मोदिजी को पत्र ( ४३ )
मोदिजी के डर से
शायद नितिश पागल हो गया हैइसिलिए पागल जैसी बाते कर रहा है
वह भी खुलेतौर पर
और विधानसभा में ?
सबकुछ आश्चर्य ही आश्चर्य है
ऐसे असंस्कृत लोग देश का क्या भला करेंगे?
और ऐसा व्यक्ति प्रधानमंत्री पद का सपना देख रहा है....
कहाँ मोदिजी के सुसंस्कार और शालिनता की भाषा , और कहाँ नितिश जैसे असंस्कृत ,असभ्य लोगों की भाषा ?
नितिश को तो जनता जुतों से ही मारेगी....
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