ईमानदार, सच्चे और अच्छे लोग

 ईमानदारी, सच्चाई, अच्छाई 

और.....परेशानियां

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दोस्तों,

आदमी जीतना ईमानदार, सच्चा,अच्छा, प्रामाणिक

उतनी मुसिबतें....?

जादा।


जी हाँ साथीयों,

पिडा,दुखदर्द, आत्मक्लेश हमेशा अच्छे और सच्चे, ईमानदार लोगों के ही नशीब में जादा होते है।


आखिर ऐसा क्यों ?

क्योंकि सच्चा आदमी कभी भी सिध्दांतों से समझौता नहीं कर सकता।इसिलिए ऐसे लोगों को पिडा,दुखदर्द देनेवाले ही जादा मिलते है।और अक्सर इमानदार आदमी ही पिछे रह जाता है।क्योंकि बुरे,संधीसाधु लोग अच्छे, इमानदार व्यक्तियों को आगे जाने ही नहीं देते है।हमेशा अच्छे लोगों की टांग अडाना, उन्हें दुखदर्द, पिडा,आत्मक्लेश देना ही बुरे ,मतलबी लोगों का उद्देश्य होता है।

साफ दिलवाले लोगों के प्रति नफरत करना, उनको हर प्रयास से बदनाम करना ,यातना देना ही कुछ दुष्ट लोगों का कार्य होता है।

क्योंकि सच्चे,अच्छे, ईमानदार, प्रामाणिक लोगों की वजह से बुरे लोग हमेशा परेशान रहते है।सच्चे और ईमानदार लोगों की बढती लोकप्रियता उन्हें सही नहीं जाती।इसिलए दुष्ट लोग सच्चे और ईमानदार आदमीयों के खिलाफ हमेशा कुभांड रचते है।और साफ दिलवाले लोगों की लोकप्रियता ही न हो ऐसी निती हमेशा बनाते रहते है।


समाज में परपीड़ा देनेवाले लोग जादा होते है और संगठित भी रहते है।उलटा इमानदार लोग बहुत कम देखने को मिलेंगे और ऐसे लोग एकांत में रहना जादा पसंद करते है।

इसिलए सज्जन व्यक्तियों के प्रती झूठी अफवाहें फैलाना और अनेक बार उसका जीना हराम करना ही दुष्टों का काम होता है।

दुष्टों की समाजमानस पर हावी रहने की एक होड सी सदैव रहती है..और सज्जनों के कारण ऐसे लोगों की लोकप्रियता कम होने लगती है।


संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, रामदास स्वामी ऐसे अनेक महापुरुषों को ,समाजसुधारकों को इसिलए बार बार दुष्टों का सामना करना पड़ा था।


इमानदार, सच्चे, अच्छे, प्रामाणिक लोगों से मतलबी, स्वार्थी लोग दूर ही रहते है...

क्योंकि उनकी स्पष्ट वाणी अथवा सत्याचरण और निर्भीड वाणी के कारण अनेक दुष्टात्माओं को यातनाएं होती है।परिणाम स्वरूप ऐसे लोग इमानदार लोगों को हमेशा प्रताड़ित, अपमानित करने में ही धन्यता मानते है।अपशब्द कहते है।


मगर इमानदार लोगों की समाज में कीमत हो न हो,ईश्वर जरूर ऐसे व्यक्तियों की दिनरात चिंता करता है और सहायता भी करता है।और बुरे लोगों को उसके पाप के घडे भरने पर...खुद ईश्वर ऐसे लोगों को कठोर दंडित भी करता है।


ईश्वर की लाठी की आवाज नही होती है।इसिलए दुष्टों के पिछे ईश्वर ऐसे मुसीबत छोडता है की...उस दुष्टात्मा को इसकी वजह भी समझ में नहीं आती है।


इसिलए हमारे पूर्वज कहते थे की,

सज्जन, इमानदार, सच्चे,अच्छे, प्रामाणिक लोगों की कीमत करो अथवा मत करो...


मगर ऐसे लोगों को पीडा, तकलीफ, दुखदर्द तो मत दो।

अन्यथा....

बुमरैंग होकर...

दुष्टों को अनेक भयंकर मुसिबतों का सामना करना पडता है।


ईश्वर की इच्छा से सज्जन पुरुष समाजोध्दार के लिए अपना सारा जीवन बिताते है।अथवा एकांत में जाकर ईश्वरी चिंतन में अपना जीवन बिताते है।


इसिलए साथियों,

हमेशा ईमानदार, सच्चे, अच्छे, प्रामाणिक लोगों को सदैव सहयोग करते रहिए।ईश्वर भी आपको सहयोग करता रहेगा।


और अगर सज्जनों को आप पिडा देंगे तो आपको भी भयंकर पिडा, दुखदर्द झेलने पडेंगे।


यह सृष्टि का नियम है।

जो जैसा बीज बोता है...

ठीक वैसा ही फल उसको मिलता रहता है।

हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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