भूतों से दोस्ती ?

 *भूतों से दोस्ती ??* 

✍️ २३२४


 *विनोदकुमार महाजन* 


🤔🤔🤔🤔🤔


 *महत्वपूर्ण टिप्पणी :* - 

सभी हिंदुत्ववादी तथा सनातनप्रेमीयों के लिए ,सत्य पर आधारित यह अद्भुत लेख है ! और सभी को पढना भी अत्यावश्यक है ! अनिर्वाय भी !!


सत्य सनातन की ध्वजा संपूर्ण विश्व में लहराने के लिए !!


सनातन धर्म विश्व में सबसे महान और श्रेष्ठ कैसे है ? इसका विस्तार से वर्णन इस लेख में किया गया है ! 


..........🕉🕉🕉


भूत...पिशाच... सचमुच में होते है ?

जी हाँ होते है !

उनसे दोस्ती भी हो सकती है ?

जी हाँ !


कैसे ??


इसके लिए यह अद्भुत लेख विस्तार से पढना होगा !

लेख पढने के बाद अगर किसीके मन में आशंकाएं है तो...मुझे संपर्क जरूर कर सकते है !


वैदिक सनातन हिंदु धर्म यह एक ऐसा धर्म है जिसमें सभी प्रश्नों के,सभी समस्याओं के यथोचित उत्तर दिए गये है !


और संपूर्णतः सत्य की खोज करके ही इस धर्म में अंतिम सिध्दातों को स्विकारा गया है !


कैसे ?? और इसका प्रमाण क्या है ??


इसका प्रमाण है अनेक अद्भुत ग्रंथ ! और धर्म ग्रंथों में लिखा हुआ वास्तव !

और यही अद्भुत सनातन धर्म का सत्य पर आधारित,आध्यात्मिक दृष्टि से वास्तव भी है !

जो बारंबार अनेक चमत्कारिक घटनाओं को भी सिध्द करता है !


कैसे ?


देखिए,

विज्ञान मनुष्य निर्मित है ! इसीलिए उसे अनेक मर्यादाएं होती है !

मगर सत्य सनातन धर्म ईश्वर निर्मित है ! और इसी धर्म में अनेक प्रकार की आध्यात्मिक उंचाईयों को स्थापित करने की शक्ति और सामर्थ्य है !


यही देखिए,

आधुनिक विज्ञान सजीवों के मृत्यु तक ही सिमीत रहता है !

इसिलिए मृत्यु को केवल

" डेड बाँडी " का संबोधन देकर ही विषय समाप्त हो जाता है !


और इसीलिए विज्ञान आत्मा की खोज करने में असमर्थ है !


मगर आध्यात्म ?

सनातन संस्कृति के अनुसार और ईश्वर निर्मीत आध्यात्मिक शक्तियों के अनुसार ,सजीवों के मृत्यु के बाद का जीवन भी विस्तार से अधोरेखित किया जाता है !

जिसे आत्मा ऐसा संबोधन दिया जाता है !


आद्य - आत्मा का मतलब आध्यात्म का संपूर्ण, और विस्तार से,यथोचित और सार्थ विवेचन, विश्लेषण और स्पष्टीकरण केवल वैदिक सनातन हिंदु धर्म में ही किया जाता है !


इसीलिए मृत्यु के बाद का आत्मा के संचलन का विस्तृत विवेचन भी केवल वैदिक सनातन हिंदु धर्म में ही किया जाता है !


 *विशेष : -* धर्म संस्थापक कोई नहीं है ! 

यह धर्म अनादि अनंत है ! शास्वत है !

ईश्वर निर्मित है !!


" *हमारी आत्मा की तरह ! "* 


और इसी सिध्दातों के अनुसार भूतों का अथवा पिशाचों का अस्तित्व और उसका संचलन का विस्तृत और वास्तव विश्लेषण और विवेचन भी,केवल सनातन धर्म में ही दिखाई देता है !


संपूर्ण रूप से पूर्णत्व एवं ईश्वरी वरदान सनातन धर्म को ही प्राप्त है !

जिसमें सभी असंभव को भी संभव में बदलने का , ईश्वरी वरदान प्राप्त हुवा है !


" इसीलिए यह *चमत्कारों की* भूमि है ! "


इसीलिए संपूर्ण विश्व में, केवल और केवल सनातन धर्म ही एकमात्र धर्म है - जो सत्य पर और संपूर्णतः ईश्वरी सिध्दातों पर आधारित है !


और साथ में कुदरत के कानून के अनुसार, भूतदया,प्रेम,सौहार्द,

और " *वसुधैव कुटुंबकम* "

की महती सिखाता और दर्शाता है !


