हे हनुमान

 हे मेरे हनुमान, कहाँ है तू ?

✍️ २२३८


विनोदकुमार महाजन


🕉🕉🕉🕉🕉🚩


बीर हनुमान !

वज्रांगबली !

रामदूत बलधामा !


कहाँ है तू ? कहाँ है तेरी शक्ति ?


तू चिरंजीवी है ! इसीलिए तेरा वास्तव्य, हरपल,हरक्षण धरती पर अदृश्य रूप से रहता ही है !

तू वायुगमन करनेवाला भी है !

इसीलिए, एक पल में भी,स्वर्ग में भी पहुंच सकता है !


तेरा वर्णन , मैं अल्पमती, छोटासा मानवप्राणी कैसे कर सकता हूं ?

फिर भी,

मैं तो तेरा ही हूं !

और तू मेरा !

मेरे जैसे अनेक भक्तों का भी !

हम सभी भक्तों का तेरे प्रति,अलौकिक, दिव्य प्रेम, विश्वास, श्रद्धा ही तेरे हमारे बीच के,निरंंतर सहवास की साक्ष देती है !

फिर भी, मेरे प्रभो...

अनेक अनुत्तरित प्रश्न मन को,

निरंंतर सताते रहते है !

इस प्रश्नों का तू ,प्रत्यक्ष या दृष्टांत में,स्वप्नावस्था में,यथार्थ उत्तर भी देगा ही देगा,ऐसा मन में पूरा विश्वास है !


आजतक अनेक बार, तुने, तेरे अलौकिक, दिव्य शक्तियों का,साक्षात्कार मुझे दिखाया भी है ! और ऐसे साक्षात्कारों से मैं भी हैरान हूं !

सबकुछ अलौकिक !


तेरा अग्नीसमान प्रखर ,धधगता ईश्वरी तेज,रावण की लंका जलाने में भी सक्षम था !

फिर भी, आज के संपूर्ण पृथ्वी पर, हाहाकार फैलाने वाले,उन्मादियों का तू,सदा के लिए, कर्दनकाल क्यों नहीं बन रहा है ?

तेरे रामजी का आदर्श ग्रंथ,

रामचरित मानस को जलाने वालों को,तू तुरंत जलाकर, राख क्यों नहीं कर रहा है ?पापीयों को तुरंत दंडित क्यों नहीं कर रहा है ?


सज्जन शक्ति को,दुर्जनों ने आज,त्राहि माम् जैसा बनाया है !

सज्जन शक्तीयों का रखवाला, और दुष्टों का सदा के लिए, निर्दालन करनेवाला,

बीर हनुमान कहाँ है तू ?


आज मेरे जैसे,तेरे लाखों भक्तों में ,आज का भयंकर अराजक का माहौल देखकर, अधर्मी पापीयों का हाहाकार देखकर, धर्म ग्लानि देखकर,मन में हतबलता आ गई है !

उन सभी की हतबलता को समाप्त करने के लिए,और...


तेरे ही राम का आदर्श,

" रामराज्य..." संपूर्ण धरती पर लाने के लिए,

ऐसे प्रश्न मन में बारबार उठते जा रहे है !

जिसका निराकरण तुझे,तेरी दिव्य शक्तीयों द्वारा, करना ही पडेगा !


अब तेरा भी दाईत्व है की,तेरे सभी भक्तों के प्रश्नों का यथोचित उत्तर देना, और उनका विचलित मन शांत करना !

और उन सभी की,सभी गौभक्तों की,सभी गौरक्षकों की,राक्षसों से रक्षा करना !


तेरी शक्ति अब तुझे तो दिखानी ही पडेगी ! दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है !

" अतुलित बलधामा !! "


राममंदिर का फैसला जिस दिन,कोर्ट से आना था,

तब मुझे भोर पांच बजे,

साक्षात रामजी, लक्ष्मण, सीतामैया और हनुमानजी ने

स्वप्न में दर्शन दिये थे !

उसी वक्त मैं इसका मतितार्थ समझ नहीं सका था !

मगर जब न्यायालय का फैसला, राममंदिर निर्माण के पक्ष में आया,तब मैं आपके दर्शन का अर्थ समझ सका !


अगर सचमुच में, ईश्वर हमसे इतना अद्भुत प्रेम करता ही है तो...?

रामराज्य के लिए भी चिंता करने की जरूरत ही क्या है ?

साक्षात रामजी और हनुमानजी यह कार्य करके ही दिखायेंगे !


