औदुम्बर

 अवधूत चींतन श्री गुरूदेव दत्त


सद्गुरु आण्णा की कृपा से,जीर्णशीर्ण सुखे हुए,औदुम्बर वृक्ष को नितनई , बहार आ गई...फल,फूलों से बहार हो गई...जीवन में अत्यानंद की बहार आ गई...जीवशीव का मिलन हो गया

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