गरीब हिंदू ?

 *हम हिंदू गरीब , असहाय* *क्यों बनते गये ??*

✍️ २५४३


❓❓❓❓❓❓❓


जब घर परिवार अथवा देश में आर्थिक संपन्नता ,समृध्दि होती है तब खुशहाली , आनंद और निश्चिंत जीवन होता है !

जीवन में स्थैर्य रहता है !


सुखी ,समाधानी , आनंदी जीवन शैली !


और लगभग सभी मानवसमुह आर्थिक संपन्नता के लिए ही आजीवन प्रयासरत रहता है ! हमेशा उसी दिशा में चारों ओर प्रयत्न करता रहता है !


अनेक धार्मिक अनुष्ठान , धार्मिक विधि भी , अनेक बार आर्थिक स्थैर्य प्राप्ति के लिए भी किए जाते है !


मगर जब आर्थिक मुसिबतों का भयंकर दौर आरंभ होता है तब , ....

मती गूंग हो जाती है , त्राहिमाम त्राहिमाम जैसी भयंकर विदारक स्थिति बनती है !


भगवान श्रीराम , श्रीकृष्ण से लेकर , राजा विक्रमादित्य जैसे महानायकों तक , लगभग यह देश संपन्न , समृद्ध था !

इसीलिए इस देश को सोने की चिडिय़ा वाला देश भी कहा जाता था !


आर्थिक संपन्नता के साथ साथ , विचारों की संपन्नता , सुसंस्कृत और शालीन ,परोपकारी समाज , मानवताप्रिय तथा धर्माभिमानी और धर्मावलंबी आदर्श समाज भी था !


चारों ओर ऐसे ही आदर्श सनातन धर्म और सनातन संस्कृति का राज था !


सुसंपन्न , सुखवस्तु , सुखवास्तु समाज था !


रावण असुर कूल में पैदा होकर भी धर्माभिमानी भी था ! ईश्वर भक्त भी था ! और उसकी लंका भी सोने की ही थी ! रावण भी प्रजाहित दक्ष , प्रजावत्सल तथा परोपकारी था !

उसके राज्य में भी प्रजा आनंदी थी !


खैर....


अब आते है मूल मुद्दे पर...

" हम हिंदू "


फिर भी....दिनबदिन....


गरीब ,असहाय ,मजबूर क्यों होते गए ??


ऐसा कैसे हो गया ?

सोने की चिडिय़ा वाला देश और देशवासी भूखे कंगाल कैसे बनते इये ?


जब उन्मत्त , उन्मादी , हाहा:कारी , अत्याचारी आक्रमणकारियों का दौर इस देश में आरंभ हो गया...

धीरे धीरे यहाँ की धनसंपन्नदा आक्रमणकारी भरभरके लूटते चले गये !

तलवार की धारपर , भयंकर अन्याय , अत्याचार करके , यहाँ का धन आक्रमणकारियों ने भरभरके लूटा !


इतिहास साक्षी है !


और धीरे धीरे...

हम हिंदू असहाय ,मजबूर , कंगाल होते गये !


मूगल , अंग्रेजों के बाद...

और आजादी के बाद भी..

यहाँ के अत्याचारी काले अंग्रेजों ने भी यहाँ भयंकर और भरभरके धन लूटा !

परदेशों में भी ढूसढूसकर धन भरा !

अरबों के भ्रष्टाचार हुए !

भयंकर तबाही मचाई !

हाहा:कार मचाया !

इस हिंदुओं के देश में....


इतना ही नहीं तो...

यहाँ की संस्कृति ,सभ्यता ,शालीनता पर भी हमले किए गए !

हमारे आदर्शों पर हमले किए गए !

जानबूझकर हमारे मठ मंदिरों पर भी हमले किए गए !

देवीदेवताओं को ,साधूसंतों को जानबूझकर बदनाम किया गया !


जी हाँ...जानबूझकर !!

हिंदू समाज को वैफल्यग्रस्त - हीन - दीन - लाचार - आर्थिक मजबूर बनाने के लिए अनेक प्रकार के षड्यंत्र इस देश में रचे गए !

धर्म और संस्कृति से हिंदुओं को तोडऩे के लिए भयावय षड्यंत्र रचे गये !


आजादी के बाद भी...!??


जाती पाती में संभ्रम फैलाकर , मतभेद ,मनभेद बनाकर , समाज को तोडऩे की कुटिल रणनीति बनाई गई !

