृति बरबाद करने का दिनरात सपना देखना, और उसे साकार करने के लिए दिनरात भयावह योजनाएं बनाना....


यही " कुछ लोगों के " जीवन का अंतिम मकसद ,अंतिम उद्देश्य तथा संपूर्ण जीवन का ही उद्दीष्ट होता है...!


समझे कुछ साथीयों ?

मानवताशून्य,बरबरतापूर्ण भयभीत करनेवाला, भयानक उन्मादी अत्याचार करना ही,इनका जीवन का उद्दीष्ट होता है !

और यह भयानक सत्य सभी को स्विकारना ही होगा !


इतिहास साक्ष है !


दूसरों के श्रध्दास्थानों पर निरंतर हमले करना, मठ - मंदिरों को जमीन दोस्त करना,जमीन में गाड देना ही...ऐसे महाभयंकर उन्मादियों का,हाहाकारीयों का दिनरात का सपना होता है !


और सत्ता, संपत्ति के लालची,हमारे ही कुछ बेईमान, गद्दार, जयचंद " इनका " साथ देकर, चारों तरफ बरबादी का माहौल बनाने में सहायक होते है !


दोस्तों,

क्या मेरा उपर का एक भी शब्द झूटा है ?

यही सत्य है ना ? यही वास्तव है ना ?


और ऐसे गंदगी फैलाने वाले,उन्मादियों के खिलाफ, संपूर्ण विश्व ...ऐसे जालीम विश्वासघातकीयों के विरूद्ध तेज गती से एक भी हो रहा है ! और " इनका " जमकर विरोध भी कर रहा है ! और ऐसा होना स्वाभाविक भी है !


मगर जो चाहिए वह गती नहीं मिल रही है...

" वैश्विक क्रांति के लिए ! "


उल्टा मैं तो ऐसा कहुंगा की,संपूर्ण विश्व के सभी मानवता प्रेमीयों को तेज गती से एक होकर, इनका जमकर सख्त विरोध ही करना चाहिए !

तभी मानवता बचेगी, ईश्वरी सिध्दांत बचेंगे, सृष्टि भी बचेगी, पशुपक्षी भी बचेंगे ! और अनायासे...सृष्टिसंतूलन होकर, सृष्टिकर्ता ईश्वर भी आनंदित हो उठेगा !


साथियों, ऐसे वैश्विक अभियान में और यूगपरिवर्तन की वैश्विक लहर लाने का ईश्वरी कार्य आगे बढाने के लिए... आप सभी मेरे प्यारे दोस्त... कितना सहयोग करेंगे ?


हैवानियत का जमकर विरोध तो करना ही पडेगा ना ? 

जमकर विरोध करना पडेगा !


हमने कोई जाती, धर्म का उल्लेख किया है ?

बिल्कुल नहीं !


हमने तो मानवता के शत्रुओं का,उन्मादियों का,हाहाकारीयों का,ईश्वरी सिध्दांतों पर प्रहार करनेवाले महाभयानक, राक्षसों का...उल्लेख किया है !

विरोध किया है !

तो शायद ?

संपूर्ण मानवतावादी विश्वमानव मेरे पिछे खडा हो जायेगा ?


और धरती के सभी मानवताप्रेमीयों को मैं खुलकर जाहिर आवाहन भी करता हूं की,हाहाकारीयों का यथासंभव, यथास्थान, हरसंभव, हरजगह जमकर विरोध किजिए ! बहिष्कार किजिए !


हाहाकारीयों का हाहाकार रोकने के लिए, कठोर कानून किजिए, और हाहाकारीयों को कानून द्वारा ही कठोर दंडित किजिए !

ऐसा होना जरूरी ही नहीं, आवश्यक भी नहीं, अत्यावश्यक हो गया है ! क्योंकि सभी मानवताप्रेमीयों का,आपस में पवित्र ईश्वरी प्रेम करनेवालों का,ईश्वरी सिध्दांतों पर,सत्य के रास्तों पर चलने वालों का अब अस्तित्व ही खतरे में आया है !


हमारा, हम सभी का अस्तित्व बचाने के लिए कुछ ठोस कदम नहीं उठायेंगे ? हैवानियत का जमकर विरोध नहीं करेंगे ?


आज लढेंगे...तभी बचेंगे !

अगली पिढी को भी बचायेंगे !


अन्यथा ???

अनर्थ और उन्मादियों का भयंकर, भयावह हाहाकार कौन रोकेगा ???


जागो,साथियों जागो !

समय से पहले जागो !

जागो,जागो,जागो !


हरी ओम्

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