आत्मा का चौ-यांशी लक्ष योनियों द्वारा देह बदलते रहने का अद्भुत विश्लेषण भी केवल सनातन धर्म ही विस्तार से दे सकता है !!


इसिलिए आज संपूर्ण विश्व को ,और विश्व में फैले हुए संपूर्ण मानव प्राणियों के लिए ,सभी सजीवों के रक्षण के लिए ....

( *भक्षण के लिए ? नहीं !* )


पशुपक्षीयों सहीत सभी के,संपूर्ण कल्याण के लिए और मानवोथ्थान और मानवप्राणीयों के उध्धार  के लिए, 


" केवल *सत्य सनातन* वैदिक धर्म ही यथानुकूल मार्गदर्शन कर सकता है ! "


मैं देह नहीं बल्कि पवित्र आत्मा हूं ,और चौबीसों घंटे, निराकार ईश्वरी शक्तियों से,निराकार ब्रम्ह से, मेरे निराकार श्वासों द्वारा,जुडा हुआ हूं,इसका सटीक और अलौकिक ,वास्तविक,यथार्थ विवेचन ,वर्णन भी आधुनिक विज्ञान नहीं कर सकता है, बल्कि इसका विस्तार से विवेचन, विश्लेषण सत्य सनातन धर्म ही कर सकता है !

और वह भी सप्रमाण !


जबतक श्वासों का अस्तित्व है,तबतक ही देह का चलनवलन है ! देह का संचलन है !


और इसीलिए,

श्वासों का रूकना ? मतलब मृत्यु !


और मृत्यु के बाद का जीवन और इसका वर्णन ?

केवल सनातन धर्म का आध्यात्म ही कर सकता है !


इसीलिए,

" सो...अहम्  "

अथवा,

" अहम् ब्रम्हास्मी "

की व्यापकता और सार्थकता तथा वास्तवता का वर्णन केवल सनातन धर्म ही कर सकता है !


मतलब ?


मृत्यु के बाद के जीवन का भी यथोचित वर्णन केवल सनातन धर्म ही दे सकता है !


और इस प्रकार से,

जैसे आत्मा का अस्तित्व स्वीकारा जाता है,

ठीक उसी प्रकार से,

अतृप्त आत्माओं को भी और उसके अस्तित्व को भी स्विकारा जाता है !

जिसे भूत अथवा पिशाच कहते है !


यह कोई पाखंड अथवा अंधविश्वास नहीं है !


जिसकी मृत्यु अनैसर्गिक होती है, मतलब एक्सिडेंट से,सर्पदंश से,फाँशी लगवाकर,जहर खाकर, जलकर मृत्यु होती है ,तो अनैसर्गिक मृत्यु के कारण उसकी इच्छा आकांक्षाएं पिछे रहती है ! और इसी कारण वह आत्मा अदृश्य रूप से और अतृप्त होकर भटकती रहती है !


मतलब ईश्वरी रचना के अनुसार मृत्यु न होकर ,तडपकर मृत्यु होती है !


साधारणतः नैसर्गिक मृत्यु आनेवालों की आत्मा उसके 

पाप - पुण्य के हिसाब के अनुसार, अथवा कर्मभोग या प्रारब्ध गति के अनुसार, मोक्ष को प्राप्त कर सकती है ! अथवा फिरसे देह बदलबदलकर, चौ-यांशी लक्ष योनियों का भ्रमण कर सकती है !


मोक्षप्राप्ति द्वारा,मतलब जन्म मृत्यु से सदा के लिए छुटकारा !


अथवा किसीकी आत्मा फिरसे चौ-यांशी लक्ष योनियों का चक्कर काटती रहती है !


और जिसको ब्रम्हज्ञान प्राप्त हुवा है,अथवा अलौकिक शक्तियों का सामर्थ्य प्राप्त हुवा है,अथवा जिसकी अतींद्रिय शक्ति जागृत है , ऐसे महात्मा हर एक देहधारी सजीव प्राणियों को केवल आत्मतत्व के आधार पर ही देखता है !


ईश्वर की सब एक ही संतान !


अलग अलग देह !

मगर एकसमान आत्मतत्व !


सभी का जन्म मृत्यु का सूत्र एकसमान !

सभी के अंदर पंचमहाभूतों का अस्तित्व !

सभी को आहार, निद्रा, भय ,मैथून का एकसमान सूत्र !


और सृष्टिचक्र चलाने के लिए ,और सजीवों के पुनर्निर्माण के लिए,सभी सजीवों का बिजारोपण का सूत्र भी लगभग ?