समाज को धर्मभ्रष्ट करने के अनेक भयावय षड्यंत्र जानबूझकर खेले गए !

धर्म ,संस्कृति , शालीनता से समाज को भ्रमित करके , दूर भटकाया गया !

समाज को हरपल अटकाया ,लटकाया गया !


कुछ लोगों ने तो कानूनी तौर पर भी और कानूनी प्रक्रियाओं द्वारा भी हिंदू समाज को हीन - दीन - लाचार - मजबूर बनाने के लिए भी , भयावय षड्यंत्र रचे ! 


वह भी आदर्शवाद का मुखौटा धारण करके !?

कुछ भामटों ने तो ईश्वर भक्ती का भी झूठा मुखौटा धारण किया !


राम का नाम लेकर आदर्श रामराज्य ही ध्वस्त करने का भयंकर और शातिर दिमाग का खेल खेला गया !


बहुसंख्यक हिंदुओं को आर्थिक मुसिबतों में फँसाने का , बरबाद करने का , हीन दीन लाचार बनाने का भयंकर खेला किया गया !

केवल और केवल हिंदुओं की भयंकर और संपूर्ण तबाही का षड्यंत्र बखुबी से खेला गया !


विशेषता सत्ता में रहकर ऐसा भयंकर खेला बडी चालाकी से रचा गया !

और ...

" हम भोलेभाले , सिदेसादे , सहिष्णु ,दयालु ' मानवतावादी ,मानवताप्रेमी ,ईश्वर प्रेमी , सभीपर केवल और केवल पवित्र प्रेम ही करनेवाले , पशुपक्षियों में भी ईश्वर को देखने वाले

हिंदू....

बिना समझे उस महाभयंकर जाल में , उस विनाशकारी षड्यंत्र में , उस भयावय खेल में....

धीरे धीरे लटकते , अटकते गये ! "


जातियवाद का भयंकर विष हमारी तबाही का मुख्य विषय बनाया गया !


और...??

हमारे ही कुछ नमकहराम , बेईमान , गद्दार ...

सत्ता और संपत्ति के लालची हरामखोर जयचंदों ने भी हमारे तबाही का भयंकर खेला किया...

यह सबसे भयावय और भयंकर दुर्देव की बात हो गई !


और खुद ??

सौ पिढियों के लिए भी आर्थिक संपन्नता देकर , अब्जाधीश बनते गये !

सोने का चम्मच वाले !


और जनता !?

गई भाड में !?

जनता की ऐसी की तैसी !

कंगाल जनता और जादा कंगाल होती गई ! 

जानबूझकर दरीद्री नारायण बनाई गई !

" गरीबी हटाओ का "

संभ्रमित नारा देकर ,

गरीबों को ही हटाने का भयंकर जालीम षड्यंत्र रचाया गया !


बडे षड्यंत्र से हमें धर्म से भी तोडा गया , आर्थिक संपन्नता से भी तोडा गया , और उपर से जातियवाद में भी बाँट दिया गया !


हाय तौबा !


अतिभयंकर !!

अतिभयानक !!

भयानक विनाशकारी षड्यंत्र !!??


और हम हिंदू ?


सिदेसादे ,भोलेभाले !

आज भी...

" भाईचारा निभाने वाले ! "

भयंकर ,भयानक तबाही के बाद भी !?

हताश , कंगाल होने के बाद भी ??

जैसे के तैसे !??


हुश्य...

विनाशकारी और गहरी नीद्रा में सोये हुए ,

हताश , निराश , कंगाल लोगों को आखिर जगाएं भी तो कैसे जगाएं ??


हमारे पास तो ?

उपयुक्त साधन भी नहीं है !

समाज जागृती अभियान चलाने का !


" हमारे एक दो प्रतिशत...

अमीर आदमी , गर्भ श्रीमंत... आदमी भी..."

हमारे जैसे मजबूर - असहाय बहुसंख्यक हिंदुओं का साथ भी नहीं देते है !?


करें तो क्या करें ?


अच्छा...

हमारे धर्म का कोई अलग संपन्न देश भी नहीं है जहाँ से हम भरभरके धन जमा करके , यहाँ लाकर सामाजिक कार्य कर सकें !


उल्टा उपर से हमें ही हतोत्साहित करनेवाले , हमारे ही कार्यों में बाधा , विघ्न डालने वाले भी...

हमारे अपने भी पग पग पर मिलेंगे !

हमारे ही विघ्न संतोषी लोग ! परपिडा देने से ही आनंदित हो उठने वाले हमारे ही लोग ??


