असली रिश्तेदार ?

 *असली रिश्तेदार कौन ?*


✍️ लेखांक : - २५२३


 *विनोदकुमार महाजन*


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हमारे असली रिश्तेनाते कौनसे ?

जो हमारे खून के होते है , यही हमारे असली रिश्तेदार होते है ?


नही !

ईश्वर ने खून का रिश्ता तो बनाया !

मगर यही रिश्तेनाते हमारे मुसिबतों में कितना आधार देते है ? यह बात भी महत्वपूर्ण होती है !

वास्तव में मुसिबतों के क्षणों में जो आधार देते है , वही असली रिश्तेनाते होते है !

मुसिबतों के क्षणों में हमें रूलानेवाले , नरकयातनाएं देनेवाले , हमारे रिश्तेदार कैसे बन सकते है ?


इसिलिए ,

असली रिश्तेदार कौन ?

यह महत्वपूर्ण विषय है !


सुखदुःख में साथ देनेवाली माँ होती है ! 

और माँ के बाद ?

सद्गुरू !!


सद्गुरू ही हमारे असली रिश्तेदार होते है ! जो हमें ब्रम्हज्ञान देकर , ईश्वर से निरंतर नाता जोड देते है !

इसिलिए जन्म जन्मांतर जो साथ में रहते है , साथ भी देते है , आधार भी बनते है , वहीं हमारे असली रिश्तेदार होते है !

आत्मा के रिश्तेदार !

जन्म जन्म तक निरंतर साथ रहनेवाले रिश्तेदार !


खून के रिश्तेदार तो इस जन्म तक ही मौजूद रहते है !

मृत्यु के बाद सब बिखर जाते है !


मगर आत्मा के रिश्तेदार ?

जन्मजन्मों तक साथ रहते है !


इसीलिए ?

असली रिश्तेदार ढूंडो !

झूटे , फरेबी , नकली , मतलबी रिश्तेदार सदा के लिए त्याग दो !

इसी में ही हमारा आत्मकल्याण है !


आत्मा का कल्याण !!


तो असली रिश्तेदार कौन ?

हमारे सद्गुरु द्वारा ब्रम्हज्ञान प्राप्त होने के बाद , हमारे समझ में आता है कि ,

अनेक देवीदेवता ही हमारे असली रिश्तेदार होते है !

जो हमें निरंतर सहायता करते रहते है !


और हमारा घर ?

हमारा असली घर तो ?

साक्षात स्वर्ग ही है !


ईश्वरी कार्यों को पूरा करने के लिए ही , कुछ दिनों के लिए ही हम धरतीपर आये है !

हमारी ड्यूटी करने के लिए !


इसिलिए साथीयों ,

नकली रिश्तेदारी छोडकर , उनके लिए व्यर्थ का रोना छोडकर , असली रिश्तेदारों की पहचान किजिए !

इसीमें ही जीवन की सार्थकता भी है ! और आनंदी आनंद भी है !


इसीलिए ?

सद्गुरु चरणों पर बडे विनम्र भाव से अपना सबकुछ समर्पित कर दो !

सुख भी दुख भी !

पाप भी पुण्य भी !


फिर ?

आनंदाचे डोही , आनंद तरंग !!


हरी ओम्


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