केवल बि.जे.पी.ही क्यों जरूरी है ?
केवल बि.जे.पी.ही क्यों ???
लेखांक ( २१२३ )
विनोदकुमार महाजन
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आज हिंदुत्व तथा हिंदुरक्षा और हिंदुहितों के लिए, केवल और केवल एकमात्र बि.जे.पी.ही पर्याप्त राजकीय तथा सामाजिक पर्याप्त पर्याय उपलब्ध है !
क्योंकि इससे बडा दूसरा कोई शक्तिशाली विकल्प हमारे पास नहीं है !
इसिलिए हर हिंदु को खुलकर बि.जे.पी.का ही समर्थन करना ही अत्यावश्यक है !
और हर हिंदु को जागृत होकर, हिंदुत्व की रक्षा के लिए, बि.जे.पी.का कार्य और मतदान का प्रतिशत बढाने के लिए पुरजोर प्रयास करने की भी जरूरत है !
क्योंकि राजकीय क्रांति और सर्वोच्च सत्तास्थान द्वारा ही सामाजिक परिवर्तन तेजी से लाने की संभावना जादा होती है !
और इसके लिए मोदिजी,योगीबाबा, अमीत शाहजी जैसे अनेक मान्यवर तथा धूरंधर हिंदुत्व रक्षा के लिए, जी तोड और दिनरात प्रयास भी कर रहे है !इसीलिए उनकी शक्ति बढाना ही हमारा दाईत्व है !
इसीलिए अगर कोई हिंदुहितों के लिए कट्टर हिंदुत्ववादी राजकीय पार्टी भी कोई बनाता है, तो उस पार्टी को भी बि.जे.पी.का ही समर्थन करना अत्यावश्यक है !
मेरे कुछ मित्रों ने राजकीय पार्टियों का रजिस्ट्रेशन भी करवा दिया है ! मगर सभी मित्रों ने बि.जे.पी.का ही समर्थन किया है !
क्योंकि मतविभाजन का फायदा किसी राष्ट्र विरोधी शक्तियों को ना मिले !
अगर समझो,
हिंदुत्व रक्षा के लिए कोई स्वतंत्र रूप से लड रहा है...और मजबूरन अथवा कानूनी कारणों की वजह से बि.जे.पी.सपोर्ट भी नहीं कर रही है...तो भी...उस व्यक्ति को बि.जे.पी.का ही सपोर्ट करना अत्यावश्यक है !
क्योंकि हिंदुत्व रक्षा का दूसरा कोई विकल्प, पर्याय आज हिंदुओं के पास उपलब्ध है ही नही !
अगर किसी को लगता है कि, बि.जे.पी.हिंदुत्व रक्षा के लिए बहुत धीमी चल रही है...अनेक हिंदुत्ववादियों की जघन्य हत्याएं हो रही है...तो भी बि.जे.पी.मौन और शांत क्यों है ?
प्रश्न स्वाभाविक भी है !
मगर इसका सटीक उत्तर है...कुछ कानूनी मजबूरीयां !
कानूनी मजबूरीयां होकर भी बि.जे.पी.का नवराष्ट्र निर्माण तथा हिंदुत्व रक्षा का प्रयास दिनरात जारी है ! इसमें कोई संदेह भी नहीं है !
अगर मैं हिंदुत्व रक्षा के लिए अकेला दिनरात प्रयास कर रहा हुं,और बि.जे.पी.मेरी तरफ ध्यान नहीं दे रही है...
तो भी हमें, वैयक्तिक स्वार्थ का त्याग करके, केवल और केवल बि.जे.पी.का ही सपोर्ट करना अत्यावश्यक है !
इतना ही नहीं तो,अगर हम हिंदुत्व का प्रचार... प्रसार करते समय अनेक आर्थिक मुसिबतों में फंस गये है,अनेक मुसिबतें पिडा देती है,कुछ बिमारियां भी परेशान करती है.....और बि.जे.पी.का शून्य प्रतिशत सपोर्ट मिलता है... तो भी...हमें व्यापक राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए और वैयक्तिक स्वार्थ का त्याग करते हुए,केवल और केवल बि.जे.पी.का ही सपोर्ट करना अत्यावश्यक है !
क्योंकि...
राष्ट्र हीत सर्वोपरी !
हमारे वैयक्तिक स्वार्थ से बढकर और बेहतर राष्ट्र का हीत और हिंदुत्व की रक्षा होती है !
मेरे वैयक्तिक तौर पर अटलजी तथा प्रमोद महाजन जी के साथ बहुत अच्छे रिश्ते थे !
