सद्गुरु

 सद्गुरु!!!!!

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खुद भगवान ने मेरी

सच्चाई, अच्छाई, नेकी

ईमानदारी, सत्य,

ईश्वरप्रेम की,

इतनी कठोर सत्वपरिक्षिएं, अग्नीपरिक्षाएं ली की,

तोबा-तोबा.....।

हर राह पर संकट,रुकावट

जालीम जहर,अनेक जहरीले साँप,धधकती

अग्नी का सामना।

चारों तरफ ही नही...

दस दिशाओं में

आग ही आग...

और लडाई के लिए?

अकेला... ना संगी...

ना साथी....

अकेले सद्गुरु पिछे खडे...पहाड जैसे...

कभी साकार, कभी निराकार....

मनोबल बढाते रहे,

आत्मबल बढाते रहे..

रास्ता दिखाते रहे।

होश और जोश,चैतन्य

जगाते रहे।

और आज....?

सद्गुरु जीत गए...

भगवान भी स्तिमीत

और दंग रह गया

मेरे सद्गुरु के सामने।

आज समय हार गया

काल हार गया

प्रारब्ध हार गया

नशीब भी हार गया।

और मैं जीत गया।

मेरे सद्गुरु जीत गए।

इसिलिए मुझे

भगवान से भी प्यारे है

मेरे सद्गुरु...

मेरे आण्णा......।

आज मैं जीवन की लडाई....

मेरे सद्गुरु की वजह से

मैं जीत गया।

मुझे जलाने को आनेवाला अग्नि भी

आज मेरी सद्गुरु कि

कृपा से जल गया।

ऐसी महीमा होती है,

सद्गुरु कृपा की।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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