भाईचारा
जिस गाय को हम माता मानकर पूजते है
उसी गाय को काटकर खानेवाला हमारा दोस्त कैसे होगा
मंदिर में जाकर पूजा करने वाले हम
हमारे मंदिरों को तोडनेवाला हमारा दोस्त कैसे होगा
भाईचारे की नौटंकी बंद करो , अकल के अंधे बनना भी बंद करो
और आँखें खोलों
भाईचारा सब नौटंकी है
विनोदकुमार महाजन
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