एकसमान !!

( कुछ अपवादों को छोडकर ! )


सृष्टिचक्र चलाने के लिए, सजीवों का पुनर्निर्माण के लिए,

नर - मादा का अद्भुत निर्माण भी आखिर क्या दर्शाता है ?


इतने सारे सजीव, जीवजंतु ?

सभी के जन्ममृत्यु का अचूक हिसाब किताब ईश्वर के पास होता है !

किसका जन्म कहाँ ,कौनसी योनी में होगा,उसकी मृत्यु कब ? कहाँ होगी ? इसका अचूक हिसाब किताब !


 *आश्चर्य है ना सबकुछ ?* 


इतना जबरदस्त सृष्टिसंतुलन और सृष्टिनिर्माण मनुष्य निर्मित, विज्ञान को संभव होगा ?


ईश्वर निर्मित अनेक आश्चर्यजनक और आश्चर्यचकित करनेवाले तथ्य आप देखेंगे तो क्या कहेंगे ?


ईश्वर निर्मित सत्य सनातन धर्म की जय हो !!!


यहीं कहेंगे ना ?


अब देखते है,मेरे कुछ अद्भूत अनुभव !


बचपन से लेकर आजतक मेरे साथ हमेशा अनेक अद्भूत घटनाएं होती आ रही है !

शायद आप विश्वास भी नहीं करेंगे ! अथवा थोतांड कहकर मेरी शायद खिल्ली भी उडायेंगे !


 *मगर यह वास्तव है !* 


मेरी माँ मेरे बचपन में ही गुजर गई ! माँ सामने नहीं दिखने पर साधारणत: हर बच्चा लगभग पागल ही होता है !

वह बेचारा पागलों की तरह अपनी माँ को चारों तरफ ढूंडता रहता है !


मेरा भी ऐसा ही हुवा !

मगर चमत्कार यह हुवा की,मृत्यु के बाद भी, मेरी माँ ने  पंचमहाभूतों का देह धारण करके मुझे दर्शन दिए !

और मेरे दादाजी ,अर्थात मेरे सद्गुरु आण्णा के हाथों में मुझे सौंपकर ,मेरे सरपर हाथ रखकर मेरी माँ मेरी नजरों से ओझल होती गई !

इसका प्रमाण मेरे दादाजी ,मेरे आण्णा है !


मेरी माँ तो साक्षात दुर्गा है !

उसे कैसी मृत्यु ?

कभी भी दर्शन दे सकती है !

और उसका जागृत ईश्वरी तेज मेरे अंदर है तो ?

मेरे वैश्विक क्रांति अभियान में मुझे कौन रोकेगा ?

उपर से सद्गुरु आण्णा का,अनेक सिध्दपुरूषों का,देवीदेवताओं का वरदान ?


तो मुझे कौन रोकेगा ?

साक्षात गौमाताएं भी मेरे सपनों में आकर, मधुर स्त्री बाणी में मेरे साथ बातें करती है ,मेरी गौमाताएं !

उसके स्तनों का मेरे सपनों में आकर दूध भी पिलाती है !

आखिर माँ जो है !

मेरी ! 

आप सभी की भी !!

दयालु, कृपालु, ममतालु,वात्सल्य पूर्ण !!


सबकुछ अद्भुत है ! अनाकलनीय है !

सत्य सनातन धर्म का महिमामंडन !


और क्रूर इंन्सान ??

गौमाता को भी भोजन बनाकर खाता है ?

कितनी तडपती होगी हमारी आत्मा ऐसा भयावह दृष्य देखकर ?


 *सोचीये !* 

हजार बार सोचिए !

और हमारी गौमाताओं को बचाईये !


सौगंध है आप सभी को,

गौपूजक भगवान श्रीकृष्ण की !


शायद इतना पढने के बाद,

आप सभी कहेंगे,

" बडा विचित्र प्राणी है यार तु तो ! "


जी हाँ साथीयों !

मेरा बचपन से लेकर आजतक का जीवन ही बडा विचित्र, अद्भुत और आश्चर्यजनक है !

शायद आप विश्वास भी नहीं करेंगे, ऐसी अनेक अद्भुत घटनाएं मेरे जीवन में निरंतर घटती रहती है !


इसीलिए भूतों से भी मेरी दोस्ती होती है !

यह कोई काल्पनिक कथालेखन नहीं है, बल्कि मेरे जीवन में घटने वाली अनेक अद्भूत घटनाओं में से एक है !


जिसका आत्मतत्व जागृत, पवित्र और विकसित है ,अलौकिक शक्तियों का जिसे सहयोग प्राप्त है,ऐसे महात्मा मेरी बातों को जरूर स्विकारेंगे !


