कालभैरवनाथ

 मुझे निगलने को

आनेवाला काल मैंने

मेरे सद्गुरू कृपा से

निगल लिया है !


अब मेरा भी " काल..."

आरंभ हो चुका है !

क्योंकि प्रत्यक्ष कालों 

का भी काल, " कालभैरवनाथ "

चौबिसों घंटे मेरे साथ है

तो " मायावी दुनिया " से

डरने की क्या बात है ?


विनोदकुमार महाजन

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