जो दूसरे जीवों को काटकर खाता है
जो दूसरों को काटकर खाता है,
अगर उसे ही कोई काटकर खाये तो ??? ❓⁉
( लेखांक : - २१२४ )
विनोदकुमार महाजन
( कट्टर हिंदुत्ववादी, प्रखर राष्ट्राभिमानी,मानवतावादी, क्रांतिकारी, आध्यात्मिक, सनातनी, अंतरराष्ट्रीय पत्रकार )
------------------------------
साथीयों,
आज के लेख का विषय अत्यंत स्फोटक है ! फिर भी सत्य है ! और आप सभी को यह सत्य स्विकारना ही होगा !
ईश्वर ने सृष्टि बनाई !
उसमें साकार - निराकार ब्रम्ह बनाया !
उदाहरण के तौर पर : -
हमारा देह साकार तो हमारी आत्मा निराकार !
अखंड निराकार ब्रम्ह से जुडी हुई !
और उसी साकार ब्रम्ह में ईश्वर ने चौ-याशी लक्ष योनियों का निर्माण भी किया !
मतलब, सजीव सृष्टि !
और इस सजीव सृष्टि में ईश्वर ने सभी को जीने का आजीवन,प्रदिप्त अधिकार भी दिया !
जीओ और जीने दो !!!
यही जीवन का सूत्र बन गया !
और सभी सजीवों की रक्षा का पालकत्व और दाईत्व ईश्वर ने मनुष्य प्राणीयों पर सौंप दिया !
इसके लिए ईश्वर ने मनुष्य प्राणी को सभी योनियों से हटकर, बुध्दि का वरदान भी दिया !
सही और गलत का निर्णय लेने के लिए !
ईश्वर से नाता जोडने के लिए !
सभी के कल्याण के लिए !
और आत्मकल्याण के लिए भी !
ताकि ईश्वरी सृष्टिसंतूलन निरंतर चलता रहे ! और इसमें कोई बाधा उत्पन्न ना हो !
इसीलिए ईश्वर ने ही सभी सजीवों को जीवन जीने का प्रादत्त,और सर्वप्रथम अधिकार दिया है !
इसीलिए दूसरे जीवों को काटकर खाना, यह उन सजीवों के ईश्वरी मौलिक अधिकारों का हनन है !
इसिलिए ,ईश्वरी सिध्दांतों के अनुसार,विशेषता मनुष्य प्राणीयों को,दूसरे प्राणियों को, काटकर खाने का अधिकार नहीं है !
मगर,
अगर रक्षक ही भक्षक हो जायेगा तो आखिर क्या करें ?
दूसरे का जीना हराम करें तो क्या करें ?
हैवानियत धारण करके हाहाकार, उन्माद ही फैलाता रहे तो क्या करें ?
अब इसी विषय के अनुसार दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न यह आता है की,बाघ सिंह जैसे अनेक हिंसक तथा हिंस्त्र प्राणी तो दूसरे जीवों की हत्या करके ही अपना पेट भरते है !भूक मिटाते है !
उसको भोजन बनाते है !
तो यह कैसे ?
सृष्टिसंतूलन तथा सृष्टिनियमन के लिए ईश्वर ने उन्हें माँसाहारी बनाया है ! और उन सभी हिंसक प्राणीयों को ईश्वर ने ही ऐसा प्रादत्त अधिकार भी प्रदान किया है !
मगर मनुष्य प्राणीयों के लिए, केवल और केवल सात्विक शुध्द शाकाहारी भोजन लेना ही आरोग्य के लिए तथा सृष्टिसंतूलन के लिए, ईश्वरी सिध्दांतों के अनुसार हितकारी होता है !
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है की,हिंसक प्राणी केवल अपनी भूक मिटाने के लिए ही,हिंसा करता है ! भूक मिटने के बाद वह हिंसा तबतक नहीं करता है,जबतक भूक ना लगे !
मगर मनुष्य प्राणी ?
प्राणीयों की हिंसा करके उसका,उस माँस का, ब्यापार करता है !
खून की नदीयां बहाता है !
माँस हड्डीयों के मलबे खडे करता है ! यह बात संपूर्णता गलत भी है ! और ईश्वरी सिध्दांतों के खिलाफ भी है !
किसी जीव की हत्या करना मतलब, उसके देह से आत्मा चली जाना !
और जब देह से आत्मा चली जाती है तो उसे मुर्दा कहते है ! और ऐसा मुर्दा खाने से ,मनुष्य प्राणियों के लिए,अनेक समस्याओं का निर्माण भी कर सकता है !
जिसमें सृष्टिसंतूलन और सृष्टिनियमन में अनेक बाधाएं उत्पन्न होती है !
जो आज संपूर्ण पृथ्वी पर उत्पन्न हो रही है ! और संपूर्ण मानवप्राणी अती भयंकर दुखों के कारण त्राहि माम् की स्थिति में है !
और आज इसका सटीक उत्तर भी नहीं है !
ग्लोबल वार्मिंग, अतीवृष्टी,सुखा,अनेक बिमारियां, कोरोना जैसी अनेक घातक बिमारियां... जैसी अनेक भयावह समस्याओं से आज पृथ्वी निवासी समस्त मनुष्य प्राणी त्रस्त है !
इसिलिए मनुष्य प्राणी के लिए केवल शाकाहार ही उचित होता है ! और उत्तम आरोग्य के लिए भी शाकाहार करना ही ठीक रहता है !
यह सप्रमाण सिध्द भी हुवा है !
दूसरे जीवों की हत्या के कारण ऊनके श्राप भी मनुष्यों को भयंकर पिडादायक साबित हो सकते हैं !
इसिलिए मनुष्य प्राणियों को अपना ईश्वरी दाईत्व निभाना है,और अगर सृष्टिसंतूलन करना है तो ईश्वरी सिध्दांतों का स्विकार करना ही मनुष्य प्राणीयों के लिए हितकारी है !
और ऐसा उदात्त जीवन और उच्च कोटि की जीवन शैली,उच्च कोटि की विचारधारा केवल और केवल सनातन धर्म ही दे सकता है !
इसीलिए सभी मनुष्य प्राणीयों के लिए, सनातन धर्म का स्विकार तो एक दिन करना ही पडेगा !
जो प्रकाशमान जीवन की ओर ले जाता है !
और भविष्य में ऐसा दिन भी जरूर आयेगा ! जीस दिन संपूर्ण विश्व ही अंतिम सत्य, सत्य सनातन धर्म का ही स्विकार करेगा !
और ऐसा दिन भी जल्दी ही आयेगा !
जब ईश्वरी इच्छा के ही अनुसार संपूर्ण आसुरिक शक्तियों का संपूर्ण नाश हो जायेगा... तब यह सौभाग्यशाली सू - दिन भी जरूर आकर रहेगा !
क्योंकि आसुरिक सिध्दांतों के विनाश के सिवाय ईश्वर के सामने दूसरा पर्याप्त पर्याय ही नहीं बचता है ...
तो...वह परम दयालु परमात्मा...
" यदा यदा ही धर्मस्य ....!!! "
कहकर मनुष्य देह धारण करके आता है, और आसुरिक संपत्तियों का सर्वनाश कर देता है !
और आज की वैश्विक स्थिति क्या दर्शाती है ?
आसुरिक संपत्तियों के कारण,संपूर्ण सजीव सृष्टि ही खतरे में है !
तो...?
ईश्वर आयेगा !
जरूर आयेगा !!!
सत्य सनातन धर्म की रक्षा के लिए आयेगा !
और इसिलिए आज ईश्वरी इच्छा से ही समय करवट बदल रहा है !
हम सभी पुण्यात्माओं के लिए, खुद ईश्वर सृष्टि का नवसृजन भी कर रहा होगा !
और अगला प्रकाशमान रास्ता भी दिखा रहा है !!!
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है की,क्या मनुष्य प्राणियों के लिए खुद ईश्वर ने ही पर्याप्त मात्रा में शाकाहारी भोजन नहीं बनाया है ? अगर है तो...हमें शाकाहार छोडकर, दूसरे जीवों की हत्या करके,उनके शव को भोजन बनाने की जरूरत ही क्या है आखिर ?
साथियों सोचो !
गौर से सोचो !!!
भयंकर कटूसत्य लिख रहा हूं !
अगर दूसरों की हत्या करके, उसे खाने वालों की....
हत्या करके,उनको ही पकाकर कोई खायेगा तो...❓⁉
उनको ...❓⁉
उनके परिजनों को भी...❓⁉
कितना दुखदर्द होगा ???
ठीक ऐसा ही दूखदर्द सभी प्राणीयों के परिवार वालों को भी होता है !
क्योंकि उनको भी मन होता है !
उनकी भी भावनाएं होती है !
और वह सभी जीव भी ईश्वर की ही संतानें है !
इसीलिए उनको भी जीने का संपूर्ण अधिकार है !
तो आप दूसरे निष्पाप जीवों की हत्या करके उनको क्यों भोजन बना रहे हो ?
क्यों निष्पाप, निरागस जीवों की हत्या कर रहे हो ?
क्यों उनका जीने का ईश्वर दत्त अधिकार छीन रहे हो ?
और आपको ऐसा करने का अधिकार किसने दिया ?
ईश्वर ने तो आपको ऐसा अधिकार तो बिल्कुल भी नहीं दिया है !
तो...❓⁉
माँसाहार का त्याग करों !
शाकाहारी बनों !
ईश्वरी सिध्दांतों का स्विकार करों !
आसुरिक ,भयावह और विनाषकारी सिध्दांतों का त्याग करों !
ईश्वर ने बनाया है वैसा मानव बनो !
दानवत्व का त्याग करों !
इसीमें ही सभी की भलाई है !
इसी में ही सृष्टि का कल्याण है !
इसी में ही सृष्टिसंतूलन के लिए पोषकता भी है !
इसीमें ही संपूर्ण मानव समुह का कल्याण भी है !
सोचो !
जागो !
नहीं तो...❓⁉
अनर्थ अटल है !
अनर्थ अटल है !
ईश्वर का क्रोध भयंकर होता है !
और जब ईश्वर क्रोधित होता है तब...
सृष्टिसंतूलन के लिए, सृष्टिनियमन के लिए...
आसुरिक संपत्तियों का,आसुरिक सिध्दांतों का सर्वनाश करता ही है !
क्योंकि सृष्टिरचियेता भी वही है !
और उसके सृष्टि की चिंता भी वह दिनरात करता ही है !
इसीलिए...???
सभी वैश्विक मानवसमुह को नम्र निवेदन है कि,
सदा के लिए,
सनातन से नाता जोडो !
और जीवन भर के लिए खुशहाल, आनंदी, मस्त,स्वस्थ रहो !
पशुपक्षीयों को भी प्रेम बटोरते रहो !
सभी में एकसमान आत्मा होती है यार !
तो दूसरों को निजी स्वार्थ के लिए, क्यों तडपाते हो ?
उनकी हत्या क्यों करते हो ?
उनको तडप तडप कर क्यों मारते हो ?
उनको भी जीने का अधिकार है !
इसिलिए संपूर्ण विश्व के लिए आज केवल और केवल सत्य सनातन धर्म... जो ईश्वर निर्मीत है...निरंतर ईश्वरी सिध्दांतों पर ही चलता है,
भूतदया, पशुदया,प्रेम, मानवता,ममत्व, वात्सल्य सिखाता है...
यही एकमात्र सभी के लिए वरदान है !
जाग जा मानवप्राणी,
जाग जा !!!
हरी ओम्
🙏🕉🚩👍
Comments
Post a Comment