आधेज्ञानी तो मेरी जरूर खिल्ली ही उडायेंगे !


आखिर जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि!


आओ,

अब देखते है विस्तार से !


मैं हमेशा पशुपक्षियों से , निसर्ग से ,जिसकी आत्मशुद्धि हुई है, उन सभी से पवित्र प्रेम करता हूं ! निरंतर, निष्पाप, निस्वार्थ प्रेम ! ईश्वर निर्मित प्रेम !


और झूठ का मुखौटा पहनकर समाज में रहनेवालों से सदैव दूर रहता हूं !

विशेषत: आसुरीक शक्तियों से !


झूटे लोगों को ,आसुरीक शक्ति वालों को,मेरा तो यह सबकुछ लिखा हुआ, ढोंग ही लगेगा !


खैर !


बदनामी करनेवाले करते रहे !

मैं नितदिन,नई उर्जा के साथ, मेरी दिव्य मंजिल की ओर बढता ही जाऊंगा !


अब देखते है भूतों से दोस्ती !मगर भूत तो आसुरीक प्रवृत्ति के ही होते है ना ?

तो उनसे दोस्ती कैसे ?


नहीं !

सभी भूत आसुरीक वृत्ति के नहीं होते है ! कुछ भूत सात्विक भी होते है ! परोपकारी भी होते है !


किसी पुण्य पुरूष की एक्सिडेंट से मृत्यु हो गई है तो उसकि भी वासनाएं पिछे रह जाती है !

और वह भी शायद भूत बन सकता है !


मगर परोपकारी भूत !


सबकुछ आश्चर्यजनक !!


और सत्य सनातन धर्म ही केवल ऐसे तथ्यों को और सत्य को उजागर कर सकता है !

क्योंकि सत्य सनातन धर्म ईश्वर निर्मित है ! और इसीलिए इसे ईश्वरी वरदान भी प्राप्त है !


साकार - निराकार का तालमेल सनातन धर्म ही सिखाता और दिखाता है !

इसिलिए सत्य सनातन धर्म ही अंतिम सत्य है ! 

क्योंकि सत्य सनातन धर्म ही केवल अंतिम सत्य की और अद्भुत ईश्वरी सिध्दातों की खोज कर सकता है !


और पिशाच योनी भी अदृश्य योनी है !


मेरे साथ पशुपक्षी और देवीदेवता भी बातें करते है !

अनेक संत ,महासिद्धों को भी ऐसे अनुभव आते रहते है ! और उनका अद्भूत लेखन भी इसके प्रमाण है !


क्या ऐसा भी हो सकता है ?


संत ज्ञानेश्वरजीने निर्जीव दीवार भी चलाई थी ना ? योगबल के सामर्थ्य से ?

तपोबल के सामर्थ्य सै ?


क्या यह भी झूठ ही है ?


यही सनातन धर्म की विशेषताएं है !

सबकुछ अद्भूत, अलौकिक, अतर्क्य !


इसीलिए तो सनातन धर्म महान है !


( " दूसरी तरफ ? " है ऐसे अद्भुत ईश्वरी शक्तियों का वरदान ? आविष्कार ??...ऐसी लीलाएँ ?

असंभव ! असंभव !! )


इसीलिए सनातन धर्म की महानता भी अद्भूत और अद्वितीय है ! अलौकिक है !

अवर्णनीय है !


यहाँ तो पृथ्वी, स्वर्ग,

पुर्वजन्म - पुनर्जन्म का भी यथोचित विश्लेषण है !

अनेक देवीदेवताओं का,महापुरुषों का,सिध्दपुरूषों का,अवतारी पुरूषों का,ऋषि मुनियों का,साधुसंतों का,अनेक अद्भूत धर्म ग्रंथों का , अनेक शास्त्रों का, चमत्कारों का वरदान है !!


इस देवीदेवताओं की पवित्र भूमी पर निरंतर चमत्कार होते आये है ! 


जिसकी आत्मा पवित्र, शुध्द, परोपकारी होती है ,उसे यह वास्तवता समझ में आती है !

उसे ईश्वरी शक्तियों की सहायता भी मिलती रहती है ! और ईश्वरी वरदान भी !


ठीक ऐसे ही,

कुछ अघोर साधक, स्मशान में जाकर, प्रेतसाधना करते है , और मंत्र शक्तियों द्वारा, पिशाचों को वश करते है, यह विषय संपूर्णतः गूढ और अलग है !


और भूतों से दोस्ती यह विषय संपूर्णतः अलग है !


