बच्चे मन के सच्चे
बच्चों को प्रताड़ित , अपमानित मत करो !!
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बचपन में अगर किसीके नशीब में प्रेम के बजाए मानसिक उत्पीड़न , छल , कपट नशीब में होता है , बचपन में ही जिसके पंख क्रूरतापूर्वक छाटें जाते है उसका संपूर्ण जीवन अतीभयावह बन जाता है !
इसिलिए छोटे छोटे निष्पाप बच्चों के साथ निरंतर प्रेम करते रहो ! उसका आधार बनते रहो !
छोटे बच्चे ईश्वर का अंश होते है !
बच्चे फुलों जैसे होते है !
अतीभयावह मानसिक उत्पीड़न के कारण अनेक छोटे बच्चों का अनेक कारणों से , अथवा अनेक बिमारियों के कारण अकाल मृत्यु हो जाता है , अथवा वह जीवनभर के लिए , अट्टल गुनहगार बन जाता है , अथवा कोई व्यसनाधीन बनकर जीवन उध्दस्त कर देता है , अथवा कोई निराशा के गर्ते में आकर आत्महत्या कर देता है !
अथवा कोई आजीवन पागल बनकर , अनाथ - निराधार - निराश्रित बनकर , मन से ही विचित्र बातें करते , रास्ते पर भटकता रहता है !
पागल का कौन रखवाला होता है ?
तो एखाद बच्चा नारसिंव्ह भक्त प्रल्हाद बन जाता है ! और इतिहास बना देता है !
बचपन में अगर प्रेम के बजाए किसी को भयंकर नरक यातनाएँ , अन्नान्न दशा का सामना करना पड़ता है , वह शख्स जीवन भर के लिए क्रूर बन जाता है !
अंगार बन जाता है !
बचपन का मानसिक आघात जीवनभर के लिए पिछा करता रहता है !
इसीलिए छोटे छोटे बच्चों के साथ निरंतर प्रेम करते रहो ! उन्हें निरंतर निष्पाप , निरपेक्ष , निर्वाज्य प्रेम ही करते रहो !
उन्हें प्रताड़ित , अपमानित मत करो !
प्रताड़ित , अपमानित बच्चों का सहारा आखिर नृसिंह बन जाता है तब ? इतिहास की पुनर्रावृत्ति हो जाती है !
जय ज्वाला नारसिंव्ह !!!
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विनोदकुमार महाजन
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