कर्म की गठरी

 कर्म की गठरी !!

✍️ २४५२


विनोदकुमार महाजन


★★★★★★★


कर्म की गठरी ! 

मतलब हमारे संचित कर्म !

प्रारब्धभोग !

हमारे पिछले जन्म के पापपुण्य का हिसाब किताब !

सुखदुखों का हिसाब !


हम अगर हमेशा सुखी जीवन जी रहे है तो ? पिछले जन्म के हमारे पुण्य कर्म अच्छे और प्रभावी होते है !

और अगर हम निरंतर दुख ही दुख भोग रहे है , अनेक समस्याओं से निरंतर घिरे हुए है , शत्रुबाधा से परेशान है , बिमारियां ,आर्थिक परेशानियां पीडा दे रही है , हमारे स्वकीय भी हमें सहयोग करने के बजाए ,हमें निरंतर पीडा देते है , बदनामीयाँ करते है , दुखदर्द देते है , नरकयातनाएं देते है...

तो भी... यह भी हमारे ही पिछले जन्म का पापपुण्यों का हिसाब किताब ही होता है !

यही कर्म की गठरी है !

हमारे सुखदुखों के कारण हम स्वयं ही होते है ! इसीमें दोष किसिका भी नहीं होता है !


व्यक्ति निमित्त मात्र होते है !

क्योंकि हमारे कर्म ही हमें जीवन में सुखदुख देते रहते है !


इसिलिए हमेशा अच्छे कर्म करते रहिए ! यही दुखों से मुक्ति का एकमात्र रास्ता है !


श्रीहरि !!


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