यशोशिखर
अपयश का जहर !!
✍️ २३३४
विनोदकुमार महाजन
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बारबार हजम करना पडनेवाला अपयश का भयंकर जालिम जहर ,
शायद अनाथपण का भी भयंकर जहर ,
अनेक मुसिबतों का जहर ,
आर्थिक समस्याओं का महाभयानक जहर ,
शायद अनेक सालों तक,अनेक बिमारीयों का भी जहर ,
समाज में फैले हुए ,
साँपरूपी, अनेक अदृष्य गुप्त हितशत्रुओं का जहर ,
अनेक स्वकियों के विरोध का , भयंकर अपमान और अनेक प्रकार की बदनामीयों का जहर ,
हर पुण्यपुरूषों को , हर महापुरुषों को लगभग भोगना ही पडता है !
खून के आँसू रोना पडता है !
ईश्वर भी अनेक प्रकार की अग्नीपरीक्षाएं , सत्वपरीक्षाएं लेता है !
अनेक सालों तक ,बिना थके ,बिना हारे , मुसीबतों की भयावह अग्नि में भी जलना पडता है !
तभी जाकर अनेक सिध्दीयाँ प्राप्त होती है !
तभी जाकर अपने दिव्य मंजिल तक पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त होता है !
" यशोशिखर !!! "
का सौभाग्य यूंही नहीं प्राप्त होता है !!
हरी ओम्
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