दुखों से छूटकारा

 दुखों से छूटकारा !

✍️ २४५१


विनोदकुमार महाजन


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मन की धारणा जितनी अच्छी , शक्तिशाली ,प्रभावी , आनंदी ,उत्साही रहेगी...उतना ही हम हमेशा के लिए आनंदी रहेंगे ! उत्साही रहेंगे ! प्रफुल्लित रहेंगे !


इसिलिए मन की धारणा हमेशा अच्छी ही होनी चाहिए !


इसिलिए निरंतर ,नितदिन ,हरपल उत्साही ,आनंदी , प्रफुल्लित ,तेजस्वी रहने का प्रयास किजिए !


सुखदुख तो हरेक के जीवन में आताजाता ही है !

फिर भी हमेशा मस्त रहिए !


हमेशा मन की धारणा ऐसी ही रखिए कि , मैं हमेशा मस्त रहूंगा ,स्वस्थ रहूंगा ,खुशहाल रहूंगा , आनंदी रहूंगा !

और...मेरे संपर्क में आनेवाले हरेक व्यक्ति को , पशुक्षीयों को मैं निरंतर आनंदित करने का प्रयास करूंगा ! सभी को सुखी करने का हमेशा प्रयास करूंगा !

सभी से निरंतर , निष्कपट ,दिव्य प्रेम ही करूंगा ! करते रहूंगा !


और मैंने ऐसा दिव्य ,पवित्र प्रेम करनेपर भी किसीने मुझे धोखा दिया , मेरे साथ छल कपट किया , विश्वासघात किया तो मैं उस व्यक्ति से सदा के लिए दूर चला जाऊंगा !

आजीवन उसका मुंह भी नहीं देखुंगा ! क्योंकि उसकि नकारात्मक तथा बूरी शक्तीयों का मुझपर असर ना पडे ! और मेरे ईश्वरी कार्यों में बाधा ना पहुंचे !


ऐसा करने से आप हमेशा दुखों से हजारों मील दूर रहेंगे ! इससे दुखों से छूटकारा भी मिलेगा !

और हमारा मन हमेशा उत्साही ,आनंदी ,चैतन्यमयी ही रहेगा ! और हरदिन , हरपल हम ईश्वर के सानिध्य में ही रहेंगे !


हरी ओम्


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