एक पत्र में अटलजी ने मुझे लिखा था,
" आप एक होनहार युवक हो !आपके गूण और शक्ति का पूरा लाभ पक्ष को मिलना चाहिए ! "
प्रमोद महाजन जी के साथ भी मेरे निरंतर पत्रव्यवहार होते रहते थे !
अटलजी के और प्रमोद महाजन जी के अनेक पत्रव्यवहार आज भी मेरे पास उपलब्ध है !
मगर फिर भी मुझे आज बि.जे.पी.में ना कोई बडा पद मिला है और ना ही मैंने इसकी कभी अपेक्षा की है !
हिंदुत्व का निरपेक्ष वृत्ति से कार्य करते रहना यही मेरी निरंतर धारणा रही है !
मैंने अनेक बार मोदिजी, अमीत शाहजी को एक राज्य के लिए राज्यपाल पद की अनेक बार माँग भी की है !और पद न मिलने पर मेरी नाराजगी भी नहीं है !
विशेषत: केरल राज्य का अगर मुझे राज्यपाल पद मिल जाता,तो वहाँ के सरकार की हिंदुविरोधी मतप्रणाली को मैं खुलेआम से देश के सामने उजागर करता,और कानून के दायरे में रहकर, कानूनी काट से ही वहाँ के हिंदुओं के दमन कि कू - निति को रोकने का प्रयास करता !
मेरे अनेक मित्रों द्वारा मोदिजी, अमीत शाहजी के सामने, मेरे लिए राज्यपाल पद का प्रस्ताव भी रखा था ! उन सभी मित्रों का, जिन्होंने मेरे लिए अथक प्रयास किए, उन सभी का मैं आजीवन आभारी रहूंगा !
कोई बडा पद लेना यह मेरी कोई मनिषा अथवा महात्वाकांक्षा नहीं है ! बल्कि एक अच्छा पद मिलने पर मुझे राष्ट्र हीत तथा हिंदुत्व रक्षा के लिए अधिक शक्ति मिल जायेगी,
इसिलिए मेरा यह प्रयास था !
और पद ना मिलने पर भी मेरा हिंदुत्व का कार्य थोड़े ही रूका है ?
मैंने मेरी दो हिंदुत्ववादी अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट बनाकर, उसमें अनेक समाज जागृति के लेख लिखकर, समाज जागृति अभियान तो मैंने इसी माध्यम से और सोशल मिडिया से तो निरंतर जारी ही रखा है !
और इसी कारण देश विदेशों में मुझे अनेक मित्र भी मिल गये है !
जो मुझपर और मेरे विचारों पर,लेखों पर,जी - जान से प्रेम ही करते है !
और क्या चाहिए ?
अकेले लडने से बेहतर होता है, संगठन शक्ति बढाकर लडना !
मगर कोई संगठन अगर अस्तित्व शून्य ही है तो उससे कैसी अपेक्षा की जायेगी ?
मतलब, हिंदुओं के अनेक एन.जी.ओ.बन रहे है...मगर उनकी कोई शक्ति अथवा अस्तित्व ही नहीं है... अथवा कोई राजकीय सपोर्ट नहीं है तो...ऐसी निरर्थक लडाई लडने से क्या फायदा ? इससे बेहतर है, बि.जे.पी.का खुलकर सपोर्ट करें !
निती ऐसी तगड़ी होनी चाहिए की,हमारे लडाई का फायदा समाज के हर घटक को मिले !भले ही हम छोटे तौर पर लडे अथवा अकेले लडे...उसमें दम होना जरूरी है ! और बि.जे.पी.को सपोर्ट करना भी जरूरी है !
इसीलिए साथियों,
शक्तिविभाजन द्वारा राष्ट्र विघातक शक्तियों को बल देने के बजाए, खुलकर, वैयक्तिक स्वार्थ और महात्वाकांक्षा दूर रखकर, केवल और केवल बि.जे.पी.का ही सपोर्ट करने में ही...
हम सभी हिंदुओं की..
फिर से दोहराता हुं..।
हम सभी हिंदुओं की भलाई है !
इसिलिए स्वार्थ, प्रलोभन का सर्वस्व त्याग करके चौबीसों घंटे बि.जे.पी.के ही कट्टर सपोर्टर बनकर रहते है !
और हमारे साथ भी और सौ - दो सौ लोगों को भी बि.जे.पी.का कट्टर समर्थक बनाते है !
मनभेद, मतभेद, मत - मतांतरण, वैयक्तिक स्वार्थ का त्याग करके, हम सभी हिंदु केवल बि.जे.पी.की ही शक्ति बढाने की कसम खाते है और ऐसा प्रण भी करते है !
हर हर मोदी !
हर घर में बि.जे.पी.
हरी ओम्
🙏🕉🚩👍🪷
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