इसी विषय के अनुसार, मेरे एक प्रिय मित्र तथा टिवी चैनल के मालिक,

संन्माननीय श्री.अजयकुमार पांडेय जी ने भी मुझे,

राममंदिर का फैसला आने से पहले ही दिन,

फोन करके बताया था की,

कल न्यायालय का फैसला राममंदिर के पक्ष में आयेगा !

क्योंकि अब प्रत्यक्ष रामजी धरती पर अवतीर्ण हुए है !

और धरती पर रामराज्य आरंभ हो रहा है !


अजयकुमार पांडेय जी ने मुझे फोन करके बताया था, ठीक ऐसा ही न्यायालय का फैसला आ ही गया !

मतलब ?

उनको भी अनेक दैवीय दिव्य शक्तीयों का सहयोग प्राप्त है !

यह तो निर्विवाद सत्य है !


साशंक मन,शांत होने के बावजूद भी,

मन में अनेक प्रकार के प्रश्न उपस्थित होते है !

जिसका निराकरण खुद हनुमानजी ही करेंगे !


अनेक आक्रमणकारियों ने क्रूरता से राममंदिर पर आक्रमण किया,और राम का आदर्श मंदिर गिराकर, सैतानी राज्य की नींव डाली,संस्कृति भंजन किया,

तब हनुमान, तू मौन,शांत और स्तब्ध क्यों था ?

तेरे आदर्श रामजी के मंदिर का रक्षण तूने उस समय में क्यों नहीं किया !

जबकी तू सर्वज्ञ है,सर्वसाक्षी है,सर्वव्यापी भी है !

अष्टौप्रहर तेरा अस्तित्व धरती पर होते हुए भी,

तूने ऐसा क्यों किया ?


सज्जन गड के रामदास स्वामीजी के साथ तू नितदिन, हरपल रहता था !

साकार रूप में उनके साथ बैठकर, खाना भी खाता था !


फिर भी उस समय के,

भयंकर अस्मानी...सुल्तानी के मुसिबतों में तू, मुकदर्शक क्यों बन गया ?

दु:खातिरेक से रामदास स्वामीजी के मुख से अनायास ही, उस समय में ,एक वाक्य बाहर आ गया था !


" तुझा दास मी व्यर्थ जन्मास आलो ! "


ऐसा क्यों ?

या फिर यथोचित समय का इंतजार ?


रामजी के अवतार कार्य में भी जब खुद रामजी,बनवास के कारण,जंगल जंगल, दरदर भटक रहे थे, सीतामैया अशोक वन में ,रावण के कब्जे में थी,

क्या तब भी तू , यथोचित समय की प्रतिक्षा करता रहता था !

तेरी दिव्य,अलौकिक शक्ति सिताराम का भयंकर बनवास समाप्त करने के लिए,क्यों कार्य नहीं कर रही थी ?


क्या यही विधी का विधान था ?

मूकदर्शक बनकर, सबकुछ देखते रहना ?


क्या आज भी यही विधी का विधान है ?

निष्पाप ईश्वर भक्त आज मजबूर, हताश दिखाई दे रहे है !

गौमाताओं को क्रूरता से,तडपातडपाकर मारा जा रहा है !

पाकिस्तान, बांग्लादेश, केरल, पश्चिम बंगाल जैसे अनेक जगहों पर, निष्पाप ईश्वर भक्तों की हत्याओं का भयंकर सत्र चल रहा है !

अराजकता का भयंकर, भयावह माहौल है !

सत्य परेशान ही नहीं, सत्य तडप भी रहा है !


और फिर भी, मेरे हनुमान,

तू स्तब्ध, शांत,मौन क्यों है ?

भयानक पापों का माहौल तुझे दिखाई नहीं दे रहा है ?


हे हनुमान,

हमें,हमारे आँखों के सामने, इतना भयंकर, भयावह अन्याय - अत्याचार हमें सहा नहीं जा रहा है !


फिर भी तू मौन और शांत क्यों है ?

अनेक जगहों पर, तेरे रामजी के भक्त परेशान है !


इसीलिए हे दयाघन हनुमान,

कृपा करना !

कृपा करना, उन सभी पर,जो तेरे राम के भक्त है !

और परिस्थितियों से मजबूर भी है !


" !! संकट कटै,मिटै सब पीरा

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा !! "


जय श्रीराम !

जय हनुमान !

वज्रांगबली की जय !


हरी ओम्


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