मोहब्बत की दुकान ?

 *मोहब्बत की दुकान ?* 

 *यह तो जहर की दुकान है !!*

✍️ लेखांक : - २५२४


 *विनोदकुमार महाजन*


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साथियों ,

आज कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा संपूर्ण देश की राजनीति भयंकर गंदी की जा रही है !

झूठ पे झूठ फैलाया जा रहा है !

समाज संभ्रमित किया जा रहा है ! और सत्ता प्राप्ति के लिए ,

समाजमन को सत्य से दूर भटकाया जा रहा है !


इसे ही नेरेटीव सेटिंग्स बोलते है !

अतएव सावधान !


वैसे तो झूठ फैलाने वालों के खिलाफ सख्त और कठोर कानून की अती आवश्यकता और तुरंत आवश्यकता भी है !

तभी जानबूझकर सत्य को बदनाम करने का भयंकर घिनौना राक्षसी कृत्य थम जायेगा !


आज के दौर में , असत्य जानबूझकर समाज में फैलाया जा रहा है ,

मोहब्बत की दुकान के नामसे !


साथीयों ,

वास्तव में यह मोहब्बत की दुकान है ही नहीं !

और नाही कभी बन सकती है !


उल्टा यह तो नफरत की दुकान है ! जहर की दुकान है ! सत्य को बदनाम करनेवालों की दुकान है ! नेरेटीव फैलाने वालों की दुकान है !


सहिष्णु , अहिंसक , दयालु , ममतालु , पुण्यवान व्यक्तीयों को हिंसक दिखाकर , असली हिंसक समाज को जिवित करने की यह एक गहरी साजिश है , गहरी चाल है !


इसीलिए ,

मोहब्बत की दुकान

के नामपर मत फँसिए साथीयों !

पहले सत्य को जानिए !

सत्य को पहचानिए !

और फिर विश्वास किजिए !


विषय है ,

हर दुकान पर अपना वैयक्तिक कानूनी नाम लिखना !

इसमें गलत क्या है ?

उल्टा मैं तो कहता हूं कि ,

यह अभियान बहुत तेजी से , संपूर्ण देश में भी और तुरंत और ? सख्ती से लागू होना ही चाहिए !

तभी लोग , जनता ,समाज झूठ से , फरेब से और फरेबी लोगों से बचेंगे !


मैं केंद्र सरकार से इसी निवेदन द्वारा सुचित करता हूं की ,

लोकसभा में कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करके , इस अभियान को , संपूर्ण देश में वायुगती से लागू किया जाए !


तभी मोहब्बत की झूठी दुकान चलाने वालों के असली मुखौटे बाहर आयेंगे !


हरी ओम्


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