गौमाता का आक्रंदन और श्राप

 गौमाता के आक्रंदन और श्रापों से,संपूर्ण मानवप्राणी दुखी है !

✍️ २२३६


विनोदकुमार महाजन


🐂🐂🐂🐂🐂


गौमाता !

साक्षात कामधेनू !

एक पवित्र आत्मा !

परोपकारी !


अगर आपको दिव्य अनुभुतीयाँ प्राप्त है और दिव्य शक्तियों का वरदान प्राप्त है तो...

गौमाता आपके साथ साक्षात स्त्री की मधूर भाषा में संवाद भी कर सकती है !

और आपको अखंड कल्याण का आशीर्वाद भी दे सकती है !

जी हाँ !

इसे ही दिव्यात्मानुभूती कहते है !


आप मानो या ना मानो,

मेरा खुद का यह अनुभव है !

यह कोई प्रसिद्धि स्टंट अथवा भूलभुलैया नहीं है !

जब आपकी आत्मा की पवित्रता सर्वोच्च स्थान पर पहुंचती है तो...आपको निरंंतर दिव्यानुभूतीयाँ प्राप्त हो सकती है !

मन का पावित्र्य, सर्वाभूती भगवंत का दिव्य अनुभव और सभी के अखंड कल्याण की कामना, आपको दिव्यानुभूतीयों की प्राप्ति करा सकती है !


इसी तरह गौमाता, गंगामैया, महालक्ष्मी माता के साथ आप दिव्य भाषाओं में ,संवाद भी कर सकते है ! 


इसीलिए आज के लेख का यही महत्वपूर्ण विषय है !


आज संपूर्ण विश्व में, अनेक जगहों पर,गौमाता की सेवा करने के बजाए,

गौमाताओं की बरबर्ता से,हत्याएं की जा रही है !

माता मानकर जिसकी अखंड सेवा और पूजा करनी चाहिए, उसी माता की अगर कोई,हत्या करता है, और उसका माँसभक्षण आनंद से करता है...

तो...? उस गौमाता का आक्रंदन और भयंकर श्रापों की वजह से, भयंकर, भयावह, भयानक मुसिबतों का सामना भी करना पडेगा !


यही शाश्वत सत्य है !

यही अंतीम सत्य भी है !


इसी कारणों से, पृथ्वी निवासी मनुष्य प्राणी आज अनेक मुसिबतों से चारों ओर से, घिर चुका है !

मुसिबतों से छुटकारा मिलने के बजाए, समस्त मानवप्राणीयों को,हरपल, हरदिन,नितदिन भयंकर मुसिबतों का सामना करना पड रहा है ! दिनबदिन हर मनुष्य प्राणी इसी कारण भयंकर दुखदर्द की ओर तेज गती से बढता जा रहा है !


उन्मत्तता, हाहाकारी भावना, अहंकार, दंभ,मग्रुरी, स्वार्थांधता,क्रूरता, आँखों के सामने की धूंदी ऐसे अनेक राक्षसी तथा हैवनी गुणों के कारण,

पृथ्वी निवासी, संपूर्ण ( अनेक ) मानवप्राणी तेज गती से विनाश की ओर बढ रहा है !


क्या मेरा कहना सत्य है ?

आप को मंजूर है ?

अगर मंजूर नहीं है तो...?

मंजूर क्यों नहीं है ?


इसीलिए अब वैश्विक मानवसमुह को,इसी बारे में, अतीशय गंभीरता से सोचना होगा ! और तेज गती से बढता हुवा विनाश भी ,रोकना होगा !


ईश्वर का भी भयंकर क्रोध रोकना होगा !

तभी मनुष्य प्राणी सुखों से जी सकेगा !


अन्यथा ?

सर्वनाश अटल है !

ईश्वर, कुदरत, निसर्ग मनुष्य प्राणीयों को,अनेक प्रकार से, सुचित भी कर रहा है !

मगर सोये हुए को जगाया जा सकता है ?

सोने का नाटक करनेवालों को कौन जगायेगा ?


जब भगवान श्रीकृष्ण,

कृष्ण शिष्टाई के लिए, दुर्योधन के पास गये थे...

तब....अहंकारी दुर्योधन, परमात्मा श्रीकृष्ण को ही मारने की भाषा बोलने लगा !

और परिणाम ?

कौरवों का संपूर्ण विनाश !


आज भी अनेक उन्मत्त, महाभयंकर दुर्योधन, समाज में, हाहाकार फैला रहे है !

ना उन्हें ईश्वर का डर है !

ना ईश्वरी कानून का डर है !


" विनाशकाले विपरीत बुध्दी: "

दुर्योधन की तरह !


इसिलिए आज,अभी,तुरंत,

गौमाताओं का आक्रंदन और श्राप सभी को रोकना होगा !

रोकना ही होगा !

तुरंत ! विनाविलंब ! विनाशर्त !


अन्यथा ?

समस्त मानवसमुह का विनाश अटल है !

केवल गौभक्त और पुण्यात्माएं ही इस भयंकर विनाश से बच जायेंगे !


और बाकी सब ???


उत्तर आप सभी से अपेक्षित है !


इसीलिए तुरंत, एक पल भी गंवाए बिना, गौहत्याएं बंद होनी ही चाहिए !

संपूर्ण रूप से !

संपूर्ण देश से !

संपूर्ण धरती से !


गौहत्या बंद करो !

गौहत्या बंद करो !

तत्काल !

यही एकमेव मनुष्य प्राणीयों को बचने का उपाय है !


गौहत्या बंद हो !

और ?

गौमाता की सेवा नीरंतर जारी रहें !


जय गौमाता की !

जय गंगामाता की !

जय धरतीमाता की !

जय लक्ष्मीमाता की !

जय नवदुर्गा की !


हर हर महादेव !

जय श्रीराम !

हरी ओम् !


🐂🐂🐂🐂🐂

🙏🙏🙏🙏🙏

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