स्वाभिमान

 स्वाभिमान एक बडी चीज है !!!

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स्वाभीमान और अहंकार इसमें बहुत फर्क है।

स्वाभिमान से हर एक का आत्मसंम्मान बढता है और अहंकार से सर्वनाश होता है।


इसिलिए स्वाभिमान होना जरूरी है मगर अहंकार होना घातक है।


हर एक सजीवों को खुद का एक स्वाभिमान होता है।और स्वाभिमान पर अगर कोई आघात करता है तो हर प्राणी उसका विरोध करता है,अथवा आक्रमक होता है अथवा बदला भी ले सकता है।


इसिलए किसी के स्वाभिमान को हानी पहुंचे ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए।क्योंकि हर एक को आत्मसंम्मान होता है।और जो दुसरों का आत्मसंम्मान बढाता है,उसका भी आत्मसंम्मान बढ जाता है।


दुसरों को विनावजह दुखदर्द, पिडा,यातना देना भी उसके स्वाभिमान को ठेंस पहुंचाने जैसा अथवा उसके आत्मसंम्मान पर प्रहार करने जैसा ही होता है।


दुसरों को संम्मान देकर भी अगर हमें कोई अपमानित करता है तो यह भी निंदनीय है।


स्वाभिमान शून्य होना मतलब लाचार, हीन - दीन होना।और दुसरों को गुलामी का स्विकार करना।


इसिलिए जो स्वाभिमानी व्यक्ति होते है,ऐसे व्यक्ति कोई दस करोड़ देने को तैयार होगा...मगर उसके स्वाभिमान को ठेंस पहुंचायेगा... तो भी ऐसे दस.करोड़ हो या सौ करोड़ हो...स्वाभिमान शून्य और लालची बनकर ऐसे करोड़ों रूपयों को हाथ भी नही लगाना चाहिए।


दो वक्त की सूखी रोटी अथवा दाल चावल और झोपड़ी मिले तो भी बेहतर, मगर स्वाभिमान बेचकर अथवा स्वाभिमान गिरवी रखकर कोई निर्णय लेना उचित नहीं होगा।


स्वाभिमानी समाज निर्माण के लिए, ऐसे आचरण करनेवाला समाज सेवक अथवा राजनेता होगा....तो....

साहजिक ही स्वाभीमानी समाज का ही निर्माण होगा।


स्वाभिमान के साथ साथ परोपकारी, तेजस्वी, प्रामाणिक,नम्र, शालीन होना भी

जरूरी है।क्योंकि ऐसे ही गुणों की समाज में कदर कि जाती है।


इसीलिए हम सभी मिलकर यह संकल्प करते है की...

स्वाभिमानी,तेजस्वी, प्रामाणिक समाज निर्माण के लिए हम सभी वचन बध्द होते है।


दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है की

आर्थिक बैसाखियों का सहारा लेकर चलने वाला समाज हमेशा अपंग ही होता है।पंगु ही होता है।

इसीलिए समाज को आत्मनिर्भर तथा स्वयंनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक बैसाखियों का त्याग करना ही होगा।तभी तेजस्वी और स्वाभिमानी समाज का निर्माण होगा।


आज समाज को और समाज मन को सरकार की तरफ से आर्थिक बैसाखियों की बुरी आदत लगाई है...यह आदत देश और समाज को भयंकर घातक सिध्द होगी।और इसके वास्ते समाज में बंटवारा होगा।जिसके द्वारा विकृत समाज निर्मीती के लिए ही हातभार लगेगा।


इसीलिए स्वाभिमानी समाज निर्माण के लिए आर्थिक बैसाखियों का सहारा लेने की सामाजिक आदत बदलनी ही होगी।इसके लिए चाहे कठोर और सख्त कदम उठाने की जरूरत पडेगी तो भी चलेगा।


दूसरा एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा यह है की....

फ्री का लालच देकर चुनाव लडना कानूनी अपराध घोषित करना चाहिए।क्योंकि फ्री के लालच में समाज संपूर्ण बरबादी की तरफ बढता है।और समाज मन को फोकट खाकर लाचार होकर जिना जीने के आदत सी लग जाती है।और उपर से स्वाभिमान शून्य... लाचार समाज निर्माण का कलंक लग जाता है।


इसिलिए केंद्र सरकार को मेरा स्पष्ट निवेदन है की...

फ्री का लालच देकर चुनाव लडना कानूनी अपराध घोषित करना होगा।

और दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा... बैसाखियों द्वारा समाज को पंगु बनाने के विरुद्ध भी तुरंत कठोर निर्णय लेने ही होंगे।


देखते है प्रखर राष्ट्राभिमानी सरकार क्या निर्णय लेती है ?

हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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