एक चायवाला
एक चायवाला....!!!
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एक चायवाला,
चाय बेचते बेचते,
राष्ट्र नवनिर्माण का सपना देखता है।संकल्प भी करता है।
संकल्प पूरा करने के लिए, तगडी रणनीती भी बनाता है।मन ही मन शक्तिशाली योजना भी बनाता है।
और योजना प्रत्यक्ष कृति में लाने के लिए, खडतर तपस्या करके,शंभू महादेव के आशिर्वाद भी प्राप्त करता है।
ईश्वरी कृपा,कठोर मेहनत, तगडी रणनीति, यशस्वी योजना द्वारा,
आज वह महात्मा पूरे दुनिया में लोकप्रियता के सारे शिखर भी पार कर रहा है।
नाम : - नरेंद्र दामोदरदास मोदी।
अब नई कहानी।
हिंदुराष्ट्र निर्माण
अखंड भारत और
हिंदुमय विश्व का,
कोई सपना देखता है,
संकल्प करता है,
तगडी रणनीती बनाता है,
शक्तिशाली योजना बनाता है,
और कठोर तपश्चर्या द्वारा कार्य सफलता के लिए ईश्वरी वरदान भी प्राप्त करता है...
तो....?
क्या असंभव भी संभव बनेगा ?
ईश्वरी वरदान, तगडी रणनीती, शक्तिशाली योजना होने के बाद...
क्या नामुमकीन भी मुमकीन में नही बदलेगा ?
चलो,
उसी दिशा में कम से कम एक प्रयास तो करते है।
कितने लोग जुडते है,अथवा कितने व्यक्ती सहाय्यक होते है,
यह मुद्दा गौण है।
जरूरत है....
संकल्प और सिध्दी का फासला कम करने की।
कोई इसे दिवास्वप्न भी कहेगा तो भी चलेगा।
मगर ऐसा भव्य दिव्य....
दिवास्वप्न ....
देखनेवाला तो कोई तो भी चाहिए।
एक साधारण चायवाले ने दिवास्वप्न नही देखा होता,तो वह आज प्रधानमंत्री नही बनता।और नाही पूरी दुनिया हिलाता।
ध्येयवादी व्यक्ती ही ध्येयपूर्ती कर सकता है।
सबसे पहले संकल्प तो किजिए साहब।
आगे ईश्वर देख लेगा।
हरी ओम्
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विनोदकुमार महाजन
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