व्यूहरचना

 व्यूहरचना ही ऐसी बनाईये

की कोई कैसा भी बाण चलायें

उसीपर ही उल्टा चला जाए


अंदर का ईश्वरी तेज

इतना जागृत और प्रबल बनाईये

की सामने कितना भी भयंकर

आसुरी शक्तिशाली राक्षस

खडा हो जाये,वह राक्षस भी

तुरंत जलकर भस्म हो जाये


विनोदकुमार महाजन

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