चिंता मिट गई !

 चिंता मिट गई : - मेरे राधाकृष्ण सबकुछ ठीक करेंगे।

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सनातन धर्म पर भयंकर गहरा संकट मंडरा रहा है।

इसिलिए मैं बहुत दिनों से व्यथित था,दुखी था,चिंतीत भी था।बेचैन भी था।


यह हमारे अस्तीत्व का प्रश्न है।


भयंकर बडा धर्म संकट है।

अंदर से हमारे ही धर्म द्रोही और बाहर से अनेक आक्रमणकारी,

ऐसी भयंकर विपदाओं के बीच धर्म फँसा हुवा है।

इसिलिए मैं बहुत बेचैन था,अस्वस्थ था।


मगर एक चमत्कार हुवा।

कुछ दिन पहले मेरे सद्गुरू आण्णा के साथ,सपनों में सुंदर राधाकृष्ण के दर्शन हो गये।

और अकस्मात तीन दिन पहले,पुणे स्थित,कँप में,इस्कॉन के राधाकृष्ण मंदिर में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुवा।

मेरे साथ मेरे स्नेही निखिल शाहजी भी मौजूद थे।


मेरे सद्गुरू के साथ सपनों में जिस राधाकृष्ण के दर्शन हो गये थे,बिल्कुल वही राधाकृष्ण सामने देखकर मैं अचंबीत रह गया।मानो प्रत्यक्ष परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण और राधाराणी ने ही मुझे वहाँ बुलाया है...ऐसा लगने लगा।


वहाँ का दिव्यत्व,सभी कृष्ण भक्तों का सविनय, पवित्र प्रेम,निष्कपट भाव देखकर मुझे तो ऐसा लगा की...मानो मैं साक्षात स्वर्ग में ही हुं।


राधाकृष्ण के मनोहर,सुंदर, विहंगम दर्शन के साथ साथ आरती का भी लाभ हुवा।और सुग्रास भोजन प्रसाद का भी लाभ हुवा।


अहो सौभाग्य।

प्रत्यक्ष भगवान का दिव्य प्रेमामृत और दिव्य प्रेम की स्वर्ग जैसी पृथ्वी पर अनुभूति ?


मन शांत हुवा।

धिरेधिरे सभी प्रश्नों के उत्तर मिलने लगे।और दुखी मन में आनंद की तरंगे उठने लगी।और

धिरेधिरे धर्म संकट की चिंता भी मिटती गई।


बहुत कृपालु है मेरा भगवान।

बहुत दयालु है मेरा शाम।

दिव्य प्रेमामृत की दिव्य अनुभूति देनेवाले मेरे राधाकृष्ण का सुंदर, सात्विक रूप देखकर चिंता मिटती गई।


मेरा प्रभु सबकुछ ठीक ही करेगा।

अधर्मी... पापीयों का सर्वनाश भी करेगा।और....

धर्म की पुनर्स्थापना भी करेगा।

वह भी बहुत जल्दी।


बहुत झगडा करता था मैं मेरे कृष्ण कन्हैया के साथ।

तेरी गौमाताएं तडप कर मर रही है...कहाँ है तू...?

कहाँ है तेरा गीता का वचन ?


मगर आज मेरे दुखी मन को स्वयं भगवान ने ही शांत किया।

सबकुछ ठीक होगा।

ठीक ही होगा।

मेरा प्रभू  पगलू की सारी आशा... आकाक्षाएं...इच्छाएं...जरूर पूरा ही करेगा।


मैं मेरे खुद के लिए उसे थोडे ही कुछ माँग रहा हुं ?

मैं तो सनातन धर्म की रक्षा और पुनर्स्थापना के लिए ही उसके साथ झगडता था।

सदैव।

मगर आज मेरे भगवान ने ही मुझे शांत किया।


यह है उच्च श्रद्धा, भक्ती, प्रेम और संपूर्ण समर्पण की किमया।


साथीयों,

अब जरूर अधर्मीयों का नाश होकर ही रहेगा।


वहाँ के परम श्रध्देय ईश्वर गौरांग प्रभू जी ने मुझे...

नाभी चिकित्सा करनेवाले महान तपस्वी,गुरूतुल्य व्यक्तीत्व, जिन्होने नाभी चिकित्सा द्वारा, मेरी अनेक सालों की,हड्डियों की पूरानी बिमारी पर भी ,केवल तीन दिनों में ही काफी आराम दिलाया।


और सबसे अत्यंत महत्वपूर्ण बात संन्माननीय श्री. निलेश जाधवजी के साथ राष्ट्रपरिवर्तन संबंधित बात हो गयी , जिसे उध्रत करना गोपनीयता की वजह से असंभव है।


आचार्य प्रमुख प्रभू केशवनंदजी , प्रभू दास गधाधर दासजी, भारत गुरुकुल प्रमुख , प्रभू धीर प्रशांत दासजी , प्रभू नरहारी श्रीसाठजी , प्रभू अक्षयजी,प्रभू रवींद्र जी इन सभी का दिव्य प्रेम देखकर उच्च कोटी का स्वर्गीय आनंद एवं दिव्य अनुभूती मिली ।


सबकुछ चमत्कार।

जबरदस्त ईश्वरी कृपा।

भगवान श्रीकृष्ण के प्रेमामृत की दिव्य अनुभूति।


हे प्रभो,

और क्या चाहिए ?

जीवन धन्य हो गया।


अब मेरे हाथों से वैश्विक कार्य हो अथवा ना भी हो...

मेरा प्रभू वैश्विक अधर्म के नाश के लिए ,सबकुछ ठीक ही करेगा।

पापीयों का सर्वनाश करके,

पृथ्वी को फिर से स्वर्गीय जैसी सुंदर भी बनायेगा।


हरी बोल

हरी ओम्

जय राधेकृष्ण

जय भक्ति वेदांत प्रभु पाद स्वामीजी की।

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शब्दांकन : -

विनोदकुमार महाजन

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