मुझे तेजस्वी सौ योध्ये चाहिए

 मुझे तेजस्वी सौ योध्ये चाहिए।

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विश्व परिवर्तन के लिए अनेक महापुरूषोंने सदैव निरंतर प्रयास किया गया है।

इतिहास साक्षी है।


स्वामी विवेकानंद हमेशा कहते थे....मुझे तेजस्वी सौ युवक चाहिए।मैं दुनिया बदल दूंगा।


सुभाषचंद्र बोस कहते थे....तूम मुझे खून दो।मैं तुम्हे आझादी दूंगा।


अब हम सभी प्रखर राष्ट्राभिमानी तथा राष्ट्रप्रेमीयों को विश्वव्यापक रणनीती बनाने के लिए....

जबरदस्त स्फुर्तीले,जाँबाज,धधगती ज्वाला - लाव्हा - साक्षात आग जैसे तेजस्वी सौ योध्ये मिलेंगे....

तो हम दुनिया बदल देंगे।


मरे हुए मन से जिने वाले भेडबकरीयों का यह काम नही है - और कार्य भी नही है।


जिंदादिल व्यक्ती चाहिए।

तो ?

निश्चित रूप से हम जितेंगे भी और यश का परचम पूरे दुनिया में लहरायेंगे भी।


है कोई तैयार ?

कोयले से असली,तेजस्वी हिरे ढुंडने की रणनीती चल रही है।


जो पत्थर होंगे वह एक घाव में ही परस्त होंगे।

असली ही टिक पायेंगे।


भट्टी में सोना जल रहा है।तप रहा है।शुध्द होकार ही बाहर आयेगा।


और सौ की माला बनते ही....

वैश्विक क्रांती का बिगुल बजाया जायेगा।


सचमुच में सौ हिरे मिलेंगे ?

रत्न पारखी असली हिरा ढुंडते रहते है।

और ढुंडने से सबकुछ मिल ही जाता है।

लाखों में भी नही....

शायद करोडों में भी सही मगर मिलेगा ही सही।

जरूर मिलेगा।


ढुंडते रहो।


विश्व परिवर्तन के लिए अगर खुद ईश्वर ही परदे के पिछे से कोई यशस्वी योजना अथवा रणनीती बना रहा होगा....

तो....

ईश्वर की सहायता भी हमें मिलेगी ही मिलेगी।

जरूर मिलेगी।


क्योंकी खुद ईश्वर ही जिसका रखवाला अथवा मार्गदर्शक होता है....

उसे यशस्वीता के सारे रास्ते खुल ही जायेंगे।


मगर....

ईश्वर सहायक है ....ऐसा समझकर हमें गहरी निंद में सोना भी नही चाहिए।

हर पल,हर समय परिस्तितीयों पर बारीक नजर रखकर,

निरंतर प्रयास जारी रखने ही होंगे।


लाखों  - करोडों में से एक तो असली हिरा तो जरूर मिलेगा ही मिलेगा।

एक धारदार शब्द की चोट से ही...

असली....नकली की पहचान होगी।

मुखौटेवाला और सही चेहरा तुरंत पहचानने को आयेगा ही आयेगा।


जो परीक्षा में पास होगा....

वह संग्रह में रखा जायेगा।


बस्स....आगे बढो।बढते रहो।

वैश्विक परिवर्तन का नारा बुलंद करने के लिए....

नितदिन नई उर्जा,नई प्रेरणा लेते रहो।


आखिर ईश्वर भी जो चाहिए वह देता ही है।

इसके लिए कडी मेहनत की भी जरूरत होगी।

श्रध्दा और विश्वास की भी जरूरत होगी।

आत्मविश्वास की भी जरूरत होगी।

निरंतर प्रयास की भी जरूरत होगी।


मैं केवल और केवल...

जीतने वाला ही हुं।

यही बुलंद हौसला और आत्मविश्वास ही आपको यशस्वीता की ओर ले जाता है।


बढती उमर अथवा अनेक जहर के सागर, अथवा अनेक आग के दरिया भी हमें नही रोक सकते है।


अगर हमारी इच्छाशक्ती भी भयंकर तीव्र है....

तो ईश्वर को भी हमारी सहायता करनी होगी।

और हमारे झोली में यशस्वीता का दान....

खुद भगवान को भी देना ही होगा।


तो प्यारे दोस्तों,

आत्मविश्वास के साथ....

चलो दिव्य मंझिल की ओर।

चलो कार्य सफलता की ओर।


अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए

पूरजोर जोर लगाते है।

यशस्वीता हासील करने के लिए

निरंतर ईश्वर को भी पुकारते है।


तो....?

चलो यश की ओर।

चलो दिव्य मंझिल की ओर।


भविष्य हमारा इंतजार कर रहा है।कुछ भव्य दिव्य कर दिखाने के लिए....

खुद ईश्वर भी हमारा रास्ता दिखा रहा है।


तो हमें कौन रोकेगा।


सौ योध्ये भी मिलेंगे।

और अपेक्षित परिणाम भी मिलेंगे।


जो सच्चा होगा...वह साथ रहेगा।

और साथ भी देगा...जीवनभर के लिए।

जो झूटा होगा...वह भाग जायेगा।

सदा के लिए...दूर,बहुत दूर भाग जायेगा।


बढते रहो साथीयों,

आगे बढते रहो।


यश के लिए....

थोडासा समय का इंतजार।

क्योंकी हम भी

गुरु के पक्के चेले है।

यश खिंचकर ही लाते है...और तभी स्वस्थ भी बैठते है।


देखते है...नियती भी किसे जोडती है...किसे तोडती है ?

तबतक के लिए...


हरी ओम्

🙏🙏🙏🕉🚩

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विनोदकुमार महाजन

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