बुरे लोग
*जब बुरे लोग तुम्हें पिडा देते* है *....तो ??*
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जब...
बुरे लोग तुम्हें पिडा देते है ,
भयंकर तकलिफ देते है तो ?
हो सके तो मौन रहिए , शांत रहिए , स्तितप्रज्ञ बनिए !
बहुत ही असह्य हो रहा है तो ?
ईश्वरी चींतन किजिए , गुरूमंत्र का जाप कीजिए !
हो सकता है तुमपर जलनेवाले , तुम्हें पिडा , तकलीफ देनेवाले तुम्हारे सारे दुखदर्द ,पीडा उनकी तरफ खिंच रहे होंगे !
तुम्हारी ग्रहदशा , तुम्हारी साडेसाती उनकी तरफ ले रहे होंगे ?
मतलब साफ है...
तुम दुखमुक्त हो रहे हों ,और पीडा देनेवाला घोर मुसिबतों में फँसता जा रहा हो ?
शायद तुम्हें और जादा शक्तिशाली बनाने के लिए , फौलाद बनाने के लिए , ईश्वर ही , नियती ही ऐसी कुछ अदृश्य योजना बना रहे हो ?
इसीलिए शांत और मौन रहिए !
क्योंकि अनेक बार शांति और मौन यश की ओर ले जाता है !
उसी शांति में भविष्य कालीन अनेक यशस्वी योजनाओं को भी बनाते रहिए ! ( शत्रुपिडा नाश )
याद रखिए....
ठंडा दिमाग यश की चाबी है ! इसिलिए अगर तुम्हें जानबूझकर अपमानित कर रहा है तो भी ?
शांत रहीए !
पिडा देनेवालों के बुरे दिन आनेवाले है ऐसा समझीये !
और जो जानबूझकर और बारबार विनावजह पिडा देता है , उसके बुरे दिन निश्चित ही आरंभ होते है और शायद उसी में उसिका सर्वनाश भी होता है !
रावण ने राम को तडपाया , रावण का सर्वनाश हुवा !
कँस दुर्योधन ने कृष्ण को तडपाया ? कँस , दुर्योधन का भी सर्वनाश हो गया !
कभी कभी अधर्मीयों के विरुद्ध आक्रामक भी बनिए ! मगर अनेक बार ठंडे दिमाग कि शक्तिशाली योजना भी यश की ओर ले जाती है !
तब जाकर तुम्हारा यश निश्चित होगा !
इसिलिए ....हर दिन....
निश्चिंत रहकर दिव्य मंजिल की ओर एक एक कदम बढाते रहिए !
*हरी ओम्*
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*विनोदकुमार महाजन*
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