हिंदुत्ववादी
क्या हिंदुत्ववादी, सचमुच में जातीयवादी होते है...???
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भाईयों,
ईश्वरी सिध्दांतों पर चलकर, मानवता का जयघोष करके,पशुपक्षीयों सहीत सभी पर सच्चा और निस्वार्थ प्रेम करने पर भी,
इस बहुसंख्यक आदर्श हिंदुओं के प्रदेश में रहकर, कुछ राक्षसी वृत्तियों ने हिंदुत्व को ही बदनाम करने की आजतक पूरजोर कोशिश की है।और इसी का एक हिस्सा, यह है की हिंदुत्ववादियों को जातीयवादी बताना।
सही है ना ?
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटें।
चोराच्या उल्ट्या बोंबा।
चोर तो चोर,अन् वर सिरजोर।
अब जातीवाद करनेवाले ही हमें सिखा रहे है की ,हम ही जातीयवादी है।
क्या भयंकर उल्टा और कलियुगी जमाना भी आ गया यारों।
अरे बाबा,सभी में एक समान आत्मतत्व देखकर, सभी को ईश्वरी अंश मानकर,सभी पर दिव्य प्रेम करनेवाले, गाय को भी माता माननेवाले और साँप को देवता समझकर पूजनेवाले,
आखिर हम जातीयवादी कैसे हो गये भई ?
जरा बतायेगा कोई तो भी ?
मैं इसीलिए मेरा खुद का उदाहरण देता हुं।मैं देहात में रहनेवाला हुं।ग्रामीण संस्कृति में बडा हुवा हुं।
और ग्रामीणों में होता यह है की,भले ही वहाँ आर्थिक विकास का स्तर साधारण हो,मगर वहाँ, सभी जाती धर्मों पर,विश्वास, प्रेम, भाईचारा होता है।
अठरा पगड जाती और सभी धर्म के लोग बडे प्यार से,मिल जुलकर, एक परिवार जैसे आनंद से रहते है।सुखदुख बाँट लेते है।सन उत्सवों में बढचढकर हिस्सा लेते है।
एक दुसरे की सहायता करते है।अमीर गरीब का,जातीपाती का भेदभाव किए बगैर बडे आनंद से जीवन बिताते है।
मैंने यह खुद अनुभव किया है।यह भव्यत्व मेरे आँखों से देखा है।
तो बोलो,हम जातीयवादी कैसे ?
महलों में रहनेवाला भी जुग्गी झोपडी में जाता है,और जुग्गी झोपडी में रहनेवाला भी महलों में जाकर,सुखदुख, बिना भेदभाव से मनाते है,तो हम जातीयवादी कैसे हो गये ?
अगर हम सचमुच में जातीयवादी होते तो....
उनको अलग पाकिस्तान देकर भी फिरसे हमारे यहाँ बडे प्यार से समा लेते ?
उनसे सदैव प्रेम, भाईचारा देकर,उनकी सदैव सहायता करते ? हम सहिष्णु है इसिलए तो ऐसा कर सकते है ना ?
और उल्टा हम ही जातीवादी ?
ऐसा कैसे हो गया भई ?
इतना ही नही भाईयों, हमने उनको अलग पाकिस्तान देकर, हमारे यहाँ सहिष्णु के नाते यहाँ पर समा लिया,उनको आधार भी दिया, उनके आर्थिक विकास के रास्ते भी आसान बनाये।इतना ही नही,हमसे जादा अधीकार भी उनको दिये।
सच कहता हुं ना मैं ?
और फिर भी हमें उल्टा जातीयवादी कहा जाता है ?
यह कैसे और क्यों हुवा भई ?
क्या साजिश है आखिर यह ?
किसिलिए किया जा रहा ऐसा ?
कौन कर रहा यह ?
वास्तव तो सभी को स्विकारना ही होगा ना ?
और हमारे ही कुछ भाई उल्टा हमें ही ज्ञान बटोरने की कोशिश करते है और हमें ही गलत साबित करने की कोशिश करते है।
आखिर क्यों भई ?
साँप साँप कहकर, खाली जमीन पर ही क्यों प्रहार किया जा रहा है ? अरे,साँप तो है ही नही ? तो क्यों व्यर्थ हाथ में लाठी लेकर,जमीन पर मार रहे हो ?
