सिरीअस ??

 *काम बंद ? रास्ता चालू ??* 

( *सिरिअस मैटर ?? )* 


✍️ २५४९


❓❓❓❓❓❓


आज के लेख का विषय ?

गंभीर ! सिरिअस मैटर ??


सारे प्रश्न ही प्रश्न !?

उत्तर ?

शून्य ?


फिर वहीं विषय ?

वैश्विक समस्या !

विनाशकारी राष्ट्रीय समस्याओं का भयंकर प्रश्न ?


और...शायद वैफल्यग्रस्त वैश्विक मानवसमुह के पास 

उत्तर ? हल ?

ना के बराबर !


वैश्विक स्तरपर समस्त मनुष्य प्राणी इतने भयंकर गहरे चक्रव्यूह में फँस गया है कि , इसके बारे में , विचार करने के लिए भी , सामुहिक मनुष्य प्राणी के पास समय नहीं है !

समस्याएं , चिंताएं गहरी होती जा रही है !

वैश्विक समस्याएं !


और ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर , चर्चा करके यथोचित रास्ता निकालकर , समस्त मानवसमुह तथा समस्त सजीव सृष्टि को ऐसे विनाशकारी मुसिबतों से बाहर निकालने के लिए , ...

शायद...

सारे रास्ते बंद से हो गये है !


मतलब ?

मुख्य काम बंद है मगर रास्ता तो चालू है !


संपूर्ण विश्व के जो दो चार प्रतिशत तत्ववेत्ता है , सृष्टि के हितचिंतक है , वह पुण्यात्माएं इस विषय पर जरूर विचार करेंगे ! 

मगर फिर भी , अगली रणनीति बनाना असंभव लगता है !?


क्योंकि उन्हें एक करना , एक व्यासपीठ पर लाना भी असंभव है ! मुश्किल है !

साधनों का भी अभाव है !

संवाद भी असंभव है !


और जिनसे अपेक्षाएं है...

वह महात्माएं इस महत्वपूर्ण विषय पर विशेष ध्यान ही नहीं दे रहे है !?


करें तो क्या करें ?


( मगर फिर भी अदृश्य ईश्वर सबकुछ , अदृश्य नजरों से देखता जरूर है ! वहीं ईश्वर कुछ रास्ता जरूर निकालेगा )


खैर....

अब देखते है महत्वपूर्ण विषय


१ ) सृष्टि संतूलन की ऐसी की तैसी ?

२ ) ग्लोबल वार्मिंग की ऐसी की तैसी ?

३ ) मानवसमुह सहित संपूर्ण सजीव सृष्टि खतरे में है , इसकी भी ऐसी की तैसी ?

४ ) विनाशकारी दहशतवाद और आतंकवाद सृष्टि को निगल रहा है , इसकी भी ऐसी की तैसी ?


ऐसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान देने के लिए , तथा सामुहिक चिंतन , मंथन करके , इसपर विजय प्राप्त करने के लिए ,

किसिको समय ही नहीं है !?


मूल समस्या क्या है ?


इसपर ध्यान देने के लिए ही किसी के पास समय नहीं है ? शायद....


लगभग हरघर की , जटिल तथा अनुत्तरित कौटुम्बिक समस्याएं , उध्दस्त कुटुंब व्यवस्था , सामाजिक आक्रोश , उध्दस्त होते जा रहे अनेक परिवार , अनुत्तरित विनाशकारी समाजव्यवस्था , अनेक राष्ट्रीय विपदाएं , अनेक अनुत्तरित राष्ट्रीय समस्याओं का बढता स्तर , अनगिनत वैश्विक समस्याओं का बढता आलेख ?


जहरीला अनाज , फल ,सब्जी , जमीन !

जलसमस्या , जलप्रदूषण , वायुप्रदुषण ?


विश्व स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर भी....

जैसे जैसे उच्च , सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कृति को भयंकर षड्यंत्रों द्वारा , जानबूझकर पिछे पिछे हटाया गया...?

समस्या गंभीर होती गयी !


क्योंकि आज भी भारतीय संस्कृति के पास ,सभी असंभव और निरूत्तरीत प्रश्नों का इलाज है ?


जरूर है !

जरूरत है अमल करने की !


मगर इसका प्रभावी तरीकों से अमल करेगा कौन ?

और कैसे ?

राष्ट्रीय स्तर पर भी ! ? और वैश्विक स्तर पर भी ! ?

यह मूलभूत प्रश्न है !


जबतक आदर्श तथा ईश्वर निर्मित उच्च भारतीय हिंदू सनातन संस्कृति का , संपूर्ण देश तथा संपूर्ण विश्व स्विकार नहीं करता है....?

तबतक ?

संपूर्ण जटिल समस्याओं का संपूर्ण हल निकालना मुश्किल है !


मगर हम सब ?

मतलब ?

आदर्श भारतीय संस्कृति का स्विकार करनेवाले तथा इसके आदर्श सिध्दांतों पर चलने वाले ही ?

क्या गहन मुसिबतों में फँस गये है ?

चक्रव्यूह में ही अटक गये है ?


क्रूर नियती भी इसपर रास्ता नहीं निकालने नहीं दे रही है ?


कैसे ?


अनेक सदियों से जो जो सत्य की लडाई लडता है ?

मुसिबतों में फँस जाता है ?

जो जो धर्म की लडाई लडता है , घोर मुसिबतों में फँस जाता है ?

जो जो मानवता की लडाई लडता है ?

मुसिबतों में ही फँस जाता है ?


चारों तरफ से मुसिबतें !

विनाशकारी मुसिबतें !

