धन्य होते है कुछ लोग

 धन्य होते है ऐसे लोग

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धन्य होते है ऐसे लोग

जो खुद मुसिबतों में होकार भी

दुसरों की सहायता करते है।

खुद भूके रहकर भी

दुसरों को खाना खिलाते है।

खुद दुखी होकर भी

दुसरों को सुखी देखने का

प्रयास करते है।

दुसरों के आँखों में आँसु देखकर

खुद भी रोने लगते है।

खुद अनाथ होकर भी

दुसरों का सहारा बनते है।

खुद गरीब होकर भी

दुसरों की आर्थिक चिंता करते है।


धन्य होते है ऐसे लोग।

शायद इनको ही संत कहते है।

मगर जालिम दुनिया वाले संतों को भी फँसाते है,रूलाते है।


संतों को जीवनभर तडपाते है

और उनकी मृत्यु पर मंदिर निर्माण करके,मंदिरों को सोने का कलश चढाते है।

हर दिन हार ,फूल, पक्वान्न चढाते है।

आरतीयाँ भी उतारते है।

और खुद जीवन भर कोरा कागज ही रह जाते है।


धन्य होते है

ऐसे लोग जो जीवन भर

पिडितों का आधार बनते है।

और मरणोपरांत भी सभी का

प्रेरणा स्त्रोत बन जाते है।

हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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