अधर्म और हैवानियत
( अ ) धर्म ( ? ) प्रेम...???
और ? हैवानियत !!
✍️ २३२८
विनोदकुमार महाजन
👹👺👹👺👹👺
राक्षसों का ( अ )धर्म ?
संपूर्ण तबाही का साम्राज्य ?
धरती को ही उखाडऩे का सपना और सपनों को पूरा करने के लिए , दिनरात का भयावह प्रयास !
" उन्हें " ...
ना राजऐश्वर्य चाहिए !
ना धनदौलत चाहिए !
ना राजभोग चाहिए !
ना मानसंन्मान चाहिए !
ना बडप्पन चाहिए !
ना भविष्य की चिंता है !
केवल एक ही सपना है
" उनका ! "
लगभग उन सभी का !
दिनरात ...
राक्षसी धर्म को बढाना!
हैवानियत बढाना !
एक ही सपना, एक ही ध्यास !
इसके लिए चौबीसों घंटे सतर्क ,सावधान, जागरूक भी !
मर मिटने को भी तैयार !
गंदे कपडे पहनेंगे !
छोटा मोटा काम भी ईमानदारी से करेंगे !
रूखी सुखी रोटी खायेंगे !
झुग्गी झोपडिय़ों में रहेंगे !
मगर हरदिन कमाई का हिस्सा
( अ ... ? ) धर्म बढाने के लिए ही करेंगे !
क्रौर्य ,हिंसा, अमानवीयता ,हैवानियत ,
हाहाकार , राक्षसी सिध्दांत ,आसुरीक साम्राज्य बढाने के लिए कुछ भी करने को तैयार !
और " हम ? "
???
ईश्वरनिर्मित ,सत्यवादी,
पशुपक्षीयों की पूजा करने के सिध्दांतों को स्विकारनेवाले , मानवता का स्वीकार करने वाले, सिध्दांतों को स्विकारने वाले ?
और फिर भी....
अंदर का प्रखर ,धधगता ईश्वरी तेज भूलकर ,सदीयों से हो रहे भयावह अन्याय, अत्याचार भूलकर...क्रौर्य ,हत्या ,अपमान भूलकर...
चौबीसों घंटे उदासीन ?
शक्तीहीन ? तेजोहीन ?
सदीयों से भागनेवाले ?
कायर ? असंगठित ?
केवल और केवल पैसों का ही... हिसाब किताब रखने वाले,
खुद का और खुद के परिवार का ही केवल हीत सोचनेवाले,
मौजमजा में ही आनंदित रहने वाले , आपसी कलह ,द्वेष, मत्सर में ही पूरा का पूरा जीवन धन्य माननेवाले ....
मतलबी ? स्वार्थी ?
माहौल में ही दिनरात रहनेवाले...
सचमुच में
धर्म और धर्म कार्य कैसे बढा सकते है ?
धर्मग्लानी कैसे रोक सकते है ? बढती भयावह हैवानियत को कैसे रोक सकते है ?
संपूर्ण देश और धरती पर तेजी से बढती विनाशकारी भयावह हैवानियत को कैसे रोक सकते है ?
हरगिज नहीं !!
पाणी सर से उपर बह रहा है !
समय हाथ से बाहर निकलता जा रहा है !
चारों ओर अधर्म का भयंकर और घनघोर अंधेरा बढता जा रहा है !
और..." हम .....?? "
निद्रीस्त !
निष्क्रिय !
उदास !
हताश !
चौबीसों घंटे !!?
तो धर्म की रक्षा ? सत्य की रक्षा ? ईश्वरी सिध्दांतों की रक्षा ?
कैसे करेंगे ?
आपस में लढते रहेंगे !
बँटते रहेंगे !
कटते रहेंगे !
सदीयों से !
मगर सावधान नहीं होंगे !
संगठित भी नहीं होंगे !
और सजग भी नहीं होंगे !
संपूर्ण विनाश सामने दिखाई देनेपर भी ??
धन्य हो... धन्य हो...
भाईयों, साथीयों...
धन्य हो तुम ...? !!
और धन्य है उदासीनता !
आसुरीक सिध्दांतों की संपूर्ण पोषक उदासीनता !
सदीयों से !
और अगर " तुम्हें " जगाने के लिए भी कोई आयेगा तो ?
उल्टा उसके ही खिलाफ षड्यंत्र करेंगे !
उसे ही बरबाद, समाप्त करने का ,नामशेष करने का ,जमीन में गाडने का सपना देखते रहेंगे !!
इतिहास भरा पडा है ऐसे ही भयावह घटनाओं से !
जी हाँ !
इतिहास साक्ष है !
फिर भी हम नहीं सुधरेंगे !
आपसी बैर , कलह ,नहीं छोडेंगे !
खुद भी बरबाद होंगे !
दूसरों को भी बरबाद करेंगे !
अगर यही हमारा नित्यध्यास होता है ? तो ?
हम धर्म रक्षा भी कैसे करेंगे ?
बहुत बुरा लगता है ना लेख पढकर ? सत्य पढकर ?
मगर यही कटूसत्य है और यह कटूसत्य हमको स्वीकारना ही पडेगा !
हमारे धर्म प्रेमीयों को ,सत्य प्रेमीयों को ,ईश्वरी सिध्दांतों पर चलने वालों को भी....?
आजतक जमीन में गाडने का..?
" हमारे ही कुछ दुष्टात्माओं ने " भरसक प्रयास किया है !
आजतक !!
तो धर्म कैसे बचेगा ??
मगर अंत में एक ही सत्य लिखता हूं ...
अगर ब्रम्हांड को चलानी वाली ,अदृश्य शक्ति का अस्तित्व अगर कोई है...तो...?
शायद ...
" अधर्मींयों का साथ देनेवालों को भी...और...? आसुरीक साम्राज्य बढाने वालों को भी....
ईश्वर कभी भी क्षमा नहीं
करेगा ! "
बिल्कुल नहीं !!
प्रभु परमात्मा ऐसे दुरात्माओं को जरूर दंडित करेगा ही करेगा !!
मगर कब ??
समय का इंतजार !!!
( बढती भयावह विनाशकारी हैवानियत के खिलाफ आज आखिर कर भी क्या सकते है ? )
हरी ओम्
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