गजानन महाराज कृपा

 गजानन महाराज ( शेगांव ) हे अजुनही भक्तांसाठी चमत्कार दाखवतात.अनेक भक्तांना तशी वारंवार प्रचिती येते.

मी गण गण गणात बोते या मंत्राचा दोन कोटी पेक्षा जास्त जप पूर्ण केला आहे.व गायत्री मंत्रासह सोळा कोटीपेक्षा जास्त माझा जप पूर्ण झाला आहे.गजानन महाराजांसह अनेक सिध्द पुरूष, देवीदेवतांनी मला दर्शन, आशिर्वाद, वरदहस्त दिला आहे.

माझ्या आगामी सर्वभाषीय पुस्तकातून माझ्या या दिव्य अनुभूति मांडणार आहे.


गजानन महाराजांनी डोक्यावर वरदहस्त ठेवून,

" फार मोठे नाव कमावशील ",

असा आशिर्वाद दिला आहे.

आपणही जरूर या दिव्य मंत्राचा जप करून दिव्य अनुभूती व गजानन महाराजांची कृपा प्राप्त करून घ्यावी.


विनोदकुमार महाजन.


आता गजानन विजय ग्रंथाचा सार खालील प्रमाणे वाचा.


गजानन विजय ग्रंथातील प्रत्येक अध्यायात केलेला बोध शब्दात उतरविण्याचा प्रयत्न कुणी केलाय माहीत नाही पण खुप छान शंब्दात मांडला आहे


 श्री गजानन विजय ग्रंथ बोधामृत


                     १

पहिल्या अध्यायी, सांगे गजानन

अन्न पूर्णब्रह्म, ठेवा आठवण

                     २

दुसऱ्या अध्यायी, सांगे गजानन

नको तो आग्रह, होई नुकसान

                     ३

तिसऱ्या अध्यायी, सांगे गजानन

टाळण्या गंडांतर, धरा साधुचरण

                     ४

चवथ्या अध्यायी, सांगे गजानन

करा नामस्मरण, टाळा जन्ममरण

                     ५

पाचव्या अध्यायी, सांगे गजानन

ईश्वरी सत्ता अगाध, आणिले विहिरीत जीवन

                     ६

सहाव्या अध्यायी, सांगे गजानन

संकटी नाही त्राता, एका ईश्वरवाचून

                     ७

सातव्या अध्यायी, सांगे गजानन

आधी सशक्त शरीर, मग संपत्ती धनमान

                     ८

आठव्या अध्यायी, सांगे गजानन

नको उपाधी, नको निराभिमान

                     ९

नवव्या अध्यायी, सांगे गजानन

जीवात्मा म्हणजे गण, नाही ब्रह्माहुनी भिन्न

                    १०

दहाव्या अध्यायी, सांगे गजानन

नको दांभिकपणा, नको खोटेपण

                    ११

अकराव्या अध्यायी, सांगे गजानन

भोगावेच लागते, संचित प्रारब्ध क्रियमाण

                    १२

बाराव्या अध्यायी, सांगे गजानन

भक्ताच्या हाकेला, येई गुरू धावून

                    १३

तेराव्या अध्यायी, सांगे गजानन

बेडका बने मलम, श्रद्धा असल्या मनापासून

                    १४

चौदाव्या अध्यायी, सांगे गजानन

करिता विपरीत हट्ट, फळ मिळते वाईट

                    १५

पंधराव्या अध्यायी, सांगे गजानन

सत्पुरुषाहाती सत्कर्म, घडवी गुरुचरण

                    १६

सोळाव्या अध्यायी, सांगे गजानन

कांदा भाकरीही प्रिय, असेल जर मनापासून

                    १७

सतराव्या अध्यायी, सांगे गजानन

नका करू भेद, हिंदू आणि यवन

                    १८

अठराव्या अध्यायी, सांगे गजानन

भावे भेटतो भगवान, असल्या निर्मळ मन

                    १९

एकोणिसाव्या अध्यायी, सांगे गजानन

कर्म,भक्ती,योग मार्ग, ईश्वराकडे जाण्याकारण

                    २०

विसाव्या अध्यायी, सांगे गजानन

असो संकट कोणतेही, गुरू नेतात तारून

                    २१

एकविसाव्या अध्यायी, सांगे गजानन

वाचा विजयग्रंथ, व्हा सुखी संपन्न


🙏🏻 ||श्री गजानन जय गजानन|| 🙏🏻

🙏🙏🙏🌻🌻🏵🏵🌻🌻🙏🙏🙏

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र