अरे,दुनिया इतनी नादान अब नही रही है।
हमें सब समझता है।
यह तो हमें तोडने की,आपस में बाँटने की और राक्षसी सिध्दातों को आगे बढावा देने की पक्की साजिश है।
और हम अब ऐसा नही होने देंगे,नही चलने देंगे।गहरी साजिश का पर्दाफाश करके ही रहेंगे।राक्षसों के असली मुखौटे और असली उद्देश्य हम सारी दुनिया के सामने ला कर रखेंगे।चिल्ला चिल्लाकर सच्चाई सारी दुनिया को बता देंगे।
विश्व के कोने कोने में फैले हुए हमारे भाईयों को भी हम हिला हिलाकर जगायेंगे।सभी धर्मीयों को,सभी मत - पथ - पंथीयों को असलीयत बतायेंगे।
सभी पर दिव्य और पवित्र प्रेम करने की,
वसुधैव कुटुम्बकम्
की व्याख्या पूरी दुनिया को बतायेंगे।
सारी दुनिया को हमारे पक्ष में ले आयेंगे।
पूरी दुनिया को हमारे दिव्य प्रेम से हमारी महान संस्कृति के बारें में बतायेंगे।
सभी को असलियत समझायेंगे।
अरे हम आजतक सभी की इज्जत करते हुए,सभी के उत्सवों में बढचढकर हिस्सा लेनेवाले, सभी को प्रोत्साहित करनेवाले, सभी की सहायता करनेवाले, सभी पर प्रेम करनेवाले, सभी का अखंड कल्याण चाहनेवाले,
आखिर जातीयवादी कैसे बन गये बाबा ? यह तो भयंकर और घोर अनर्थ हुवा ना ?
मेरे प्रश्न का एक उत्तर दो,
जीस प्रकार से हम सभी पर दिव्य प्रेम करते है...
क्या ठीक इसी प्रकार से,पाकिस्तान में,बांग्लादेश में हमारे भाईयों पर...
हमारी तरह दिव्य प्रेम किया जाता है ? क्या उनको हमारी तरह से प्रोत्साहित किया जाता है ? आनंदित किया जाता है ?
बिल्कुल नही ना ?
और हम यहाँ क्या करते है ?
दिव्य प्रेम,सहयोग, भाईचारा।
तो हम आखिर जातीयवादी कैसे ?
बताना तो पडेगा ना ?
यहाँ का हिंदुत्व ही यहाँ का राष्ट्रीयत्व है यह सिध्दांत सभी ने मान्य भी किया है और स्विकार भी किया है।
इसीलिए अगर हम,
आदर्श,
मानवतावादी,
ईश्वरी सिध्दातों पर आधारित,
हिंदुत्व का,
कानून के दायरे में रहकर,
अगर प्रचार, प्रसार कर रहे है...
तो क्या हम गलत कर रहे है ..?
सत्य दुनिया को बता रहे है,सभी के कल्याण की भाषा कर रहे है तो,क्या हम सचमुच में कुछ गलत कर रहे है...?
तो अब हमें बतावो की हम जातीयवादी कैसे ?
और असली जातीयवादी कौन है ?
परदे के पिछे का असली मुजरिम कौन है,जो हमें जातीयवादी कहकर,खुद जातीयवाद का जहर समाज में फैला रहा है ?
पर्दाफाश होना तो अब जरूरी है।क्योंकि सत्य के रास्ते पर चलनेवाले सभी को आखिर सत्य का ही रास्ता अपनाना पडता है।
मेरे इस लेख का,सभी मत - पथ - पंथ - जाती -धर्म के मान्यवर गहन अध्ययन करेंगे, चिंतन - मनन करेंगे और सत्य की ओर ले जानेवाला ईश्वरी सिध्दांत स्विकार करके,
हमारे सिध्दातों को बदनाम करनेवालों का पर्दाफाश करेंगे...
