लोकतंत्र या बिघाडतंत्र

 लोकतंत्र या बिघाड तंत्र ???


जो भी मन में आये,भला बुरा

कुछ भी कहें, बोले

कोई कुछ बोलेगा नही...

क्योंकि...

यह भारतीय लोकतंत्र है


सार्वजनिक जगहों पर हंगामा

कर दें,तोडफोड कर दें,

सरकारी संपत्तियों का नुकसान

कर दें,

कोई कुछ बोलेगा नही...

क्योंकि ...

यह भारतीय लोकतंत्र है


देवीदेवताओं को बदनाम करें,

मुर्तीयाँ तोडें फोडे,

सज्जनों को,सत्पुरुषों को,

साधुसंतों को अपमानित करें,

बदनाम करें,भलाबुरा कहें

कोई कुछ बोलेगा नही...

क्योंकि...

यह भारतीय लोकतंत्र है


विद्वानों पर किचड फेंको

दुर्जनों को संन्मानीत करों

कोई कुछ बोलेगा नही...

क्योंकि...

यह भारतीय लोकतंत्र है


सामने मारामारी चल रही है,

बुरे लोग अच्छे लोगों को,

पिडा दे रहे है,

कोई कुछ बोलेगा नही...

क्योंकि...

यह भारतीय लोकतंत्र है


अपघात से कोई तडप तडप कर

मर रहा है

सज्जन, बुजुर्ग, बिमारियों की वजह से घर में अकेला

तडप तडप कर मर रहा है

कोई ध्यान नही देगा...

क्योंकि...

यह भारतीय लोकतंत्र है


आखिर क्या हो गया मेरे देश को ?

क्या हो गया मेरे देशवासियों को ?

देविदेवताओं की,ऋषीमुनियों की,साधुसंतों की,सिध्दपुरूषों की,महात्माओं की,

भूमि पर,

संस्कृति, संस्कार को भूलकर,

आखिर यह सैतानों का नंगानाच

क्यों आरंभ हो गया ?

किसने आरंभ किया ?

क्यों आरंभ किया ?


और आखिर इसका उत्तर भी है या नही ?

और है तो क्या है ???


कोई सत्पुरुष द्वारा,

दुर्जनों को कठोर दंडित करने के लिए,


तानाशाही ???


क्या यही एकमेव उत्तर बचा है ?


हैवानियत का नंगानाच रोकने के लिए आखिर,

कानून में...

क्या प्रावधान है ???


हो सके तो सच्चाई के बारे में सोचना,

हो सके तो उत्तर भी देना

इंतजार करता हुं ,

आप सभी के

मंथन का और उत्तर का भी


हरी ऊँ

अंतरराष्ट्रीय पत्रकार,

विनोदकुमार महाजन

दि. २/२/२०२१

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