वो और हम

 " वो " बिनधास्त, खुलेआम

बडे गर्व और अभिमान से

दाढी रखते है,टोपी पहनते है !


और " हम ? "

माथे पर तीलक लगाने के लिए भी शरमाते है !


धन्य है ऐसे लोगों की !

क्या ईश्वर भी " हमें "

बचा पायेगा ?


विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस