हेराफेरी और पैसा

 हेराफेरी और पैसा

( लेखांक : - २१३१ )


विनोदकुमार महाजन

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पैसा....

बहुत बडी चिज है !

भले भलों की मती गुंग करती है पैसे की जादू !

सब मायाबाजर ! माया का खेल !

पैसा भला भी है,और अच्छा भी है !

पैसा रिश्ते जोडता भी है,और रिश्ते तोडता भी है !


मगर पैसा तो जीवन में आवश्यक तो होता ही है !

पैसों के बिना जीवन में अर्थ भी नहीं है !


मगर पैसा सबकुछ नहीं है, और जीवन का अंतिम उद्दीष्ट भी पैसा नहीं है !

जीवन का अंतिम उद्दीष्ट तो कुछ और ही है !

मगर फिर भी, 

पैसा... जीवन के लिए जरूरी है ! 

यह एक जीवनोपयोगी सर्वश्रेष्ठ साधन जरूर हो सकता है !

मगर, पैसा जीवन का सर्वस्व कभी भी नहीं बन सकता है !

और जिस दिन पैसा ही जीवन का सर्वस्व बन जाता है,उसी दिन से, जीवन का पतन भी आरंभ हो जाता है !


जब पैसा ही ईश्वर बन जाता है, तब समाज में भयंकर तबाही मच जाती है,और संस्कृति शून्य... विकृत समाज की ओर समाज बढने लगता है !


जीवन के लिए, जैसे पैसा जरूरी है, उसी प्रकार से, प्रेम भी जीवन में अत्यंत जरूरी होता है !

प्रेम के बिना जीवन अधूरा होता है !

मगर प्रेम भी शुध्द, पवित्र, निस्वार्थी, निष्कपट, समर्पित होना जरूरी होता है !


प्रेम और प्रेम का मायाजाल, यह दोनों विपरीत तथा विरूद्ध वृत्तीयाँ होती है !


बचपन में अगर हम किसी वस्तु या व्यक्ति से प्रेम करते है...और वही वस्तु अथवा व्यक्ति हमें नहीं मिलती है, अथवा सदा के लिए दूर चली जाती है...तब मन भयंकर दुखी तथा व्यथित होता है ! और अगर जीवन में किसी को अगर भरभरके सच्चा प्रेम मिलता है, तो उस व्यक्ति का जीवन भी कृतकृत्य हो जाता है !


इसिलिए जिस प्रकार से जीवन में पैसा जरूरी है, उसी प्रकार से, प्रेम भी जरूरी होता है !


इसिलिए जीवन में, प्रेम और पैसा दोनों चिजें महत्वपूर्ण होती है ! और दोनों चिजें अच्छी भी होती है और बुरी भी !


अपने अपने नशीब के हिसाब से, यह दोनों चिजें हमें कम जादा स्वरूप में, मिल जाती है !


जिसको भी यह चीजें जीवन में भारी मात्रा में मिल जाती है, उसे नशीबवान कहते है ! और अगर किसी के नशीब में यह दोनों चिजें नहीं होती है तो उसे अभागा या दुर्दैवी कहा जाता है !


खैर !

अब देखते है... पैसों की ताकत !


जीवन में जादा और पाप का पैसा भयंकर उन्माद फैलाता है, और अनेक प्रकार की समस्याओं का निर्माण भी करता है !

इसीलिए धनसंग्रह हमेशा पुण्य के पैसों का ही होना चाहिए !

पुण्य के पैसों को ही लक्ष्मी कहते है ! और पाप के पैसों को अवदसा कहते है !

पाप का पैसा अनर्थ और हाहाकार फैला सकता है ! 

और पुण्य का पैसा जीवन भर के लिए, शांती प्रदान करता है !


पुण्य से और सत्कर्म से जोडा हुवा धन आबादी आबाद करता है !

वहीं पाप का धन जीवन बरबाद करता है !


इसीलिए पुण्यात्माएं,संत सत्पुरुष, महासिद्ध योगी पैसों को हाथ नहीं लगाते है !

अथवा पैसों से दूर रहकर, एक झोपड़ी में भी आनंदी जीवन बिताते रहते है !


इसीलिए संत ज्ञानेश्वर अथवा संत तुकाराम जैसे महान संतों ने ,ना धन इकठ्ठा किया...और नाही.. बडे बडे मठ मंदिरों का निर्माण किया !

अथवा नाही शिष्यों की लंबी कतार लगाई !


गृहस्थी जीवन में पैसा है तो ही जीवन अधिक सुखकर बनता है !

आवश्यक सुविधाओं के लिए भी, पैसा ही जरूरी होता है !

नितदिन का भोजन,नितदिन की आवश्यकताओं को लेकर, एक सुखमय जीवन, ऐश्वर्य संपन्न जीवन शैली के लिए भी, पैसा जरूरी होता है !

बच्चों की पढाई, घर खरिदना, गाडी और एक सुखमय जीवन पैसा ही देता है !

और धन के अभाव से अनेक समस्याओं का निरंतर सामना करना पड़ता है !

धन के अभाव से, अथवा अनगिनत कर्जा करने से,अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है !


आज के माहौल में पैसों के प्रती समाज की धारणा बिल्कुल गलत होती जा रही है !

जो धनवान है,मगर गुणवान नही है,तो भी समाज में धनवान को ही पूजा जाता है !

और अगर कोई गुणवान है मगर धनवान नहीं है तो उसकी समाज में किमत, अस्तित्व, व्हँल्यू ना के बराबर होती है ! अथवा शून्य होती है !


समय और काल बडा विचित्र होता है ! और समय और काल के अनुसार, समाज की रचना भी बडी अचंभित करनेवाली होती है !


साधारणतः पैसेवाला दुर्गुणी भी हो तो भी पूजा जाता है ! और सद्गुणी होकर भी कोई निर्धन है तो वह व्यक्ति समाज में प्रताड़ित किया जाता है !


संसाधनों के अभाव से, धन के अभाव से अनेक महापुरुषों को अपने उद्दीष्ट पूर्ति में अनेक मुसिबतों का सामना भी करना पड़ता है !


बडा विचित्र विडंबन है समाज का और समाज रचना का !!!


इमानदारी, सच्चाई के रास्ते पर चलकर साधारणतः कोई धनवान नहीं बन सकता है !

और ऐसी धारणा भी समाज में प्रबल होती जा रही है !


मगर हेराफेरी करके,समाज को फँसाने वाला जरूर धनवान बन सकता है ! और दुर्देव से ऐसा हेराफेरी करनेवाला व्यक्ति भी समाज में संन्माननीय बन सकता है !

यह भी देश का बडा दुर्देव रहा है !

इसिलिए धन कमाने की होड में सामाजिक तौर पर हेराफेरी का मामला तेज होता है ! और समाज को साधारणतः अध:पतन की ओर ले जाता है !


आजादी के बाद काले पैसों के काले कारनामों ने देश में भयंकर हाहाकार मच गया था !

और इसिलिए काला धन कमाने की समाज की धारणा बनती जा रही थी !


अगर शासक ही भ्रष्ट, लालची और पैसे खानेवाला हो...तो...

जनता भी...

यथा राजा तथा प्रजा के तहत काले धन में रूची रखने वाली दिखाई देती है !

और सांस्कृतिक अध:पतन का यह रास्ता बनता जाता है !


कुछ सालों से...

सर्वोच्च स्थान के असीन रहनेवाला शासक अत्यंत प्रामाणिक तथा इमानदार होने के कारण देश में तेजी से फैलता जा रहा भ्रष्टाचार और काले धन की काली करामत के रास्ते धीरे धीरे बंद होते जा रहे है !


इसीलिए नोटबंदी का मैं पूरजोर समर्थन करता हुं !


काले धन के मायाबाजर के सामने, और इसी चक्कर में ,साधारण और प्रामाणिक, इमानदार व्यक्ति जीवन भर के लिए साधारणतः प्रताड़ित ही रहता है !

समाज द्वारा भी और स्वकियों द्वारा भी !

निर्धन,मगर इमानदार, प्रामाणिक व्यक्तियों की समस्याओं का जीवन भर के लिए कोई समाधान ही नहीं मिलता रहता है !


दिनरात मेहनत करनेपर भी महत्वपूर्ण जरूरतों को भी पूरा करने में, साधारण और प्रामाणिक व्यक्ति असफल रहता है !

और ऐसे व्यक्ति जीवन भर के लिए, अपने नशीब को कोसते रहते है !


मगर फिर भी, सच्चाई के रास्ते पर चलकर,आखिर धनवान होने के लिए करें तो क्या करें ?

इमान और आत्मा बेचकर तो धन कमाना हराम भी है और पाप भी !

इसीलिए प्रामाणिक व्यक्ति हमेशा हतोत्साहित भावना में ही रहता है !


इसीका नाम जींदगी है ?

क्या मजबूरी का दूसरा नाम ही जींदगी है ?


और ऐसी मजबूरीयां झेलकर, अनेक व्यक्ति जीवनभर के लिए एक आशा लेकर जीते है....

शायद,हम भी एक दिन जरूर धनवान बनेंगे !

अमीर बनेंगे !


और ऐसा सपना देखते देखते ही, जीवन का अंतिम पडाव आरंभ होता है !

सभी आशाएं निराश में बदल जाती है,और दुखपूर्ण जीवन की ओर विचार बढते रहते है !


धनदौलत कमाकर, एक अच्छा जीवन जिनेवाले शायद बहुत ही कम देखने को मिलते है !


मगर ,

माता महालक्ष्मी की कृपा से सारा जीवन सुखमय, आनंदित हो सकता है !

माता महालक्ष्मी की कृपा से जीवन में अभाव शायद रहता ही नहीं है !

और माता महालक्ष्मी की कृपा से मिला हुवा धन,दौलत, वैभव ही असली धन होता है !


मगर कितने लोगों के नशीब में माता महालक्ष्मी की कृपा होती है ?

यह भी विषय महत्वपूर्ण होता है !


लक्ष्मीप्राप्ति के लिए तथा सुखमय, आनंदी जीवन के लिए, हमारे धर्म ग्रंथों में अनेक यथोचित उपाय तथा साधनाएं बताई गई है !

अगर ऐसे उपाय, साधना हमारे जीवन में पूरी की जायेगी तो शायद सभी का जीवन अभावमूक्त हो जायेगा !

और परीपूर्ण साधनों की पूर्ति जीवन भर होती रहेगी !


ईश्वरी कार्य के लिए, मानवता के कार्य के लिए, सामाजिक कार्यों के लिए भी धन की नितांत आवश्यकता होती है !

और यह धन केवल और केवल संन्मार्ग का ही होना जरूरी है !


पाप के धन के खरबों रूपयों के पहाड़ भी मिलेंगे, तो ऐसा धन धर्म कार्य के लिए भी निषीध्द माना जाता है !


फिर भी धन की,रूपयों की,पैसों की सभी के जीवन में अत्यावश्यकता होती है ! जरूरत होती है !


और साधारणतः ऐसा धन कमाना इतना आसान नहीं है !

हेराफेरी करके चाहे कोई कितना भी धन कमा लें...

उसका अंत शायद दुर्देव्यपूर्ण ही होता होगा...

ऐसी मेरी धारणा है !


धन के बारे में शायद आपके विचार अलग हो सकते है !


तो क्या धन के अभाव से ईश्वरी कार्य ,धर्म कार्य रोकना ठीक रहेगा ?


बिल्कुल नहीं !


अगर ईश्वर की और साक्षात माता महालक्ष्मी की अपार कृपा होगी तो ईश्वरी कार्य होता रहेगा, बढता भी रहेगा !

और उसमें अपार सफलता भी मिलकर रहेगी !


इसिलिए हमारा उद्देश्य पवित्र होना जरूरी है ! और हमारे हौसले भी बुलंद होने चाहिए !


ऐश्वर्य दाईनी माता महालक्ष्मी के पवित्र चरणकमलों पर,इसी लेख और मनोगत द्वारा,यह विनयपूर्वक प्रार्थना करते है की...

सभी की,हर एक की,आशा आकांक्षाएं माता पूरी करें !

सोने का धूंवा निकलने वाले,हमारे सुसंस्कृत देश में हर एक व्यक्ति सधन हो !

किसी के जीवन में कोई अभाव न हो !

सभी का जीवन अभावमूक्त हो !सभी का जीवन संपन्न हो !


ऐश्वर्य दाईनी माता महालक्ष्मी की जय हो !!!

वरदाईनी माता महालक्ष्मी की जयजयकार हो !!!

लक्ष्मी नारायण की जय हो !!!

लक्ष्मी पती भगवान विष्णु की जय हो !!!


सनातन धर्म के वैश्विक कार्यों के लिए सभी को ईश्वरी वरदान तथा माता महालक्ष्मी का आशिर्वाद प्राप्त हो !


सबका मनोरथ माता महालक्ष्मी पूरा करें !!!


हरी ओम्

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