ईश्वर

 *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*

*क्रमांक=०४*


विष्णु भगवान ने पृथ्वी को किस समुद्र से निकाला था *जबकि समुद्र पृथ्वी पर ही है?*


बचपन से मेरे मन में भी ये सवाल था कि आखिर कैसे पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया जबकि समुद पृथ्वी पर ही है *हिरण्यकश्यप का भाई हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया था* फलस्वरूप भगवान विष्णु ने सूकर का रूप धारण करके हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को पुनः उसके कच्छ में स्थापित कर दिया *…*…


इस बात को आज के युग में एक दंतकथा के रूप में लिया जाता था *लोगों का ऐसा मानना था* कि ये सरासर गलत और मनगढंत कहानी है लेकिन *नासा के एक खोज के अनुसार …*…


खगोल विज्ञान की दो टीमों ने ब्रह्मांड में अब तक खोजे गए पानी के सबसे बड़े और सबसे दूर के जलाशय की खोज की है *उस जलाशय का पानी* हमारी पृथ्वी के समुद्र के 140 खरब गुणा पानी के बराबर है *जो 12 बिलियन से अधिक प्रकाश-वर्ष दूर है* जाहिर सी बात है कि उस राक्षस ने पृथ्वी को इसी जलाशय में छुपाया होगा इसे आप *भवसागर* भी कह सकते हैं क्योंकि हिन्दू शास्त्र में भवसागर का वर्णन किया गया है *…*…


जब मैंने ये खबर पढ़ा तो मेरा भी भ्रम दूर हो गया और अंत मे मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि जो इस ब्रह्मांड का रचयिता है *जिसके मर्जी से ब्रह्मांड चलता है* उसकी शक्तियों की थाह लगाना एक तुच्छ मानव के वश की बात नहीं है *मानव तो अपनी आंखों से उनके विराट स्वरूप को भी नहीं देख सकता …*…


जिस किसी को इसका स्रोत जानना है वो यहां से देख सकते हैं―


कुछ लोग जिन्हें ये लगता है कि हमारा देश और यहां की सभ्यता गवांर है *जिन्हें लगता है कि नासा ने कह दिया तो सही ही होगा* जिन्हें ये लगता है कि भारत की सभ्यता भारत का धर्म और ज्ञान विज्ञान सबसे पीछे है उनके लिये मैं बता दूं कि सभ्यता, ज्ञान, विज्ञान, धर्म, सम्मान *भारत से ही शुरू हुआ है* अगर आपको इस पर भी सवाल करना है तो *आप इतिहास खंगाल कर देखिये* जिन सभ्यताओं की मान कर आप अपने ही धर्म पर सवाल कर रहे हैं उनके देश में जाकर देखिये *उनके भगवान तथा धर्म पर कोई सवाल नहीं करता* बल्कि उन्होंने अपने धर्म का इतना प्रचार किया है कि मात्र 2000 साल में ही आज संसार में सबसे ज्यादा ईसाई हैं और आप जैसे लोगों का धर्म परिवर्तन कराते हैं *और आप हैं* जो खुद अपने ही देश और धर्म पर सवाल करते हैंं *अगर उनकी तरह आपके भी पूर्वज बंदर थे तो आपका सवाल करना तथा ईश्वर पर तर्क करना सर्वदा उचित है …*…


कौन होता है नासा जो हमें ये बताएगा कि आप सही हैं या गलत *हिन्दू धर्म कितना प्राचीन है* इसका अनुमान भी नहीं लगा सकता नासा जब इंग्लैंड में पहला स्कूल खुला था तब भारत में लाखों गुरुकुल थे और लाखों साल पहले *चार वेद* और *18 पुराण लिखे जा चुके थे* जब भारत में प्राचीन राजप्रथा चल रही थी तब ये लोग कपड़े पहनना भी नहीं जानते थे तुलसीदास जी ने तब सूर्य से दूरी के बारे में लिख दिया था जब दुनिया को दूरी के बारे में ज्ञान ही नहीं था *खगोलशास्त्र के सबसे बड़े वैज्ञानिक आर्यभट्ट जो भारत के थे* उन्होंने दुनिया को इस बात से अवगत कराया कि ब्रह्मांड क्या है *पृथ्वी का आकार और व्यास कितना है* और आज अगर कुछ मूर्ख विदेशी संस्कृति के आगे भारत को झूठा समझ रहे हैं तो उनसे बड़ा मूर्ख और द्रोही कोई नहीं हो सकता *ये अपडेट करना आवश्यक हो गया था* जिनके मन में ईश्वर के प्रति शंका है *…*…


जो वेद और पुराणों को बस एक मनोरंजन का पुस्तक मानते हैं *उनके लिए शास्त्र कहता है*―


विष्णु विमुख इसका अर्थ है भगवान विष्णु के प्रति प्रीति नहीं रखने वाला *अस्नेही या विरोधी* इसे ईश्‍वर विरोधी भी कहा गया है ऐसे परमात्मा विरोधी व्यक्ति मृतक के समान है *ऐसे अज्ञानी लोग मानते हैं कि कोई परमतत्व है ही नहीं* जब परमतत्व है ही नहीं तो यह संसार स्वयं ही चलायमान है *हम ही हमारे भाग्य के निर्माता है* हम ही संचार चला रहे हैं *हम जो करते हैं* वही होता है अविद्या से ग्रस्त ऐसे ईश्‍वर विरोधी लोग मृतक के समान है जो बगैर किसी आधार और तर्क के ईश्‍वर को नहीं मानते हैं उन्होंने ईश्‍वर के नहीं होने के कई कुतर्क एकत्रित कर लिए हैं *…*…


दिन और रात का सही समय पर होना *सही समय पर सूर्य का अस्त और उदय होना* पेड़ पौधे, अणु, परमाणु तथा मनुष्य की मस्तिष्क की कार्यशैली का ठीक ढंग से चलना ये अनायास ही नहीं हो रहा है *जीव के अंदर चेतना कहां से आती है?* हर प्राणी अपने जैसा ही बीज कैसे उत्पन्न करता है? *शरीर की बनावट उसके जरूरत के अनुसार ही कैसे होता है?* बिना किसी निराकार शक्ति के ये अपने आप होना असंभव है और अगर अब भी *ईश्वर और वेद-पुराण के प्रति तर्क करना है तो उसके जीवन का कोई महत्व नहीं है !!!!!!!!!*

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