ईश्वर का प्रमाण

 तेरे अंदर का ईश्वर ?

✍️ २३८७


विनोदकुमार महाजन


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अनेक लोग आँख होकर भी अंधे होते है !

मुझे अनेक लोग पुछते है की , ईश्वर कहाँ है ?

हमें दिखाई क्यों नहीं देता है ?


तो मैं उनसे कहता हूं ,

ईश्वर तो तेरे अंदर ही है बंदे !

जो तेरी श्वास चल रही है , वहीं ईश्वर भी है , और निराकार ईश्वरी तत्वों से , निराकार ब्रम्ह से निरंतर जुडी हुई भी है !


श्वास खतम ? खेल खतम !

पंचमहाभूतों का देह भी फिरसे पंचमहाभूतों से एकरूप हो जाता है !


जब हमें हमारे ही अंदर के ईश्वर का पता लगता है , तो उसे बाहर ढूंढने की जरूरत ही नहीं होती है !


मगर अंदर के ईश्वर का पता लगाने के लिए , सद्गुरु की जरूरत होती है !

गुरूमंत्र और गुरूमंत्र जाप यह प्राथमिकता है और सो....अहम् जागृती पूर्णत्व है !


एक अजपा जाप का पैसों से 

" ट्रैनिंग सेंटर " चलाने वाले 

" गुरूमाँ " को मैंने कहा ,

मुझे अभी , इसी वक्त भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करवावो !

तो उसने मुझे भलाबुरा कहकर ,मुझसे संबंध काट दिये !

मगर वह " पहुंची हुई औरत "

मुझे यह नहीं बता सकी की ,

" तेरे अंदर ही श्रीकृष्ण छूपा हुवा है ! "

" जरा टटोलके तो देखो सही ! "


ऐसे गुरु शिष्यों को कैसा रास्ता दिखायेंगे ?

इसिलिए गुरु भी पहुंचा हुवा चाहिए !


इसिलिए तेरे अंदर के भगवान को ज्ञानचक्षु से देख बंदे !

सारा ब्रम्हांड ही ईश्वर रूप दिखाई देगा !


हरी ओम्

जय श्रीकृष्ण


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