कालीया मर्दन

 जहरीला कालीया मर्दन !!!


साँपों पर प्रेम करने से

मनस्ताप ही होता है !

साँपों पर चाहे कितना भी

प्रेम करो वह निरंतर जहर 

ही उगलेगा और मौका 

मिलते ही दंश ही करेगा !


और हमारा सर्वनाश ही कर देगा !


इसिलिए मेरे प्यारे सभी दोस्तों अखंड 

सावधान ही रहना होगा !


क्योंकी साँपों से प्रेम की

नहीं बल्की उसका जहरीला

दाँत निकालने की अथवा

उसका सर कुचलने की ही

भाषा उसको समझती है अथवा

ऐसी भाषा ही योग्य

होती है !


इसिलिए साथीयों,

भगवान श्रीकृष्ण ने

कालीया से प्रेम नहीं किया

बल्की उसका मर्दन ही किया !


कृष्ण भक्तों,

मेरा इतना छोटासा मनोगत पढकर आप सभी समझे कुछ ? या फिर आज भी

नासमझ ही हो ?


और आज समाज में अदृश्य

रूप से अनेक जहरीले कालीया

समाज मन को अपने जालीम

जहर से डस रहे है !

और सत्य को और सत्यवादीयों को हर पल परेशानियों में

डाल रहे है !


इसका हल क्या है ?


हम सभी को भगवान श्रीकृष्ण

की निती से चलकर, ठंडे दिमाग से कानूनी लडाई लडकर,

समाज में जहर फैलाने वाले

अनेक गुप्त कालीया का मर्दन

तो करना ही होगा !


जी हाँ साथीयों !


तभी सत्य बचेगा, तभी सत्यवादी भी बचेंगे !

तभी ईश्वरी सिध्दांत बचेंगे !

तभी मानवता बचेगी !


तभी पशुपक्षियों का जीवन भी

सुरक्षित रहेगा !

और तभी पर्यावरण रक्षण और निसर्ग संतुलन भी होगा !


ऐसी कानूनी लडाई में

कौन हमारे साथ खडा है ?


जरूरत है आप सभी सत्यवादीयों के दृढ ईच्छाशक्ति की !

जरूरत है सभी को सर्वश्रेष्ठ

कृष्ण निती के अनुसार हर पल

आगे बढने की !


हर कदम फूंक फूंक कर चलने की !


जो साथ देगा उसका भला ही होगा !


समय शांत और निष्क्रिय रहने का,नहीं है...

बल्कि कुछ कर दिखाने का है !

बहुत कुछ कर दिखाने का है !


इसीलिए साथीयों,

साथी हाथ बढाना साथी रे !

एक अकेला थक जायेगा !

मिलकर बोझ उठाना !

साथी हाथ बढाना !


( संपूर्ण जीत की रणनीति तैयार है ! आप सभी को हमारा साथ देना है,और हमारी शक्ति बढानी ही है ! )


हरी ओम्

जय जय श्रीकृष्णा


विनोदकुमार महाजन

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