मोबाईल
मैं बिस्तर पर से उठा...
अचानक छाती में दर्द होने लगा...
मुझे... हार्ट की तकलीफ तो नहीं है. ..? ऐसे विचारों के साथ. ..मैं आगे वाले बैठक के कमरे में गया...
मैंने नज़र की...कि मेरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था...
मैने... पत्नी को देखकर कहा...
काव्या थोडा छाती में रोज से आज ज़्यादा दुख रहा है...
डाॅक्टर को बताकर आता हूं. ..
हा, मगर संभलकर जाना...काम हो तो फोन करना (मोबाइल में देखते देखते हि काव्या बोली...
मैं...ऐकटिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पंहुचा...
पसीना,मुझे बहुत आ रहा था...
ऐकटिवा स्टार्ट नहीं हो रहा था...
ऐसे वक्त्त... हमारे घर का काम करने वाला धुर्वजी(रामो) सायकल लेकर आया... सायकल को ताला मारते हि उसे मैने मेरे सामने खडा देखा...
क्यों साब. ..ऐकटिवा चालू नहीं हो रहा है...मैंने कहा नहीं...
आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती साब... इतना पसीना क्यों आया है ?
साब... स्कूटर को किक इस हालत में नहीं मारते....
मैं किक मारके चालू कर देता हूं...
धुर्व ने एक ही किक मारकर ऐकटिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा..साब अकेले जा रहे हो ?
मैंने कहा... हां
ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते...
चलिए मेरे पीछे बैठ जाओ...
मैंने कहा तुम्हे ऐकटिवा चलाने आता है ?
साब... गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता छोड़कर बैठ जाओ...
पास ही एक अस्पताल में हम पंहुचे, धुर्व दौड़कर अंदर गया, और व्हील चेयर लेकर बाहर आया...
साब... अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ..
धुर्व के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रही...
मैं समझ गया था... फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे...कि अब तक क्यों नहीं आया ?
धुर्व ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि... आज नहीँ आ सकता....
धुर्व डाॅक्टर के जैसे हि व्यवहार कर रहा था...उसे बगैर पूछै मालूम हो गया था कि, साब को हार्ट की तकलीफ हो रही है... लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU कि तरफ लेकर गया....
डाॅक्टरों की टीम तो तयार ही थी... मेरी तकलीफ सुनकर...सब टेस्ट शीघ्र ही किये... डाॅक्टर ने कहा, आप समय पर पहुंच गए हो....
इस में भी आप व्हील चेयर का उपयोग किया...वह आपके लिए बहुत फायदेमंद रहा...
अब... कोई भी प्रकार की राह देखना... वह आपके लिए हानिकारक होगी...इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे...
इस फार्म पर आप के स्वजन की सही की ज़रूरत है...
डाॅक्टर धुर्व को सामने देखा...
मैंने कहा , बेटे, सही करने आती है ?
साब इतनी बड़ी जवाबदारी मुझ पर न रखो...
बेटे... तुम्हारी कोई जवाबदारी नहीं है... तुम्हारे साथ भले ही लहू का संबंध नहीं है... फिर भी बगैर कहे तुम ने तुम्हारी जवाबदारी पूरी की, वह जवाबदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी...
एक और जवाबदारी पूरी कर दो बेटा, मैं नीचे लिखकर सही करके लीख दूंगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जवाबदारी मेरी है, धुर्व ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर किये हैं, बस अब. ..
और हां, घर फोन लगा कर खबर कर दो...
बस, उसी समय मेरे सामने, मेरी पत्नी काव्या का मोबाइल धुर्व के मोबाइल पर आया.
धुर्व, शांति से काव्या को सुनने लगा...
थोड़ी देर के बाद धुर्व बोला,
मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल दो , मगर अभी अस्पताल ऑपरेशन शुरु होने के पहले पंहुच जाओ.
हा मैडम, मैं साब को अस्पताल लेकर आया हूं.
डोक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है, और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है...
मैंने कहा, बेटा घर से फोन था...?
हा साब.
मैं मन में सोचा, काव्या तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही है, और किस को निकालने की बात कर रही हो ?
आंखों में आंसू के साथ धुर्व के कंधे पर हाथ रख कर, मैं बोला,बेटा चिंता नहीं कर...
मैं एक संस्था में सेवाएं देता हूं, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है.
तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो *समाज सेवा* का है...
बेटा. ..पगार मिलेगा, इसलिए चिंता ना करना.
ऑपरेशन बाद, मैं हौश में आया... मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था, मैं आंखों में आंसू के साथ बोला, धुर्व कंहां है ?
काव्या बोली-: वो अभी ही छुट्टी लेकर गांव गया, कहता था, उसके पिताजी हार्ट अटैक में गुज़र गऐ है... 15 दिन के बाद फिर से आयेगा.
अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे में उसका बाप दिखता होगा...
हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया !
पूरा परिवार हाथ जोड़कर , मूक नतमस्तक माफी मांग रहा था...
ऐक मोबाइल की लत (व्यसन)...
अपने व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाता है... वह परिवार देख रहा था....
डाॅक्टर ने आकर कहा, सब से पहले धुर्व भाई आप के क्या लगते ?
मैंने कहा डाॅक्टर साहब, कुछ संबंधों के नाम या गहराई तक न जाएं तो ही बैहत्तर होगा उससे संबंध की गरिमा बनी रहेगी.
बस मैं इतना ही कहूंगा कि, वो (धुर्व) आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था.
पिन्टू बोला :- हमको माफ करो पप्पा... जो फर्ज़ हमारा था, वह धुर्व ने पूरी कीया, वह हमारे लिए शर्मजनक है, अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी. ..
*बेटा,जवाबदारी और नसीहत(सलाह) लोगों को देने के लिए ही होती है...*
*जब लेने की घड़ी आये, तब लोग ऊपर नीचे(या बग़ल झाकते है) हो जातें है.*
अब रही मोबाइल की बात...
*बेटे, एक निर्जीव खिलोने ने,जीवित खिलोने को गुलाम कर दिया है, समय आ गया है, कि उसका मर्यादित उपयोग करना है,*
नहीं तो....
परिवार, समाज और राष्ट्र को उसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने को तैयार रहना पड़ेगा.
परिवार के सदस्यों को समर्पित
🙏🏻🌹🙏🏻
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