निरूत्तरीत मुसिबतें !

भयंकर जटिल मुसिबतें !

दस दिशाओं में मुसिबतों की आग और आग की लपटें !


रास्ते में आने वाले अनगिनत मुसिबतों के जहरीले सांप ?

आगे बढे तो आखिर कैसे बढे ?


आखिर नियती भी चाहती क्या है ?


अनेक धर्म प्रेमी ,संस्कृति प्रेमी , सनातन प्रेमी ,सत्य प्रेमी अनेक बार अनेक गहरे मुसिबतों में फँसते गये ?

और ध्वस्त भी होते गये ?


महाराणा प्रताप ,पृथ्वीराज चौहान , गुरु गोविंद सिंह , शिवाजी महाराज ,संभाजी राजे , सावरकर , सुभाषचंद्र बोस जैसे अनेक महानायक अपने आदर्श अंतिम विजय तक क्यों नहीं पहुंच गए ?

आखिर नियती का कौनसा क्रूर चक्रव्यूह है यह ? जिसने उन जैसे पुण्यात्माओं को , अंतिम मंजिल तक पहुंचने ही नहीं दिया ?


सोचो !

एक बार नहीं सौ बार , हजार बार सोचो !?


आखिर इसका हल क्या है ?

इसकी अंतिम काट क्या है ?

इसकी शह क्या है ?

इसका प्रभावी उत्तर क्या है ?


ऐसे भयंकर विनाशकारी चक्रव्यूह भेदन का अंतिम और प्रभावी उत्तर क्या है ?

मार्ग क्या है ?


आज भी धर्म प्रेमी ,सनातन प्रेमी , सत्य प्रेमी , मानवताप्रेमी , पशुपक्षी प्रेमी , निसर्ग प्रेमी गहरी मुसिबतों में क्यों फँसे हुए है ? अंजान चक्रव्यूह में ही क्यों लटक रहे है ?

चक्रव्यूह भेदन करके बाहर आने का और यशस्वी ?

होने का आखिरी इलाज , रास्ता क्या है ? कौनसा है ?

यह स्पष्ट दिखाई क्यों नहीं देता है ?


भगवतगीता और कृष्णनिती सभी समस्याओं का अंतिम उत्तर जरूर है !

मगर इसके रास्ते पर जाकर , इसका अमल करेगा कौन ?


दुर्योधन जैसे महाबलाढ्य असुरों का सर्वनाश अगर भगवतगीता सिखाती है ?

तो आज के महाभयंकर , महाभयानक भस्मासुरों के विनाशकारी मनसुबों पर , भगवतगीता के आधार से अंतिम उत्तर क्यों नहीं खोजा जा सकता है ?


विषय गंभीर है !

गहन भी है !

मगर निरूत्तरीत नहीं है !


भगवतगीता के आदर्श सिध्दांतों पर चलने वालों के लिए तो ?

असंभव कुछ भी नहीं है !


सभी युगों में लागू होनेवाला एक आदर्श सिध्दांत है ...

भगवतगीता !!

और भगवान श्रीकृष्ण की सर्वश्रेष्ठ कुटनीति !!


इसीलिए,

इसी मार्ग से चलने वालों के लिए ...

असंभव कुछ भी नहीं है !


कमीयाँ है हमारी निती में !

कमीयाँ है हमारी कुटनीति में !

कमियाँ है हमारी तीव्र इच्छाशक्ति में !

कमीयाँ है हमारी अचूक निर्णय क्षमताओं में !


इसीलिए हम सभी को , सभी कमीयों को सदा के लिए , दूर करना होगा और वायुगती से आक्रमक होना होगा !


तभी धर्म बचेगा !

तभी सत्य बचेगा !

तभी ईश्वरी सिध्दांत बचेंगे !

तभी भारतीय संस्कृति बचेगी !

तभी पशुपक्षी बचेंगे !

तभी मानवता बचेगी !


केवल कर्तव्य कठोर ही नहीं बल्कि क्रूर भी होना पडेगा !

समय केवल कठिन ही नहीं है... विनाशकारी है...

ऐसे महाविनाश से बचना है...

संपूर्ण देश और विश्व को , संपूर्ण मानवसमुह को ऐसे भयंकर , भयावय विनाश से बचाना है... तो...??


समय से पहले जागना होगा !

कर्तव्य कठोर बनना होगा !

क्रूर भी बनना पडेगा !

असंभव लगनेवाले निर्णय भी लेने ही पडेंगे !


तभी पृथ्वी बचेगी !

तभी सृष्टि भी बचेगी !

तभी सृष्टि संतूलन भी होगा !


तभी ?

अराजक भी समाप्त होगा !?

संपूर्ण देश और धरती का !


काम चालू... रास्ता बंद...


घोषणाओं से कुछ भी नहीं होगा !

समय हाथ से निकल रहा है !


आसुरीक साम्राज्य भयंकर शक्तिशाली बनता जा रहा है ! दिनबदिन...


आसुरीक साम्राज्य का संपूर्ण धरती से सदा के लिए उच्चाटन ....❓❓❓⁉


यही एकमेव तथा अंतिम मार्ग बचा हुवा है !?

आज की घडी में ?


भगवतगीता भी यही संदेश देती है !

भगवान श्रीकृष्ण भी !!


इस महान ईश्वरी कार्य के लिए ? आगे कौन आयेगा ??


धरती का लाल ??


लेख पढने के लिए धन्यवाद !!

हो सके तो संपर्क जरूर करना !

इंतजार ??


हरी ओम्


 *विनोदकुमार महाजन* 


🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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