महादेव को देखिए !

स्मशान में रहते है !

भूतों और साँपों के साथ !

इसीलिए महादेव को भूतनाथ, नागनाथ भी कहते है !


अब कुछ मुर्ख,नास्तिक, अधुरे लोग पुछेंगे... महादेव कहाँ है ?


अरे पगले,

तेरे अंदर ही तो ईश्वर है !

आँखों को बंद करके,तेरे अंदर झाँक के तो देख !

सारे देवीदेवता, सारा ब्रम्हांड अंदर भरा हुआ है !


इससे,निराकार श्वासों द्वारा, निराकार ब्रम्ह का भी पता लगेगा !

और ब्रम्हज्ञान भी मिलेगा !


" *सो...अहम्..."* द्वारा !


चर्मचक्षु से नहीं, बल्कि अंतर्धान होकर ,आँखें बंद करनेपर ,

" *पिंडी सो ब्रम्हांडी "* 

का अद्भुत दर्शन होगा !


इसे कोई पागल अंधविश्वास कहेगा तो उसका उत्तर क्या है ?


" *दुर्जनं प्रथमं वंदे "* 


या फिर,

संत तुकाराम जी के अनुसार,

" नाठाळाचे माथी हाणू 

काठी ? "

यही उत्तर समर्पक है ??


आखिर दृष्टि अपनी अपनी !

अवलोकन अपना अपना !

श्रद्धा, विश्वास भी अपना अपना !


श्रद्धा ,विश्वास ही भवसागर तरने का महामंत्र है !

अविश्वास ही नरक है !


अनेक देवीदेवता भी अपने सतशिष्यों को,भक्तों को अवतार समाप्ति के बाद और देह त्यागने के बाद भी ,फिरसे वहीं पंचमहाभूतों का देह धारण करके दर्शन देते है !

यह भी एक अद्भूत तथा आश्चर्यजनक घटनाओं में से एक है !


कुछ साल पहले देह धारण करनेवाले, और अवतार समाप्ति के बाद देहत्याग करनेवाले, महासिद्ध योगी गजानन महाराज, अक्कलकोट स्वामी,रामदास स्वामी जैसे महायोगी आज भी अपने भक्तों को फिरसे देह धारण करके दर्शन देते है,यह भी अद्भूत ही है ना ?


और ऐसी अलौकिक घटनाओं की शक्ति तथा सामर्थ्य केवल सनातन धर्म में ही संभव है ना ?


तो क्यों व्यर्थ सनातन धर्म की नींदा करते हो ?

सनातन धर्म की नींदा मतलब ?

सत्य पर प्रहार !

और आधा अधूरा ज्ञानी ही ऐसा सत्य पर प्रहार कर सकता है !


इसिलिए विश्व के संपूर्ण मानवप्राणीयों को आत्मकल्याण के लिए, और विश्व कल्याण के लिए, सनातन धर्म का स्वीकार करने के सिवाय पर्याय ही नहीं है !


और एक दिन जरूर ऐसा ही होगा !

होकर रहेगा !!


" *हिंदुमय विश्व !! "* 


क्योंकि सनातन धर्म में ही केवल और केवल पूर्णत्व है !

और यही एकमात्र धर्म भी है !


सत्य धर्म !

सत्य सनातन धर्म !!

ईश्वर निर्मित धर्म !!!


खैर !


अब देखते है,

मेरे भूतों के और आत्माओं के अनुभव के बारे में !


मेरे साथ अनेक भूत दोस्ती करते है ! मेरे साथ बातें करते है !

मुझे सहायता भी करते है !


कभी सपनों में ! तो कभी प्रत्यक्ष ! बातें भी करते है !


यह भी एक अद्भुत विषय है !


लेख भी बहुत लंबा होता जा रहा है ! इसीलिए इस विषय पर ...


शायद किसी अगले लेख में विस्तार से विश्लेषण, विवेचन करूंगा !


 *सोचिए : -* अगर मेरे जैसा साधारण व्यक्ति सनातन धर्म के बारे में स्वानुभव के बल पर,इतना अच्छा लिख सकता है, तो ? सनातन धर्म ,जिस ईश्वर ने निर्माण किया है, वह ईश्वर कितना शक्तिशाली और तेज:पूंज होगा ? 

और ....?

यही ईश्वर सनातन धर्म को गालीयाँ देनेवालों का,योग्य समय पर पूरा बंदोबस्त भी करेगा !!


" *संभवामि युगे युगे !* ! "


तबतक....

ईश्वरी संकेत का....

 *इंतजार !!* 


हरी ओम्

जय श्रीकृष्णा


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