साँपों को

 *साँप को मारेंगे ? देवताओं को* *पूजेंगे ??*

✍️ २५०४


 *विनोदकुमार महाजन*


🐍🕉👆🤷‍♂️👍


मनुष्य जन्म बडा विचित्र होता है ! सुखदुखों का मेला !

साधारणतः सुख कम और दुख जादा ! लगभग सभी लोगों की यहीं कहानी !


ऐसे अजीबोगरीब मनुष्य जन्म में , नशीब के फेरों में ,सभी के साथ हरदिन अनेक घटनाएं होती रहती है ! कभी चित्रविचित्र भी , कभी आश्चर्यजनक भी , कभी विचित्र भी और कभी हैरान करनेवाली भी !


वैसे तो हरदिन हमारा संपर्क अनेक व्यक्तियों से होता रहता है ! लोग भी बडे चित्रविचित्र मिलते रहते है ! कभी साँपों जैसे फन निकालने वाले अथवा दंश करनेवाले जहरीले लोग मिलते है ! तो एखादबार कभी कभी देवता तूल्य महात्माओं के दर्शन होते है और पूरा दिन आनंद से गुजरता है !


साधारणतः हरदिन की दिनचर्या में दुर्जन ही जादा मिलते है और सज्जन - सत्पुरुष कभी कभार !


असली साँप भी कभी कभार दर्शन देकर दूर चले जाते है !

मगर साँपों जैसे जहरीले दुष्टात्मे मनुष्य प्राणी हर जगहोंपर दिखाई देते है ! जो परपीडा देने में ही माहिर होते है !


इसिलिए मनुष्य प्राणियों में ही साँपों जैसे लोग भी दिखाई देते है ! तो कभी देवता स्वरूप व्यक्ति भी सौभाग्य से मिलते है !


वैसे देवीदेवताओं का दर्शन भी दुर्लभ होता है ! पुण्यप्रभाव से ही ऐसे दर्शन संभव होते है !


तो मनुष्य में छूपे हुए देवतातूल्य महात्मा जब मिलते है तो ऐसे व्यक्ति पूजनीय होते है ! और साँपों जैसे दुष्टात्मे ? 

ताडन के योग्य ही होते है ! मतलब ? प्रत्यक्ष ताडन ना सही मगर कानूनी कार्रवाई द्वारा दुष्टों को सबक सिखाना ?

मगर कानून ही दुष्टों को सजा देने में असमर्थ होगा , उल्टा दुष्टों की रक्षा करेगा ? और पुण्यपुरूषों को ही दंडित करेगा वह कानून कैसा ? और ऐसी व्यवस्था कानून व्यवस्था कैसी बनाकर रखेगी ?

ऐसे राज्य में अराजक ही फैलेगा !


और सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है की , जानबूझकर अराजकता फैलाने के लिए ऐसी सडी हुई कानून व्यवस्था बनाता है तो इसका उत्तर क्या है ?

क्रांति ?

और समाज मन ही मरा हुवा है तो क्रांति भी कैसै होगी ?

क्योंकि क्रांति के लिए तो समाज मन प्रदिप्त होना जरूरी होता है !

तो मरे हुए मन के समाज में क्रांति की लहर भी कैसै ला सकते है !


मतलब अराजकता फैलाने में सहायभूत होनेवाली कानून व्यवस्था समाप्त करने के लिए और जहरीले साँपों जैसे दुष्टों पर अंकुश रखने के लिए और सज्जन शक्ति की रक्षा के लिए ,

 *साँप भी मरे लाठी ना टूटे* ऐसी व्यवस्था बनानी पडेगी !


क्योंकि हरएक मनुष्य प्राणी की साधारणतः यही धारणा होती है की , 

 *साँपों को मारेंगे और देवताओं* *को पूजेंगे !*


 *हर हर महादेव !!*


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