और ऐसे उल्टी चाल चलनेवालों को कानून के दायरें में रहकर,कठोर दंडित भी करेंगे यही सभी सत्यप्रेमी, मानवताप्रेमी यों से अपेक्षा।
मेरी अपेक्षा पूर्ती जरूर होगी,यह आशावाद रखकर लेखन को पूर्णविराम देता हुं।
सोचो,
जागो।
हरी हरी : ओम् ।
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विनोदकुमार महाजन।
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भाईयों,
ईश्वरी सिध्दांतों पर चलकर, मानवता का जयघोष करके,पशुपक्षीयों सहीत सभी पर सच्चा और निस्वार्थ प्रेम करने पर भी,
इस बहुसंख्यक आदर्श हिंदुओं के प्रदेश में रहकर, कुछ राक्षसी वृत्तियों ने हिंदुत्व को ही बदनाम करने की आजतक पूरजोर कोशिश की है।और इसी का एक हिस्सा, यह है की हिंदुत्ववादियों को जातीयवादी बताना।
सही है ना ?
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटें।
चोराच्या उल्ट्या बोंबा।
चोर तो चोर,अन् वर सिरजोर।
अब जातीवाद करनेवाले ही हमें सिखा रहे है की ,हम ही जातीयवादी है।
क्या भयंकर उल्टा और कलियुगी जमाना भी आ गया यारों।
अरे बाबा,सभी में एक समान आत्मतत्व देखकर, सभी को ईश्वरी अंश मानकर,सभी पर दिव्य प्रेम करनेवाले, गाय को भी माता माननेवाले और साँप को देवता समझकर पूजनेवाले,
आखिर हम जातीयवादी कैसे हो गये भई ?
जरा बतायेगा कोई तो भी ?
मैं इसीलिए मेरा खुद का उदाहरण देता हुं।मैं देहात में रहनेवाला हुं।ग्रामीण संस्कृति में बडा हुवा हुं।
और ग्रामीणों में होता यह है की,भले ही वहाँ आर्थिक विकास का स्तर साधारण हो,मगर वहाँ, सभी जाती धर्मों पर,विश्वास, प्रेम, भाईचारा होता है।
अठरा पगड जाती और सभी धर्म के लोग बडे प्यार से,मिल जुलकर, एक परिवार जैसे आनंद से रहते है।सुखदुख बाँट लेते है।सन उत्सवों में बढचढकर हिस्सा लेते है।
एक दुसरे की सहायता करते है।अमीर गरीब का,जातीपाती का भेदभाव किए बगैर बडे आनंद से जीवन बिताते है।
मैंने यह खुद अनुभव किया है।यह भव्यत्व मेरे आँखों से देखा है।
तो बोलो,हम जातीयवादी कैसे ?
महलों में रहनेवाला भी जुग्गी झोपडी में जाता है,और जुग्गी झोपडी में रहनेवाला भी महलों में जाकर,सुखदुख, बिना भेदभाव से मनाते है,तो हम जातीयवादी कैसे हो गये ?
अगर हम सचमुच में जातीयवादी होते तो....
उनको अलग पाकिस्तान देकर भी फिरसे हमारे यहाँ बडे प्यार से समा लेते ?
उनसे सदैव प्रेम, भाईचारा देकर,उनकी सदैव सहायता करते ? हम सहिष्णु है इसिलए तो ऐसा कर सकते है ना ?
और उल्टा हम ही जातीवादी ?
ऐसा कैसे हो गया भई ?
इतना ही नही भाईयों, हमने उनको अलग पाकिस्तान देकर, हमारे यहाँ सहिष्णु के नाते यहाँ पर समा लिया,उनको आधार भी दिया, उनके आर्थिक विकास के रास्ते भी आसान बनाये।इतना ही नही,हमसे जादा अधीकार भी उनको दिये।
सच कहता हुं ना मैं ?
और फिर भी हमें उल्टा जातीयवादी कहा जाता है ?
यह कैसे और क्यों हुवा भई ?
क्या साजिश है आखिर यह ?
किसिलिए किया जा रहा ऐसा ?
कौन कर रहा यह ?
वास्तव तो सभी को स्विकारना ही होगा ना ?
और हमारे ही कुछ भाई उल्टा हमें ही ज्ञान बटोरने की कोशिश करते है और हमें ही गलत साबित करने की कोशिश करते है।
आखिर क्यों भई ?
साँप साँप कहकर, खाली जमीन पर ही क्यों प्रहार किया जा रहा है ? अरे,साँप तो है ही नही ? तो क्यों व्यर्थ हाथ में लाठी लेकर,जमीन पर मार रहे हो ?
