अजब तेरा न्याय प्रभो
अजब तेरा न्याय प्रभो !!!
✍️ २१५४
विनोदकुमार महाजन
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अजब तेरा न्याय प्रभो
गजब तेरा न्याय !
संत सड रहे है जेलों में
चोर उचक्के बाहर !
देवीदेवताओं को बदनाम
करनेवाले
धर्म ग्रंथों को जलाने वाले
घूम रहे है बिनधास्त बाहर !
देवीदेवताओं की महती
बढाने वाले अंदर !
अजब तेरा न्याय प्रभो
गजब तेरा न्याय !!!
गोपाला गोपाला करके
गौमाताएं तुझे पुकारती है
दिनरात !
उनके खून की नदीयां
बहती है सरेआम !
हे कृष्णा, हे माधवा,
हे विठ्ठला तूने तो
अब आँखें भी बंद कर दी
तो...???
कौन अब संतसत्पुरूषों का
तारणहार ???
आँखें खोल दे विठ्ठला
आँखें खोल !!!
पूरे के पूरे पृथ्वी का
उन्मत्त, उन्मादी, हाहाकारी
राक्षसों ने,हैवानों ने
बिगाड़ दिया है रे मेरे प्रभो
तालमेल !
धर्म संकट गहरा है!
अधर्म का अंधीयारा
भयावह है !
सत्य का है कौन रखवाला ?
मेरे भगवन्...
सत्य का कौन है रे आखिर
रखवाला ???
कहाँ है तेरा गीता का वचन ???
" यदा यदा ही धर्मस्य ...."
का क्यों व्यर्थ संबोधन ???
हे भगवान...
सज्जन शक्ति त्राहि माम् है
" आसुरों का उन्माद
भयावह है ! "
हे प्रभो...
कहाँ है तू ? कहाँ है रे तू ?
सज्जन शक्ति है तुझे
पुकारती !
गौमाताएं है तुझे
पुकारती !
गंगा माता है तुझे
पुकारती !
भारत माता है तुझे
पुकारती !
धरती माता है तुझे
पुकारती !
हे सुदर्शन चक्र धारी...
हे दुष्ट निकंदन मुरारी...
हे आसुर संहारी...
हे मुरलीमनोहर धारी...
कहाँ है तू ? कहाँ है तू ?
आत्मा तडप रही है !
ह्रदय घायल है !
सत्य परेशान है !
हैवानियत का जग में
बडा संन्मान है !
कहाँ है तू ?
हे सत्य के रखवाले...
जल्दी आ जाना !
साधुसंतों की रक्षा करना !
गीता का वचन निभाना !
तेरी गौमाताओं को अभय
दिलाना !
भगवे का भी जगत् में मान बढाना !
प्यारे मोहन प्यारे...
दौड के आ जाना !
दौड के आ जाना !
देर मत करना !!!
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