हमारा पैसा
" हमारा " पैसा चाहिए ?
" हमारे " मठ मंदिरों का भी
पैसा चाहिए ?
और ?? " हमारे " पैसों से ही ?
हमारा , हमारे सर्वनाश का
सपना देखते हो ?
ऐसी अनेक गुप्त योजनाएं भी चलाते हो ?
वारे बेईमानों , नमकहरामों ,गद्दारों !
मगर हमारे सर्वनाश का तुम्हारा भयंकर सपना कभी भी पूरा नहीं होगा !
क्योंकि ?
सत्य का रखवाला और
सृष्टि का विधाता दिनरात जागता रहता है !
और तुम्हारे जैसे भयावय उन्मादीयों का ऐन मौका आते ही सर्वनाश भी कर देता है !
युगों युगों से
युगों युगों तक
संभवामी युगे युगे
और तुम्हारे भयावय उन्माद के अंत का समय
सृष्टिकर्ता के अनुसार नजदीक है !
उन्मादीयों सावधान !!
चक्रधर भगवान श्रीकृष्ण की जयजयकार हो !!
विनोदकुमार महाजन
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