अरे,दुनिया इतनी नादान अब नही रही है।
हमें सब समझता है।
यह तो हमें तोडने की,आपस में बाँटने की और राक्षसी सिध्दातों को आगे बढावा देने की पक्की साजिश है।
और हम अब ऐसा नही होने देंगे,नही चलने देंगे।गहरी साजिश का पर्दाफाश करके ही रहेंगे।राक्षसों के असली मुखौटे और असली उद्देश्य हम सारी दुनिया के सामने ला कर रखेंगे।चिल्ला चिल्लाकर सच्चाई सारी दुनिया को बता देंगे।
विश्व के कोने कोने में फैले हुए हमारे भाईयों को भी हम हिला हिलाकर जगायेंगे।सभी धर्मीयों को,सभी मत - पथ - पंथीयों को असलीयत बतायेंगे।
सभी पर दिव्य और पवित्र प्रेम करने की,
वसुधैव कुटुम्बकम्
की व्याख्या पूरी दुनिया को बतायेंगे।
सारी दुनिया को हमारे पक्ष में ले आयेंगे।
पूरी दुनिया को हमारे दिव्य प्रेम से हमारी महान संस्कृति के बारें में बतायेंगे।
सभी को असलियत समझायेंगे।
अरे हम आजतक सभी की इज्जत करते हुए,सभी के उत्सवों में बढचढकर हिस्सा लेनेवाले, सभी को प्रोत्साहित करनेवाले, सभी की सहायता करनेवाले, सभी पर प्रेम करनेवाले, सभी का अखंड कल्याण चाहनेवाले,
आखिर जातीयवादी कैसे बन गये बाबा ? यह तो भयंकर और घोर अनर्थ हुवा ना ?
मेरे प्रश्न का एक उत्तर दो,
जीस प्रकार से हम सभी पर दिव्य प्रेम करते है...
क्या ठीक इसी प्रकार से,पाकिस्तान में,बांग्लादेश में हमारे भाईयों पर...
हमारी तरह दिव्य प्रेम किया जाता है ? क्या उनको हमारी तरह से प्रोत्साहित किया जाता है ? आनंदित किया जाता है ?
बिल्कुल नही ना ?
और हम यहाँ क्या करते है ?
दिव्य प्रेम,सहयोग, भाईचारा।
तो हम आखिर जातीयवादी कैसे ?
बताना तो पडेगा ना ?
यहाँ का हिंदुत्व ही यहाँ का राष्ट्रीयत्व है यह सिध्दांत सभी ने मान्य भी किया है और स्विकार भी किया है।
इसीलिए अगर हम,
आदर्श,
मानवतावादी,
ईश्वरी सिध्दातों पर आधारित,
हिंदुत्व का,
कानून के दायरे में रहकर,
अगर प्रचार, प्रसार कर रहे है...
तो क्या हम गलत कर रहे है ..?
सत्य दुनिया को बता रहे है,सभी के कल्याण की भाषा कर रहे है तो,क्या हम सचमुच में कुछ गलत कर रहे है...?
तो अब हमें बतावो की हम जातीयवादी कैसे ?
और असली जातीयवादी कौन है ?
परदे के पिछे का असली मुजरिम कौन है,जो हमें जातीयवादी कहकर,खुद जातीयवाद का जहर समाज में फैला रहा है ?
पर्दाफाश होना तो अब जरूरी है।क्योंकि सत्य के रास्ते पर चलनेवाले सभी को आखिर सत्य का ही रास्ता अपनाना पडता है।
मेरे इस लेख का,सभी मत - पथ - पंथ - जाती -धर्म के मान्यवर गहन अध्ययन करेंगे, चिंतन - मनन करेंगे और सत्य की ओर ले जानेवाला ईश्वरी सिध्दांत स्विकार करके,
हमारे सिध्दातों को बदनाम करनेवालों का पर्दाफाश करेंगे...
और ऐसे उल्टी चाल चलनेवालों को कानून के दायरें में रहकर,कठोर दंडित भी करेंगे यही सभी सत्यप्रेमी, मानवताप्रेमी यों से अपेक्षा।
मेरी अपेक्षा पूर्ती जरूर होगी,यह आशावाद रखकर लेखन को पूर्णविराम देता हुं।
सोचो,
जागो।
हरी हरी : ओम् ।
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विनोदकुमार महाजन।
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