असंभव को संभव बनाना है !
असंभव को संभव बनाना ही पडेगा !!!
( ले : - २११५ )
विनोदकुमार महाजन
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जब सद्गुरु की कृपा होगी,
ईश्वर की भी कृपा होगी,
तब अगर ....
अपनों ने भी
कितना भी जालीम जहर भी
दे दिया,
समाज और रिश्तेदारों ने भी
अगर भयंकर नरकयातनाएं भी
दी ,
तो भी वह इंन्सान चट्टानों की तरह से शक्तिशाली बनकर
खडा रहता ही है !
और अपने मंजिल तक एक दिन
जरूर पहुंच ही जाता है !
अनेक संत,महापुरुषों को अपनों ने, समाज और रिश्तेदारों ने भयंकर यातनाएं देकर भी,उन्होंने अनेक सिध्दीयाँ हासिल की, और चट्टानों की तरह खडे होकर, समाज को सदैव नवसंजीवनी देने का निरंतर प्रयास किया !
अगर इरादे है बुलंद, हौसले है बुलंद तो...
नियती भी हमारे उद्दीष्टों में
सहायक होती है और
सभी बाधाएं तथा सभी रूकावटें दूर करती है !
और बढती उमर भी बुलंद हौसले होनेपर बाधक नही हो सकती है !
भक्तिवेदांत प्रभुपाद जी ने अपने सत्तरवें साल में भगवत् गीता का वैश्विक अभियान आरंभ किया !
और आज संपूर्ण विश्व भक्तिवेदांत जी प्रभुपाद के कार्यों से प्रेरित हो रहा है !
बडे धूमधाम से कृष्णभक्ति में एकरूप हो रहा है !
क्योंकि...
अपने बुलंद इरादों पर,भक्ति वेदांत प्रभुपाद जी,चट्टानों की तरह खडे थे !
और हम सभी को अपने बुलंद इरादों पर,भक्तिवेदांत जी की तरह,बुलंद हौसले लेकर, चट्टानों की तरह खडे रहना ही है !
तभी ?
संकल्प सिध्दीयों में बदल ही जायेगा !
राधेकृष्ण तो बोलना ही पडेगा !
बोलो राधेकृष्ण की जय हो !
भक्ति वेदांत प्रभुपाद जी की जय हो !
हरी ओम्
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