यशस्वी जीवन का सूत्र

 यशस्वी जीवन का सूत्र =

जैसे को तैसा ??

✍️ २३३१


विनोदकुमार महाजन


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* सृष्टि का न्याय , जैसे को तैसा होता है !

* पशुपक्षी भी इसी न्याय से ही चलते है !

* जीवन में हमें भी ठीक ऐसा ही आचरण करना चाहिए !


* जो तुम्हे संन्मान देता है,तुम्हारी इज्जत करता है , उसीका ही संन्मान करों,उसी की ही इज्जत करो !

* जो तुमपर सच्चा, पवित्र,दिव्य निष्पाप प्रेम करता है ,केवल उसी पर ही ऐसा ही सच्चा प्रेम करो !

* प्रेम की कीमत न समझने वालों से प्रेम करनेपर केवल पछताना ही पडता है !

* जो तुमसे नफरत करता है, द्वेष करता है उससे सदा के लिए दूर ही रहो ! 

अन्यथा कपटी लोग जाल बिछाकर जीवन बरबाद भी कर सकते है !

* जो तुम्हारी शून्य कीमत समझता है , उसी के भलाई के लिए ,एक पल का भी समय मत गँवायें !

ऐसे लोगों से हमेशा दूर ही रहो !

और उससे संबंध स्थापित करने का कभी भी प्रयास भी मत करो ! अथवा उसीके घर में भी कभी भी मत जावो !

* जो तुम्हें हमेशा याद करता है ,फोन करता है ,मेसेज करता है ,उसीसे ही केवल रीश्ता रखिए !

* तुम्हारी याद न करनेवालों को ,मेसेज न करनेवालों को ,कभी भी फोन न करनेवाले मतलबी लोगों से सावधान और दूर ही रहिए !

* मतलब की दुनिया में ,मतलब का ,फरेबी प्रेम करनेवालों से ,अखंड सावधान रहिए !

* ढोंगी, पाखंडी लोगों से सावधान रहिए !


* ईश्वर, नियति, निसर्ग भी इसी सिध्दांतों पर ही चलते है !

* इसीलिए ईश्वर को ,निसर्ग को जो जैसा देता है ,ठीक वैसा ही उसे एक दिन वापिस मिलता ही है !

* सच्चे ,अच्छे ,नेक व्यक्तीयों से ही दोस्ती करों !

* परखकर ही मित्र बनावो !

* हो सके तो हमेशा मौन और एकांत में रहने का प्रयास किजिए ! इससे हमारा आत्मबल और आत्मतेज भी बढेगा !

और ईश्वर का भी सानिध्य बढेगा !

* नकली लोगों से हमेशा सावधान ही रहिए !

* नकली लोगों के कल्याण की भाषा कभी भी मत बोलिए !


हरी ओम्

जय श्रीकृष्णा


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