मोदिजी को पत्र ( ४३ )

 यमुना मैय्या की जय हो

फरेबी कजरूद्दीन भैय्या के नौटंकी की भी जय हो
गिरगीट भी जींदाबाद हो
फोकट में खानेवाले दिल्ली वालों की भी जयजयकार हो

कितना बदल गया लालची इंन्सान ?
सूरज ना बदला , चांद ना बदला
बदल गया लालची , नौटंकीबाज इंन्सान ?
सचमुच में कितना बदल गया इंन्सान ?

फ्री के लालच में आत्मा बेचनेवालों
अभी भी सुधर जाव
अभी भी समय है
नौटंकीबाज गिरगीट के पिछे मत भागो
यह कजरूद्दीन नाम का भयंकर जहरीला गिरगीट एक दिन तुम सभी को खा जायेगा !

जागो मोहन प्यारे

जय श्रीकृष्ण

विनोदकुमार महाजन

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