ईशत्व ! ! !

 ईशत्व

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भाईयों,

आज मैं एक जागृत पत्रकार एवं एक संवेदनशील लेखक के नाते से एक अजोबगरीब लेख लिख रहा हुं।

ईशत्व ! ! !

जी हाँ भाईयों, ईशत्व।

जिस व्यक्ति के अंदर स्वकीय, समाज के प्रती अपार प्रेम,स्नेह, कल्याण करने की भावना होती है और वह व्यक्ति हमेशा परोपकार करने के लिए ही तत्पर रहता है,इसे ही ईशत्व कहते है।


कहानी है मेरे परम मित्र, छोटे भाईसमान,सदैव दिल के बडे और सभी का कल्याण चाहनेवाले, बिएनएन तथा सिएनएन न्यूज चैनल के मालिक तथा डायरेक्टर आदरणीय श्री.अजयकुमार पांडेय जी की।


भाईयों, उनका बडप्पन देखकर मैं भी हैरान रह गया।और अनायास उनके प्रती मेरे दिल में अती उच्च कोटि का आदर भाव स्थापित हो गया।और लेख पूरा पढने के बाद आप सभी के मन में भी उनके प्रति उच्च स्थान जरूर प्राप्त होकर रहेगा।


मेरी लेखनी कभी किसी की चापलूसी नही करती है।जो सत्य है वह हमेशा मेरे लेखनी द्वारा लिखता रहता हुं।जो अच्छा है,सच्चा है,उसके प्रती समाज में मैं हमेशा उच्च कोटि के भाव स्थापित करने की कोशिश करता हुं।और बुराईयो के खिलाफ मेरी लेखनी हमेशा जबरदस्त और चौतरफा प्रहार करती रहती है।


हुवा युं की,कल मुझे श्री.अजयकुमार पांडेय जी ने हमेशा की तरह फोन किया।मुझे लगा की न्यूज चैनल संबंधित कुछ बात होगी।मगर उनकी बात सुनकर मैं भी थोडा अचंभित रहा।और सोचने लगा की,

आखिर यह आदमी कौनसी मिट्टी से बना है ? ईश्वर ने इस व्यक्ति को ऐसा कैसा अजीबोगरीब बनाया है ?


अजय सर मुझे फोन पर बता रहे थे की,

कुछ साल पहले उन्होंने एक व्यक्ति को चालिस लाख की सहायता की थी।मगर वह व्यक्ति बहुत बेईमान निकला।पैसा वापिस करना तो दूर, अजयजी को ही वह व्यक्ति भूल गया।

समाज में हमारे साथ भी अनेक बार ऐसा होता है।हम मानवता के नाते से

परोपकार करते रहते है।और समाज कृतज्ञता की बजाय कतघ्नता दिखाता है और हम दुखी होते है।कभी कभी प्रतिशोध पर भी उतर आते है।


अजय सर से जिसने पैसा लिया था,जिसको उन्होंने पैसे दिये थे,उस बेईमान को ईश्वर ने इतना भयंकर सबक सिखाया है की वह आदमी पूरी तरह से कंगाल हो गया है।उसका सारा धंदा चौपट हो गया है।और वह पाई पाई के लिए तरस रहा है।


आखिर बेईमानों के साथ ऐसा ही होता है।जो अच्छे और सच्चे आदमी को फँसाता है,उसको ईश्वर कभी भी क्षमा नही करता है।

मुझे भी इसकी अनुभूति मिलती रहती है।जो मुझे फँसाने की कोशिश करता है,वह मिट्टी में मिल जाता ही है।


इसीलिए कहावत है की,

भगवान के घर में देर है मगर अंधेर नही है।


इसिलए मेरे प्यारे भाईयों,

हमेशा एक बात याद रखनी चाहिए की,

किसी का भला करो ना करो,

मगर,

किसी का बूरा करना तो दूर,

किसिके बारे में बूरा सोचना भी गलत है।


ईश्वर सब देखता है।


तो आगे की,अजयसर की कहानी सुनकर आप भी दंग रह जायेंगे।

बडे साफ मन से अजय सर मुझे फोन पर पूछ रहे थे की,

जिसने उनको धोका दिया है वह आदमी फिर से उनको पैसों की माँग कर रहा है।

और मुझे अजय सर पूछ रहे थे की,

उसको पैसे देना ठीक रहेगा या नही ?


मैंने उनको साफ कह दिया,

एक रूपैय्या भी मत दिजिए उस बेईमान, नमकहरामी को।ऐसे लोग साँप जैसे होते है।फिरसे बडे होते है और साँप जैसा हमारे ही खिलाफ जहर उगलते है।

साँप को कितना भी दुध पिलाये वह आखिर जहर ही उगलेगा।

ठीक ऐसे भी आदमी इस दुनिया में होते है।

इसीलिए अगर परोपकार करना ही है तो परखकर ही करना होगा।अन्यथा पश्चाताप के सिवाय कुछ हासिल नही होता है।


इसीलिए हमारे धर्म ग्रंथ भी,

सतपात्री दान 

का महत्व बताते है।


अजय सर जैसे हमारे समाज में रह रहे अनेक दयालु, परोपकारी महान तथा पुण्यवान आत्माओं को मेरे कोटि कोटि प्रणाम।


हरी ओम्

आप सभी का,

विनोदकुमार महाजन,

नैशनल चिफ हेड,

बिएनएन और सिएनएन न्यूज चैनल और परिवार

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