जिसे हम हमारे अपने समझते है ! जिनके कल्याण के अनेक सपने भी देखते है !


" दूसरे धर्मीयों का...? "

नशीब अच्छा होता है !?

उनके अनेक दूसरे संपन्न देश भी होते है !

और उन्हें ??

उनके धर्म ? कार्य ? के लिए भरभरके , झोलीया भरके...

धन भी मिलता है...!!


हमें ? हम हिंदुओं को कौन धन देगा ??

हम तो भूखे कंगाल...


सदीयों से...

आजतक...?


आज भी...?

भयंकर षड्यंत्रों में , चारों ओर गुप्त आक्रमणकारियों के चंगुल में हम दिनबदिन फँसते जा रहे है !


और हम असहाय ,मजबूर कुछ हिंदू ?

गहरी नींद में !!?

रोजीरोटी के चक्कर में !


आज भी

हमारे आर्थिक संपन्नता के साथ साथ हमारे संस्कृति को भी पुनर्जीवित करने का महाप्रयास आज भी...

मोदिजी , योगीजी जैसे महानायक और पुण्यपुरूष कर रहे है !

उन्हें भी आखिर ?

जी जान से संपूर्ण सहयोग ...?

" हमारे हिंदू ही...कितने कर रहे है ? "

अनेक पुण्यपुरूष दिनरात हमें हिलाहिलाकर जगा रहे है !

आखिर कितने जाग रहे है !?

कार्यान्वित हो रहे है ?


अरे

हमारे तो मतदान जैसे पवित्र कार्य को भी दुर्लक्षित करके ,मौजमस्ती करने के लिए ? बाहर घूमने को जाते है ! परिणाम ?

मतदान का प्रतिशत कम ?

और अनायासे जीत किसकी ?

सोचो...!


वाह रे जागरूक समाज ??

वाह भाई वाह !

कुछ हिंदू तो हिंदुत्व को ही गाली देते है !


सबकुछ कमाल ही कमाल है ना ??


मोदिजी ,योगीजी जैसे महापुरुष देश को , देशवासियों को आर्थिक संपन्न बनाने के लिए , दिनरात अथक प्रयास भी कर रहे है...


मगर ❓⁉

भविष्य में कुछ ❓

उल्टापुल्टा हो गया ??

और संपन्नता की तिजोरी और उसकी चाबी...

फिर से चोरों के हाथों में ❓

में जायेगी तो...?⁉


फिरसे हमारे तबाही का भयावय षड्यंत्र हमारे नशीब में होगा !


गहन , गहरी और सोचनीय बात है ये !

भूतकाल में ऐसा हुआ भी है @....


एक बार संपन्नता मिलने की भी उम्मीद करते है !

मोदिजी देश को संपन्नता की उँचाई पर भी ले जा रहे है !


मगर अगल बगल में हरपल अपनी शक्ति भयंकर तरीकों से बढाने वाले...?? जो हमारा भविष्य अंध:कारमय बना सकते है... ऐसे

हैवानियत भरे , उन्मादी राक्षसों का बंदोबस्त तेज गति से कौन करेगा और कब करेगा ??

कैसे करेगा ??


क्योंकि ऐसे गुप्त शत्रु तो दिनरात हमारे संपूर्ण तबाही का सपना देख भी रहे है !

और ऐसे अनेक गुप्त षड्यंत्र भी रच रहे है !

और उसमें यशस्वी भी होते हुए नजर आ रहे है !


इसका अंतिम इलाज क्या करेंगे ??


इसका भी उत्तर मिलेगा या फिर यह प्रश्न निरूत्तरीत ही रहेगा ?

अंतिम तबाही तक ??


विश्व पटल पर भी ऐसी विनाशकारी शक्तियाँ हर दिन भयंकर शक्तिशाली बनती जा रही है !

उसका बंदोबस्त भी कौन और कैसे करेगा ?


इसका उत्तर आज के हताश - उदास - हीन - दीन - निद्रिस्त - लाचार - कंगाल

समुह के पास नहीं है !!


फिर भी.... एक महत्वपूर्ण बात....

अब इससे आगे 

" जो हिंदू हित की बात करेगा , वही देशपर राज करेगा ! "

यही नारा सफल रहेगा ?❓


जय हिंद !

वंदे मातरम् !


जय श्रीकृष्णा !!

हरी ओम् !!


 *विनोदकुमार महाजन* 


🙏🙏🙏🙏🕉🚩

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